
BCCI का 'प्रोजेक्ट शुभमन गिल' फेल, T20 टीम से बाहर होने का सच
अजीत अगरकर और गौतम गंभीर टीम को आने वाले दशक में स्थिर बनाने के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन खिलाड़ियों की भूमिकाओं को स्पष्ट रूप से निर्धारित नहीं कर पाए हैं।
Shubman Gil: भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच चौथे टी20आई से पहले बुधवार की सुबह टीम के चयन समिति के अध्यक्ष अजित अगरकर लखनऊ पहुंचे। शाम तक यह जानकारी सामने आई कि टीम के उपकप्तान शुभमन गिल को उनके दाहिने पैर की चोट के कारण बचे हुए टी20 मैचों से बाहर होना पड़ेगा। वहीं, अगले दिन यानी शुक्रवार को पता चला कि अहमदाबाद में खेले जाने वाले पांचवें टी20आई में संजू सैमसन फिर से भारत के लिए ओपनिंग करेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स अनुसार, टीम मैनेजमेंट ने पहले ही यह इरादा जाहिर कर दिया था कि लंबे समय से रन न बनाने की वजह से गिल की जगह टॉप ऑर्डर में बदलाव किया जाएगा। टीम ने टी20 वर्ल्ड कप की रणनीति के तहत गिल से आगे बढ़कर अपनी प्लानिंग शुरू कर दी थी।
गिल को क्यों किया गया बाहर?
आईपीएल के शुरू होने के बाद भारत की टी20 टीम ब्रेक पर गई थी। उस समय टीम मैनेजमेंट और सेलेक्टर्स ने गिल को सभी फॉर्मेट में टीम का नेता मानते हुए उनकी भूमिका को निर्धारित किया था। इसलिए उन्हें मध्यक्रम में बल्लेबाजी करने का सुझाव दिया गया। आईपीएल में देखा जाए तो संजू सैमसन और ऋषभ पंत दोनों ही अपनी पसंदीदा पोजिशन से नीचे बल्लेबाजी करने आए। गिल को ओपनिंग में स्वतंत्र बल्लेबाजी करने का मौका मिला। भारतीय क्रिकेट में अब खिलाड़ियों की टीम में जगह सुरक्षित रखना मुश्किल है। गिल को उपकप्तानी तक दी गई थी, हालांकि उन्हें 2024 टी20 वर्ल्ड कप में टीम में जगह नहीं मिली थी। गिल पिछले आठ महीनों में भारतीय क्रिकेट में शायद ही एकमात्र बल्लेबाज थे, जिन्हें अपने बल्लेबाजी पोजिशन की पूरी जानकारी थी। टीम मैनेजमेंट, मुख्य कोच गौतम गंभीर के नेतृत्व में टीम में सुपरस्टार कल्चर को बढ़ने नहीं देना चाहता था। गिल का बाहर होना इस बात की याद दिलाता है कि भारतीय क्रिकेट का चेहरा बनकर भी प्रदर्शन न करने पर कोई बच नहीं सकता।
गिल की भूमिका
गिल को टी20आई में फिर से ओपनिंग पर लाने का मकसद था कि टीम के पास ऐसा बल्लेबाज हो, जो रनों की गति बनाए रखते हुए लंबे समय तक बल्लेबाजी कर सके। बड़ी प्रतियोगिताओं में अधिक रन बनाने वाले मैच कम होते हैं, इसलिए गिल जैसे स्थिर बल्लेबाज ओपनिंग में अहम भूमिका निभा सकते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, गिल उस दबाव में फंस गए कि उन्हें टॉप ऑर्डर में बड़ा स्ट्राइक रेट बनाना है। इस युवा और नए टी20आई टीम का मकसद था विपक्षी टीम पर दबाव डालना। गिल शायद उस दबाव में फंस गए और पावर और स्थिरता में संतुलन नहीं बना पाए। इस वजह से भारत की पावर हिटिंग भी प्रभावित हुई और दबाव गेंदबाजों पर आ गया। विकेटकीपर को अब टॉप ऑर्डर में बल्लेबाजी करने के कारण लाइनअप में पावर हिटिंग की गहराई बढ़ गई।
टेस्ट क्रिकेट के बाद टीम में बदलाव
टीम के कप्तान सूर्यकुमार यादव और गिल फॉर्म में न होने की वजह से अन्य बल्लेबाज स्वतंत्रता से नहीं खेल पाए और स्ट्राइक रेट प्रभावित हुआ। रिपोर्ट्स के अनुसार, तीन खिलाड़ी गिल, ऋषभ पंत और यशस्वी जायसवाल—जिन्हें 2024 टी20 वर्ल्ड कप के बाद टेस्ट क्रिकेट पर फोकस करने के लिए कहा गया था, अब फरवरी-मार्च में होने वाले टी20 वर्ल्ड कप में नहीं हैं। टीम मैनेजमेंट को फिर ईशान किशन की ओर लौटना पड़ा, जो पिछले कुछ वर्षों से टीम में नहीं थे।
टी20 वर्ल्ड कप के बाद बड़ी चुनौतियां
अजीत अगरकर और गौतम गंभीर टीम को आने वाले दशक में स्थिर बनाने के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन खिलाड़ियों की भूमिकाओं को स्पष्ट रूप से निर्धारित नहीं कर पाए हैं। टीम में लचीलापन रखा गया है, लेकिन कई खिलाड़ियों के लिए उनकी भूमिका अस्पष्ट रही। टी20 वर्ल्ड कप के बाद बोर्ड और सेलेक्टर्स को कई कठिन निर्णय लेने पड़ सकते हैं। टीम मैनेजमेंट की नेतृत्व वाली योजना विफल हो गई है। अब टी20 वर्ल्ड कप के बाद एक नए नेता को तैयार करना होगा, चाहे सूर्यकुमार का टूर्नामेंट अच्छा भी जाए। टीम को कागज पर संतुलित दिखाया गया है, लेकिन खिलाड़ियों के रोल में अनिश्चितता अभी भी बनी हुई है। जनवरी में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ शेष पांच टी20 मैचों के लिए टीम मैनेजमेंट ने शायद ही कोई अंतिम प्लान तय किया हो।

