
डोनाल्ड ट्रंप ने ममदानी को “कम्युनिस्ट” कहा। अमेरिका में आज भी “सोशलिज़्म”, “कम्युनिज़्म” और “मार्क्सिज़्म” को पूंजीवाद-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी विचारधाराओं के रूप में देखा जाता है।
अतिशयोक्ति से परे न्यूयॉर्क सिटी में ज़ोहरान ममदानी की ऐतिहासिक जीत अमेरिकी राष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसका असर न केवल अमेरिका बल्कि विश्व भर में महसूस किया जा रहा है। यूरोप के समाजवादी और वामपंथी दलों ने इसे अपनी विचारधारा की वैधता की पुष्टि बताया है और उम्मीद जताई है कि इससे उन्हें अपने-अपने देशों, राज्यों और शहरों में बेहतर प्रदर्शन करने की प्रेरणा मिलेगी।
भारत में मिश्रित प्रतिक्रियाएं
भारत में इस युवा मुस्लिम नेता की जीत को लेकर दो विपरीत प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। एक ओर वे लोग नाराज़ हैं, जो फ़िल्ममेकर मीरा नायर और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर महमूद ममदानी के बेटे ज़ोहरान को “लव जिहाद” का प्रतीक मानते हैं। वहीं दूसरी ओर, उदारवादी तबके ने ज़ोहरान की जीत का स्वागत किया है — खासकर इसलिए क्योंकि उन्होंने अपनी विजय भाषण में पंडित जवाहरलाल नेहरू के “ट्रिस्ट विद डेस्टिनी” भाषण का उद्धरण दिया।
रोटी-रोज़गार के मुद्दों पर केंद्रित चुनावी अभियान
ममदानी की जीत का वास्तविक अर्थ पहचान और विचारधारा से अधिक रोटी-रोज़गार जैसे व्यावहारिक मुद्दों में जनता की रुचि को दर्शाता है। उन्होंने महंगाई और आम आदमी के जीवन स्तर को अपने चुनावी एजेंडे का केंद्र बनाया। उनके मुख्य वादों में शामिल थे — शहर द्वारा संचालित सस्ती किराने की दुकानें खोलना, जहां वस्तुएं बिना भारी मुनाफ़े और किराये के दबाव के सस्ती मिलें। बस यात्रा को निःशुल्क करना। मुफ़्त और सार्वभौमिक बाल देखभाल (childcare) की सुविधा उपलब्ध कराना और किराया नियंत्रण व नए आवास निर्माण से न्यूयॉर्क में मकान सस्ते बनाना। अमेरिका में “पॉकेटबुक इश्यूज़” (जीवन-यापन की लागत) को लेकर बढ़ती नाराज़गी ने पहले डोनाल्ड ट्रंप को लोकप्रिय बनाया थाऔर अब यही मुद्दे ममदानी की सफलता की कुंजी बने।
पहचान की राजनीति और विरोध
ममदानी की मुस्लिम पहचान उनके विरोधियों के निशाने पर रही। 11 सितंबर 2001 के आतंकी हमलों के बाद से अमेरिका में इस्लाम के प्रति शंका और भय की भावना बनी हुई है। ममदानी ने खुले तौर पर गाज़ा में नरसंहार का विरोध किया और फ़िलिस्तीन की आज़ादी का समर्थन किया। इसके चलते उन्हें “यहूदी विरोधी” और “आतंकी समर्थक” कहकर बदनाम करने की कोशिश की गई। हालांकि, दिलचस्प बात यह रही कि शिक्षित और पेशेवर यहूदी समुदायों वाले इलाकों में उन्हें अच्छा समर्थन मिला।
ट्रंप का हमला और ‘कम्युनिस्ट’ टैग
डोनाल्ड ट्रंप ने ममदानी को “कम्युनिस्ट” कहा। अमेरिका में आज भी “सोशलिज़्म”, “कम्युनिज़्म” और “मार्क्सिज़्म” को पूंजीवाद-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी विचारधाराओं के रूप में देखा जाता है। 1950 के दशक में सीनेटर जोसेफ मैकार्थी द्वारा शुरू की गई कम्युनिस्ट-विरोधी मुहिम ने हॉलीवुड के कई कलाकारों, जैसे चार्ली चैपलिन को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया था — यह मानसिकता आज भी बनी हुई है।
समाजवादी परंपरा और उसका पुनर्जागरण
1886 में शिकागो के हेयमार्केट स्क्वायर में आठ घंटे के कार्यदिवस की मांग को लेकर हुई मज़दूरों की झड़प के बाद 1 मई को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाने लगा। बाद में अमेरिकी सरकार ने समाजवादी प्रभाव से अलग दिखने के लिए अपना “लेबर डे” सितंबर के पहले सोमवार को तय किया। सीनेटर बर्नी सैंडर्स स्वयं को “डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट” कहते हैं और उन्होंने पार्टी के भीतर भारी समर्थन भी पाया, लेकिन कभी राष्ट्रपति पद का नामांकन नहीं जीत पाए। ज़ोहरान ममदानी अब 1960 के दशक के बाद अमेरिका के पहले प्रमुख समाजवादी नेता हैं, जिन्होंने किसी बड़े पद पर जीत दर्ज की है।
समाजवाद को कलंक से मुक्त करने की संभावना
ममदानी की जीत ने अमेरिका में समाजवाद की छवि बदलने की संभावना पैदा की है। अगर वे अपने चुनावी वादे पूरे करने में सफल होते हैं और शहर के अमीर वर्ग के साथ संतुलन बना पाते हैं तो यह अमेरिकी राजनीतिक विमर्श में समाजवाद को कलंक से मुक्त कर सकता है। अमेरिकी संविधान शहर सरकारों को नए आयकर या संपत्ति कर लगाने की अनुमति नहीं देता, लेकिन वे प्रॉपर्टी टैक्स बढ़ाकर राजस्व जुटा सकते हैं। आज सभी लोकतांत्रिक सरकारें किसी न किसी रूप में राज्य हस्तक्षेप और औद्योगिक नीति अपनाती हैं, जिससे डेमोक्रेटिक सोशलिज़्म और अन्य विचारधाराओं में अंतर धुंधला हो जाता है — फर्क बस इतना है कि समाजवाद गरीबों के कल्याण के प्रति अधिक पारदर्शी प्रतिबद्धता रखता है।
ट्रंप की राजनीति को झटका
ममदानी का आकर्षण केवल उनके घोषणापत्र तक सीमित नहीं था — वे युवा, ऊर्जावान और प्रभावशाली वक्ता हैं। वे सोशल मीडिया ख़ासकर TikTok पर अपनी बात प्रभावी ढंग से रखते हैं। उनकी जीत को अमेरिका के सबसे सफल शहर में ट्रंप और जेडी वेंस की श्वेत-राष्ट्रवादी राजनीति के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। उधर, डेमोक्रेट्स ने वर्जीनिया और न्यू जर्सी में गवर्नर चुनाव जीते हैं, जबकि कैलिफ़ोर्निया में निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्गठन का प्रस्ताव पारित हुआ है, जो उन्हें राजनीतिक लाभ पहुंचा सकता है।
इन नतीजों से डेमोक्रेट्स को निश्चित तौर पर उत्साह मिला है, हालांकि ममदानी की समाजवादी विचारधारा को राष्ट्रीय स्तर पर अपनाए जाने की संभावना फिलहाल कम है। फिर भी, उनकी जीत दुनिया भर में वामपंथी राजनीति के लिए नई प्रेरणा और उम्मीद लेकर आई है।
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