
भारतीय टेनिस स्टार रोहन बोपन्ना का रिटायरमेंट का एलान, 22 साल के करियर को विराम
भारतीय टेनिस के दिग्गज रोहन बोपन्ना ने शानदार 20 साल के करियर के बाद प्रोफेशनल टेनिस को अलविदा कह दिया है। उनका आख़िरी मैच पेरिस मास्टर्स में हुआ। इस साल बोपन्ना ने इतिहास रचते हुए सबसे उम्रदराज़ ग्रैंड स्लैम विजेता और डबल्स में वर्ल्ड नंबर-1 बनने का गौरव हासिल किया।
रोहन बोपन्ना ने 22 साल के शानदार करियर के बाद प्रोफेशनल टेनिस से सन्यास की घोषणा की। उनका अंतिम मैच पेरिस मास्टर्स 1000 में हुआ, जहाँ उन्होंने अलेक्ज़ेंडर बब्लिक के साथ डबल्स खेला। इस साल की शुरुआत में ही बोपन्ना ने इतिहास रचा था — वे सबसे उम्रदराज़ ग्रैंड स्लैम चैंपियन और डबल्स टेनिस में सबसे उम्रदराज़ वर्ल्ड नंबर-1 बने।
अपने भावुक रिटायरमेंट संदेश में बोपन्ना ने लिखा, “आप उस चीज़ को अलविदा कैसे कहेंगे जिसने आपकी ज़िंदगी को मायने दिए? 20 अविस्मरणीय सालों के बाद... अब वक्त आ गया है। मैं आधिकारिक तौर पर अपना रैकेट टांग रहा हूं। भारत का प्रतिनिधित्व करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है, और हर बार जब मैं कोर्ट पर उतरा, तो उस झंडे, उस भावना और उस गर्व के लिए खेला।”
45 वर्षीय बोपन्ना ने अपने करियर में दो ग्रैंड स्लैम खिताब जीते —
* 2024 ऑस्ट्रेलियन ओपन पुरुष डबल्स (मैथ्यू एब्डेन के साथ)
* 2017 फ्रेंच ओपन मिक्स्ड डबल्स (गैब्रिएला डाब्रोव्स्की के साथ)
इसके अलावा वे चार और ग्रैंड स्लैम फाइनल्स में पहुंचे —
* पुरुष डबल्स: 2020 यूएस ओपन (ऐसाम-उल-हक कुरैशी के साथ), 2023 यूएस ओपन (एब्डेन के साथ)
* मिक्स्ड डबल्स: 2018 ऑस्ट्रेलियन ओपन (टिमिया बाबोस के साथ), 2023 ऑस्ट्रेलियन ओपन (सानिया मिर्ज़ा के साथ)
उन्होंने एटीपी फाइनल्स में भी 2012 और 2015 में क्रमशः महेश भूपति और फ्लोरिन मर्जिया के साथ फाइनल तक का सफर तय किया।
बोपन्ना की यात्रा की शुरुआत भारत के कूर्ग से हुई थी। बचपन में वे अपनी सर्व को मज़बूत करने के लिए लकड़ियाँ काटते थे और कॉफी के बागानों में दौड़कर स्टैमिना बढ़ाते थे।
मेहनत और समर्पण ने उन्हें टेनिस के उच्चतम स्तर तक पहुंचाया — 2016 रियो ओलंपिक में सानिया मिर्ज़ा के साथ चौथे स्थान पर रहे और दो दशकों से अधिक समय तक डेविस कप में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
रिटायरमेंट के बाद भी बोपन्ना भारतीय टेनिस को नई दिशा दे रहे हैं। उन्होंने UTR टेनिस प्रो को भारत में शुरू किया है और अपनी एकेडमी के ज़रिए युवा टेनिस खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने के लिए तैयार कर रहे हैं।
उनकी पूरी सोशल मीडिया पोस्ट का अंश, “एक अलविदा... लेकिन अंत नहीं। आप उस चीज़ को कैसे अलविदा कहेंगे जिसने आपकी ज़िंदगी को मायने दिए? 20 अविस्मरणीय सालों के बाद अब वक्त है... मैं आधिकारिक तौर पर अपना रैकेट टांग रहा हूं।
जब मैं यह लिख रहा हूं, मेरा दिल भारी भी है और आभारी भी। भारत के छोटे से कस्बे कूर्ग से शुरुआत कर लकड़ी के लट्ठे काटकर सर्व को मज़बूत करना, कॉफी बागानों में दौड़कर स्टैमिना बढ़ाना, टूटी-फूटी कोर्ट्स पर सपने पीछा करना और दुनिया के सबसे बड़े स्टेडियमों की रोशनी के नीचे खड़ा होना — ये सब किसी सपने जैसा लगता है। टेनिस मेरे लिए सिर्फ़ एक खेल नहीं रहा — इसने मुझे अर्थ दिया जब मैं खो गया था, ताक़त दी जब मैं टूटा था, और विश्वास दिया जब दुनिया ने मुझ पर शक किया। हर बार जब मैं कोर्ट पर उतरा, इसने मुझे सिखाया कि डटे रहना क्या होता है, गिरकर दोबारा उठना क्या होता है, और सबसे बढ़कर — ये याद दिलाया कि मैंने शुरुआत क्यों की और मैं कौन हूं।”

