
बुमराह का जलवा बरकरार, पर टीम इंडिया क्यों हारती है?
बुमराह शानदार गेंदबाज हैं, लेकिन उनके साथ भारत की जीत का प्रतिशत कम है। क्या टीम उन पर ज़रूरत से ज़्यादा निर्भर हो जाती है?
जसप्रीत बुमराह भारतीय टेस्ट टीम के सबसे भरोसेमंद तेज़ गेंदबाजों में से एक माने जाते हैं। उनका रिकॉर्ड खुद बयां करता है कि वो कितने प्रभावी हैं। अब तक 47 टेस्ट मैचों में 19.48 की शानदार औसत से 217 विकेट चटकाए हैं यह औसत 200+ विकेट लेने वाले किसी भी भारतीय गेंदबाज से बेहतर है। मगर सवाल यह उठ रहा है कि क्या बुमराह की मौजूदगी में टीम इंडिया का प्रदर्शन उम्मीदों पर खरा उतरता है?
इंग्लैंड दौरे पर बुमराह का प्रदर्शन, लेकिन जीत नहीं
जसप्रीत बुमराह ने मौजूदा इंग्लैंड दौरे पर अब तक दो टेस्ट मैच खेले हैं – लीड्स और लॉर्ड्स में। इन दोनों में उन्होंने 12 विकेट लिए और दोनों में पांच-पांच विकेट भी झटके। बावजूद इसके, भारत को दोनों मैचों में हार का सामना करना पड़ा। वहीं, एजबेस्टन टेस्ट, जिसमें बुमराह नहीं खेले, भारत ने 336 रन से जीत दर्ज की। इस मैच में आकाश दीप और मोहम्मद सिराज ने गजब की गेंदबाजी की।
बुमराह की मौजूदगी में टीम हार क्यों जाती है?
इसी ट्रेंड पर अब डिबेट छिड़ गई है। इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ी डेविड लॉयड का बयान सुर्खियों में है। उन्होंने कहा,जब बुमराह खेलते हैं, तब भारत ज़्यादा हारता है। यह बहुत हैरान करने वाली बात है, क्योंकि बुमराह दुनिया के बेस्ट गेंदबाजों में गिने जाते हैं। इसका आधार है आंकड़े और ये आंकड़े हैरान करने वाले हैं।
बुमराह के साथ बनाम बगैर
बुमराह के डेब्यू (2018) के बाद भारत ने 74 टेस्ट खेले हैं:
बुमराह के साथ खेले गए टेस्ट: 47
जीत: 20
हार: 23
ड्रॉ: 4
विनिंग प्रतिशत: 42.55%
बुमराह के बिना खेले टेस्ट: 27
जीत: 19
हार: 5
ड्रॉ: 3
विनिंग प्रतिशत: 70.37%
यानी, बुमराह की गैरमौजूदगी में टीम इंडिया का प्रदर्शन कहीं बेहतर रहा है।
बुमराह की काबिलियत पर शक नहीं, लेकिन टीम की निर्भरता सवालों में
हालांकि बुमराह के रिकॉर्ड से यह नहीं कहा जा सकता कि वो टीम की हार की वजह हैं। दरअसल, उनकी मौजूदगी में यह संभव है कि टीम उन पर ज़रूरत से ज़्यादा निर्भर हो जाती है, जिससे अन्य गेंदबाज अपना योगदान अपेक्षित स्तर तक नहीं दे पाते। दूसरी तरफ, जब बुमराह नहीं होते, तो गेंदबाजी यूनिट ज़िम्मेदारी बांटकर काम करती है।
बुमराह की अनुपस्थिति में बनी बैलेंस टीम?
एजबेस्टन टेस्ट इसका उदाहरण है, जहां बुमराह नहीं थे लेकिन टीम में गेंदबाजी संतुलित रही और जीत शानदार रही। इससे साफ है कि अकेले स्टार पर निर्भरता टीम के सामूहिक प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती है। बुमराह भारत के बेजोड़ गेंदबाज हैं, इसमें कोई दो राय नहीं। लेकिन जब बात टीम के जीतने की आती है, तो आंकड़े ये सवाल उठाने पर मजबूर करते हैं कि क्या संतुलन और सामूहिक प्रदर्शन बुमराह की मौजूदगी में कहीं न कहीं कमजोर पड़ता है?