
RSS के अपनी जहरीली विचारधारा फैलाने में सफल होने का कारण यह है कि वह ज़्यादातर राजनीतिक पार्टियों के उलट दिन-रात काम करता है और अपने मिशन पर लगातार फोकस रखता है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह हमेशा अपनी राय खुलकर रखने वाले नेताओं में से हैं। हाल ही में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की संगठनात्मक ताकत की तारीफ की, जिस ताकत ने नरेंद्र मोदी जैसे नेता को शीर्ष राजनीतिक पायदान तक पहुंचाया। उनकी इस टिप्पणी को कांग्रेस में वंशवादी नियंत्रण पर आलोचना के रूप में भी देखा गया।
बीजेपी कार्यकर्ताओं ने इस बयान का इस्तेमाल कांग्रेस की अंदरूनी लोकतांत्रिक प्रक्रिया की कमी पर तंज कसने के लिए किया। वहीं, कांग्रेस के अंदर opportunists इसे गांधी परिवार के पक्ष में दिखाने की कोशिश कर सकते हैं और इसे दिग्विजय सिंह की RSS के प्रति प्रशंसा बताकर आलोचना कर सकते हैं।
RSS के खिलाफ कट्टर आलोचक हैं दिग्विजय सिंह
दिग्विजय सिंह खुद RSS और उनके संगठनों के सबसे मुखर आलोचकों में से एक हैं। बीजेपी ने उन्हें “सफेद आतंक (Saffron Terror)” जैसे शब्द इस्तेमाल करने और हिंदुओं को आतंकवादी कहने का आरोप भी लगाया है। सिंह स्वयं एक धार्मिक हिंदू हैं और हिंदू धर्म और हिंदुत्व की राजनीतिक विचारधारा के बीच अंतर को स्पष्ट रूप से बताते हैं। इसलिए यह कहना कि सिंह RSS के गुप्त प्रशंसक हैं, वास्तविकता नहीं है।
संगठनात्मक ताकत और कांग्रेस की कमजोरी
सिंह ने यह उदाहरण देते हुए कहा कि मोदी का RSS संगठन में उभरना इस बात को दिखाता है कि RSS संगठनात्मक तौर पर सक्षम है, जिससे प्रतिभा को ऊपर तक पहुंचने का मौका मिलता है। वहीं कांग्रेस में संगठनात्मक निर्णय शीर्ष नेतृत्व द्वारा नियुक्तियों पर निर्भर हैं, न कि पार्टी कार्यकर्ताओं के वोट पर। यही कांग्रेस में वंशवादी नियंत्रण और संगठनात्मक कमजोरी का संकेत है।
कांग्रेस की नेतृत्व संरचना
हालांकि मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष हैं, असल सत्ता राहुल गांधी के हाथ में है। उनके साथ प्रियंका गांधी भी सक्रिय भूमिका निभाने की कोशिश करती हैं। दिग्विजय सिंह का यह विश्लेषण बताता है कि वंशवादी नेतृत्व वाली पार्टी, अगर उसके हाथ में योग्यता और संगठनात्मक शक्ति नहीं है, तो धीरे-धीरे कमजोर और असंगठित हो जाती है।
संगठनात्मक दृष्टिकोण का महत्व
RSS का मजबूत संगठन केवल प्रतिभा को बढ़ावा देने के लिए नहीं है, बल्कि यह साल भर और लगातार काम करने की संस्कृति भी बनाता है। इस लगातार प्रयास से संगठन के मिशन में दृढ़ता आती है और उसका असर जनता तक पहुंचता है।
वहीं, कांग्रेस में आम कार्यकर्ता अक्सर केवल यह बता पाते हैं कि पार्टी समानता, धर्मनिरपेक्षता, आम आदमी की भलाई के लिए है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं होता कि सत्ता मिलने के बाद पार्टी उसका इस्तेमाल किस लिए करेगी।
RSS का मिशन और उसकी लगातार मौजूदगी
RSS का मुख्य उद्देश्य भारत को हिंदू राष्ट्र में बदलना है। यह मिशन लोकतंत्र और गैर-हिंदुओं के अधिकारों की सीमाओं के साथ जुड़ा है। हालांकि आप RSS के मिशन से असहमत हो सकते हैं, इसे नकारा नहीं जा सकता कि यह संगठन लगातार और लगातार जनता के बीच काम करता है। इस निरंतर उपस्थिति की वजह से RSS का प्रभाव हर क्षेत्र में महसूस होता है, जबकि कांग्रेस केवल चुनावों के समय ही सक्रिय हो पाती है।
कांग्रेस और लोकतांत्रिक संगठन
यदि कांग्रेस सच में जनता को सशक्त बनाने और लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए संगठनात्मक सुधार अपनाए तो वह प्रतिभा को बढ़ावा दे सकती है और चुनावी दृष्टि से भी प्रभावी बन सकती है। सिंह का संदेश साफ है कि केवल सत्ता प्राप्त करना पर्याप्त नहीं है; उसके लिए एक सुदृढ़ संगठन और स्पष्ट दृष्टिकोण होना जरूरी है।


