
अब अखाड़े में नजर नहीं आएंगी विनेश, अगले जनम मोहे बिटिया नहीं पहलवान ना कीजो
इससे बड़ा कष्ट क्या हो सकता है कि बिना मुकाबला लड़े आप मैदान से बाहर हो जाएं। पेरिस ओलंपिक 2024 में विनेश फोगाट के साथ कुछ ऐसा ही हुआ।
Vinesh Phogat Retirement: जीत आपके सामने खड़ी हो और आप बिना लड़े हार जाएं या मैदान से बाहर हो जाएं। उसकी टीस कभी खत्म नहीं होने वाली होती है। पेरिस ओलंपिक में रेसलर विनेश फोगाट के साथ भी कुछ ऐसा हुआ। मंगलवार यानी 6 अगस्त को वो अपने तीनों मैच जीतकर फाइनल में एंट्री लेती है। देश को इंतजार था गोल्ड या सिल्वर मेडल का। लेकिन सिर्फ 100 ग्राम अधिक वजन होने की वजह से उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। अब उन्होंने एक्स पर अपने संन्यास का ऐलान कर दिया है और भावुक होकर संदेश भी दिया है।
कौन है जिम्मेदार
वो कौन जिम्मेदार है, विनेश फोगाट की बदकिस्मती पर पूरा देश यही पूछ रहा है। विनेश कोई साधारण खिलाड़ी नहीं है, जो केवल ओलंपिक खेलने गई थी। और जीतने का टैलेंट रखती थी। वह ऐसी खिलाड़ी हैं जिनकी हर जीत पर न केवल जश्न मनाया जा रहा था, बल्कि देश में राजनीति भी हो रही थी। असल में विनेश फोगाट का ओलंपिक के फाइनल में पहुंचना न केवल उस सिस्टम से डेढ़ साल का संघर्ष था, जो एक समय उनका दुश्मन बन गया था। बल्कि उनकी खुद से भी लड़ाई थी। जो वह पिछले 8 साल से लड़ रही थी। इसलिए जब वह एक दिन में कुश्ती के 3 मुकाबले जीत कर फाइनल में पहुंची थी।
उनके करिश्मा और जज्बे को देखकर लोग यही सोच रहे थे कि यह वही फोगाट है, जो 2016 रियो ओलिंपिक में रोते हुए, स्ट्रेटर पर मैच से बाहर निकली थीं। ये वही विनेश है, जिसे 2020 टोक्यो ओलिंपिक में हार के बाद खोटा सिक्का कहा गया। ऐसे में जब पूरा देश बुधवार रात को गोल्ड के सपने देख रहा था। विनेश फोगाट का केवल 100 ग्राम अधिक वजन से ओलंपिक से बाहर किया जाना लोगों को खटक गया । आम आदमी से लेकर कई खिलाड़ी और नेता भी विनेश फोगाट को बाहर करने के फैसले को साजिश बता रहे हैं। साजिश का शक होना कोई गलत भी नहीं है। क्योंकि ऐसा कैसे हो सकता है। वह कोई नौसिखिया नही थीं। क्योंकि विनेश तीसरी बार ओलंपिक में खेल रही थीं। और न ही उनका कोचिंग स्टाफ कोई नौसिखिया रहा होगा।
सोशल मीडिया से लेकर भारत में सेलेब्स तक यही पूछ रहे हैं कि 100 ग्राम के नाम पर इतनी सजा की क्या जरूरत थी। तो इसे समझने के लिए नियम भी जान लीजिए, असल में रेसलिंग प्रतियोगिता 2 दिन चलती है। यानी, जो भी पहलवान फाइनल या रेपचेज में पहुंचेगा, उसका वजन दो दिन चेक किया जाता है । पहले दिन के खेल से पहले सुबह पहलवानों का वजन चेक होता है। इस दौरान उन्हें 30 मिनट का समय मिलता है। वो जितना बार चाहें तराजू में चढ़ सकते हैं। पहले दिन विनेश फोगाट का वजन 50 किलो के अंदर था। दूसरे दिन की प्रतियोगिता में शामिल होने वाले पहलवानों वजन सुबह फिर चेक किया जाता है। दूसरे दिन सिर्फ 15 मिनट मिलते हैं। इस दौरान वो जितनी बार चाहें तराजू पर चढ़ सकते हैं। दूसरे दिन विनेश फोगाट का वजन 50 किलो से 100 ग्राम ज्यादा आ गया। इस दौरान विनेश ने वजन कम करने के लिए अपने नाखून और बाल भी छोटे कर दिए थे।