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मोदी-यूनुस मुलाकात के बाद भी क्यों नहीं बदले भारत-बांग्लादेश के रिश्ते?


मोदी-यूनुस मुलाकात के बाद भी क्यों नहीं बदले भारत-बांग्लादेश के रिश्ते?
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हसीना के प्रत्यर्पण के लिए यूनुस के अनुरोध का जवाब देना तो दूर, नई दिल्ली पूर्व प्रधानमंत्री पर लगाम लगाने की भी कोशिश नहीं कर रही है।

7 अप्रैल को अपदस्थ बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना ने वीडियो कॉल के ज़रिए अपने समर्थकों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और उसके प्रमुख नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस पर गंभीर आरोप लगाए। हसीना ने कहा कि शांत बांग्लादेश को आतंकवाद और उग्रवाद की ओर धकेला जा रहा है। हमारे कार्यकर्ताओं, पुलिसवालों, वकीलों, पत्रकारों और कलाकारों को निशाना बनाया जा रहा है। बता दें कि शेख हसीना ने भारत में शरण ली हुई है और वहीं से अपनी पार्टी अवामी लीग को डिजिटल रूप से नेतृत्व दे रही हैं।

हसीना ने क्यों साधा निशाना?

हसीना का हमला उस समय हुआ, जब प्रधानमंत्री मोदी और मोहम्मद यूनुस की मुलाकात हाल ही में बैंकॉक में हुई थी। इस बैठक को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने काफी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। हसीना ने कहा कि वह जल्द बांग्लादेश लौटेंगी और देश में न्याय बहाल करेंगी। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की कि सभी हमलों का रिकॉर्ड रखें।

यूनुस की मोदी से शिकायत

यूनुस के प्रवक्ता ने दावा किया कि यूनुस ने प्रधानमंत्री मोदी से अनुरोध किया कि वे हसीना को भड़काऊ बयान देने से रोकें। साथ ही उन्होंने हसीना को वापस भेजने (प्रत्‍यर्पण) की भी मांग की। हालांकि, भारत सरकार ने इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि यह सब "झूठ और बेबुनियाद" है।

भारत का रुख

भारत ने यूनुस की बात मानने के बजाय, खुद हसीना को खुलकर बोलने दिया। इससे यह संकेत मिला कि भारत अब भी हसीना के पक्ष में है। साथ ही भारत ने एक पुराना आदेश रद्द कर दिया, जिससे बांग्लादेश को नेपाल, भूटान और म्यांमार के साथ व्यापार में फायदा मिलता था। इससे बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को झटका लग सकता है।

भारत और अमेरिका के बीच मतभेद

अमेरिका चाहता है कि म्यांमार में सेना हटे और वहां स्वतंत्र राज्य बनें, ताकि चीन का प्रभाव घटे। वहीं, भारत चाहता है कि म्यांमार में शांति से चुनाव हों और सेना वापस बैरकों में जाए. अमेरिका बांग्लादेश का इस्तेमाल उसी तरह करना चाहता है जैसे उसने पहले अफगानिस्तान में पाकिस्तान का किया था।

कोलकाता में शरण लिए बैठे हैं बांग्लादेशी

भारत, खासकर कोलकाता में अभी बड़ी संख्या में बांग्लादेशी शरणार्थी हैं, जिनमें अवामी लीग के नेता, पूर्व अफसर और कारोबारी शामिल हैं। भारत चाहता है कि बांग्लादेश में चुनाव हों, ताकि ये लोग वापस अपने देश लौट सकें।

(फेडरल सभी पक्षों से विचार और राय प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। लेख में दी गई जानकारी, विचार या राय लेखक के हैं और जरूरी नहीं कि वे फेडरल के विचारों को प्रतिबिंबित करते हों।)

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