
UP में SIR: राजधानी लखनऊ में कट गए 30 प्रतिशत वोट, बीजेपी के लिए चुनौती बढ़ी
यूपी में बड़े शहरों में लोगों ने शहर की सूची से नाम कटवा कर अपने पैतृक निवास का वोटर बनने में रुचि दिखाई है।लखनऊ में सबसे ज़्यादा क़रीब 12 लाख वोटरों के नाम कटने से बीजेपी नए सिरे से शहरी क्षेत्रों के लिए रणनीति बनाने में जुट गई है।
चुनाव आयोग ने विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण ( SIR) में गणना फॉर्म भरकर जमा करने की अवधि समाप्त होने के बाद मतदाताओं के आधिकारिक आंकड़े जारी कर दिए हैं।लखनऊ की वोटर लिस्ट ने चौंका दिया है।राजधानी लखनऊ में इस प्रक्रिया के बाद सबसे ज़्यादा 12 लाख नाम कट गए हैं।लखनऊ में 30.5 प्रतिशत मतदाता कम हो गए हैं।प्रक्रिया के तहत चुनाव आयोग नाम काटने के बाद ड्राफ्ट रोल 31 दिसंबर को प्रकाशित करेगा।इसके बाद बाद इन पर आपत्ति और दावे लिए जाएंगे।विशेष गहन पुनरीक्षण( SIR) के बाद चुनाव आयोग ने जो जानकारी दी है उसके अनुसार लखनऊ में 30.5 प्रतिशत वोटर कम हो गए हैं।यह ट्रेंड देखने से पता चलता है कि तीनों कैटेगरी ASD (ऐब्सेंट, शिफ्टेड, डेड) में से सबसे ज़्यादा नाम ऐब्सेंट यानि अनुपस्थित श्रेणी में कटे हैं।जबकि मौत और डुप्लीकेट वोटरों की संख्या भी बहुत ज़्यादा है।
लखनऊ उत्तर और लखनऊ पूर्व से कटे सबसे ज़्यादा नाम-
शहर की वोटर लिस्ट अपना नाम कटवा कर पैतृक निवास वाले ज़िले के गाँव में करने के इस ट्रेंड ने बीजेपी को नए सिरे से रणनीति बनाने कर मजबूर कर दिया है।वजह यह है कि आने वाले समय में चुनावी गणित पर इसका असर पड़ सकता है।बीजेपी ने अपनी लखनऊ इकाई को ऐक्टिव कर दिया है।किन क्षेत्रों से सबसे ज़्यादा नाम कटे हैं उन विधानसभा क्षेत्रों में स्थानीय टीम को भी इसका आकलन करने के लिए कहा गया है।लखनऊ में सबसे ज़्यादा नाम उत्तर क्षेत्र और पूर्वी क्षेत्र से कटे हैं।मध्य क्षेत्र से कम नाम कटें हैं।बीजेपी की टीम ने इसका आकलन किया है।ये वो क्षेत्र हैं जहाँ बाहर से आ कर बसने वाले बड़ी संख्या में हैं।
बीजेपी लखनऊ महानगर के अध्यक्ष आनंद द्विवेदी कहते हैं ' लखनऊ में एक समुदाय विशेष के वोट बड़ी संख्या में डुप्लीकेट थे।दो नहीं बल्कि कई लोगों के नाम तीन-तीन जगह दर्ज़ थे।ऐसे लोगों के नाम बड़ी संख्या में कट गए हैं।इसके साथ ही वो लोग भी हैं जिन्होंने शहर से नाम कटवा कर गांव में नाम लिखवाए रखने को प्राथमिकता दी।हम लोगों ने लोगों से बात कर उनका मत जानने की कोशिश की थी।’
बीजेपी बना रही है नए स्योर से रणनीति-
दरअसल एक साल बाद यूपी में विधानसभा चुनाव होना है ऐसे में शहरी क्षेत्र के इन 'ग़ायब’ वोटरों का असर बीजेपी की चुनावी गणित पर पड़ सकता है।हालाँकि ज़ाहिरा तौर पर पार्टी यह मानती है कि इसमें बड़ी संख्या में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिक और घुसपैठियों के नाम हट गए हैं जिससे सूची भी शुद्ध हुई है।बावजूद इसके बड़ी संख्या में नाम कटने से पार्टी को नए सिरे से रणनीति बनने बनाने की ज़रूरत है।बीजेपी लखनऊ महानगर के अध्यक्ष आनंद द्विवेदी स्वीकार करते हैं कि पार्टी अब इन पारिस्थितियों को देखते हुए नए सिरे से रणनीति तय करेगी।पार्टी को इससे ख़ास नुक़सान नहीं होगा।आनंद द्विवेदी कहते हैं ' दूसरा चरण में पार्टी नए बने मतदाताओं के नाम भी जुड़वाएगी।इसके लिए रणनीति बनाकर काम करेगी।’
यूपी में SIR प्रक्रिया के बाद जिन 2 करोड़ 89 लाख वोटरों के नाम कटे हैं उनमें लखनऊ के अलावा ग़ाज़ियाबाद,प्रयागराज, बलरामपुर, कानपुर नगर और मेरठ में बड़ी संख्या में वोटर कम हुए हैं।गाजियाबाद में 28.83%, बलरामपुर में 25.98%, कानपुर नगर में 25.50%, मेरठ में 24.66%, प्रयागराज में 24.64%, गौतमबुद्धनगर में 23.98%, आगरा में 23.25%, हापुड़ में 22.30%, शाहजहांपुर में 21.76%, कन्नौज में 21.57%, बरेली में 20.99%, फर्रुखाबाद में 20.81%, बहराइच में 20.44%, बदायूं में 20.39%, सिद्धार्थनगर में 20.33%, संभल में 20.29% वोटरों के नाम सूची से कटे हैं।

