सिडनी में बल्लेबाजों ने किया बेड़ागर्क, 10 साल बाद भारत ने गंवाई BG ट्रॉफी
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सिडनी में बल्लेबाजों ने किया बेड़ागर्क, 10 साल बाद भारत ने गंवाई BG ट्रॉफी

India Australia Series: पर्थ टेस्ट को छोड़ दें तो भारतीय बल्लेबाजों को जिस स्तर का प्रदर्शन करना चाहिए था वो नहीं कर सके। नतीजा यह हुआ की सीरीज से हाथ धो बैठे।


Border Gavaskar Trophy: 10 साल बाद बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी भारत के हाथ से निकल ऑस्ट्रेलिया के हाथों में है। सिडनी टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने ना सिर्फ भारत को 6 विकेट से हरा सीरीज 3-1 से अपने नाम की। बल्कि वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में भी जगह बना ली। यहां पर हम बताएंगे कि इस सीरीज की हार में किन लोगों से खलनायक की भूमिका अदा की। सबसे पहले बात करेंगे सिडनी टेस्ट (Sydney Test Match) की। इस मैच में कप्तानी करने का मौका जसप्रीत बुमराह को मिला क्योंकि रोहित शर्मा (Rohit Sharma) ने इस टेस्ट से दूर रहने का फैसला किया था। जसप्रीत बुमराह (Jasprit Bumrah) टॉस जीत चुके थे और बल्लेबाजी करने का फैसला किया। यानी कि बेहतर स्कोर देने की जिम्मेदारी बैट्समैन की थी। लेकिन एक भी बैट्समैन अपनी क्षमता के मुताबिक नहीं खेल सका। पहली पारी में पूरी टीम 185 रन पर सिमय गई।

भारत की पहली पारी के बाद ऑस्ट्रेलिया (India Australia Series) की टीम खेलने के लिए मैदान पर उतरी। अब बारी गेंदबाजों की थी। गेंदबाजों ने शानदार बोलिंग की और उसका फायदा भी नजर आया। ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी 181 रन पर सिमट गई। इस तरह से टीम इंडिया को मामूली बढ़त मिली। मैच के दूसरे दिन दूसरी पारी में उम्मीद थी कि बल्लेबाज बेहतर प्रदर्शन कर सम्मानजनक लीड दे सकेंगे। लेकिन 151 रन ही बना सके और इस तरह से ऑस्ट्रेलिया को 162 रन का आसान लक्ष्य मिली। तीसरे दिन दूसरी पारी में प्रसिद्ध कृष्णा (Prasidh Krishna) और सिराज ने कुछ विकेट चटकाए तो जीत की कुछ उम्मीद बढ़ी। लेकिन कम स्कोर को ऑस्ट्रेलिया की टीम ने 6 विकेट शेष रहते चेज किया।

9 पारियों में बुमराह (Jasprit Bumrah) ने 13.06 के औसत से 32 विकेट लिए। उन्हें प्लेयर ऑफ सीरीज भी चुना गया। खास बात यह है कि किसी भारतीय बोलर ने ऑस्ट्रेलिया (India Australia Series) में इतने विकेट झटके। इसके साथ ही साथ बुमराह ने 42 रन भी बनाए, खास बात यह कि रोहित शर्मा से ज्यादा। यही नहीं पर्थ टेस्ट (Perth Test) में जीत का श्रेय भी बुमरा के नाम रहा। सिडनी टेस्ट में वो चोट की वजह से दूसरी पारी में नहीं खेल सके। क्रिकेट के जानकार कहते हैं कि अगर बुमरा चोटिल ना हुए तो बात कुछ और हो सकती थी।

इस सीरीज में किसी भी भारतीय बैट्समैन का औसत स्कोर 40 के आसपास भी नहीं था। अगर बात यशस्वी जायसवाल (Yasasvi Jaiswal) की करें तो 10 पारी में 43.44 के औसत से 391 रन का योगदान दिया। उन्होंने एक शतक औक 2 अर्धशतक जोड़े लेकिन सात पारियों में निराश किया। उनके बल्ले से रन नहीं आए। इसी तरह रोहित शर्मा ने पांच पारी खेली और मजह 31 रन बना सके। शुभमन गिल ने कुल पांच पारी खेली करीब 18 के औसत से 93 रन का योगदान दिया। विराट कोहली (Virat Kohli) ने पर्थ में शतक जड़ा था। लेकिन उसके बाद उनके बल्ले में जंग लग गई और करीब 23 के औसत से 190 रन जोड़े। के एल राहुल को अगर देखें तो पहले कुछ अच्छे शाट्स जड़े और रन भी जोड़े। लेकिन वो भी 30 के औसत से महज 276 रन ही जोड़ पाए।

नीतीश रेड्डी (Nitish Kumar Reddy) ने 37 के औसत से 298 रन जोड़े। मेलबर्न में टीम इंडिया (Team India) को संकट से भी उबारा था। लेकिन आगे की तीन पारी में नाकाम रहे। वहीं ऋषभ पंत (Rishabh Pant बड़ा स्कोर नहीं कर सके। 28 के औसत से 9 पारी में 255 रन का योगदान किया।

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