क्या है केजरीवाल द्वारा पूर्व सरकारी बंगले के नवीनीकरण पर विवाद ?
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क्या है केजरीवाल द्वारा पूर्व सरकारी बंगले के नवीनीकरण पर विवाद ?

भाजपा ने केजरीवाल पर दिल्ली के मुख्यमंत्री रहते हुए अपने सरकारी आवास पर खूब पैसा खर्च करने का आरोप लगाया, सार्वजनिक धन का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया; आप ने जीर्णोद्धार को आवश्यक रखरखाव बताया


BJP AAP Sheesh Mahal Row: दिल्ली सरकार के पीडब्लूडी विभाग द्वारा दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के पूर्व सरकारी आवास 6 फ्लैगस्टाफ रोड में लगी तमाम वस्तुओं की सूची जारी करने के बाद भाजपा ने आम आदमी की सरकार कहे जाने वाली आम आदमी पार्टी और उसके राष्ट्रिय संयोजक अरविन्द केजरीवाल पर जमकर हमला बोला है. भाजपा का आरोप है कि जो कभी सरकारी बँगला न लेने का दावा करते थे वो अब ऐशो आराम के सामन भी सरकारी खजाने से लगवाते हैं. भाजपा ने केजरीवाल के पूर्व सरकारी आवास को शीश महल की संज्ञा भी दी है.


क्या हैं आरोप?
भाजपा का दावा है कि केजरीवाल के नौ साल तक बंगले में रहने के दौरान सरकारी आवास में करोड़ों रूपये रूपये का सामन लगवाया, जिसमें लाखों रूपये के कमोड लगवाए तो लाखों के परदे भी. सूची बहुत लम्बी है. दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने इस खर्च की निंदा करते हुए इसे करदाताओं के पैसे की फिजूलखर्ची बताया.

लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा कथित रूप से तैयार की गई सूची में सूचीबद्ध कुछ वस्तुएं इस प्रकार हैं:

• टोटो स्मार्ट टॉयलेट सीट: इसमें स्वचालित सेंसर, गर्म सीटें और वायरलेस नियंत्रण की सुविधा है, कथित तौर पर प्रत्येक की लागत 10-12 लाख रुपये है।

• उच्च तकनीक वाले रसोई उपकरण: एआई-सक्षम स्क्रीन वाला एक स्मार्ट रेफ्रिजरेटर (9 लाख रुपये), एक स्टीम ओवन (9 लाख रुपये) और एक बॉश कॉफी मशीन (2.5 लाख रुपये)।

• मनोरंजन एवं साज-सज्जा: 16 सोनी अल्ट्रा स्लिम 4K टीवी, जिनकी कुल कीमत 64 लाख रुपये है, तथा लक्जरी रिक्लाइनर सोफा, जिनकी कीमत 10 लाख रुपये है।

टॉयलेट सीट गायब
भाजपा ने यह भी बताया कि केजरीवाल के आवास खाली करने के बाद टोटो स्मार्ट टॉयलेट सीट जैसी कुछ महंगी वस्तुएं कथित तौर पर "गायब" हो गईं।

भाजपा का अभियान और जांच

भाजपा ने सीएम के आधिकारिक आवास को "शीशमहल" नाम दिया है, क्योंकि इसके जीर्णोद्धार और आंतरिक साज-सज्जा में बहुत खर्च हुआ है। भाजपा ने खर्चों की वैधता पर सवाल उठाते हुए लगातार अभियान चलाया है, खासकर तब जब मूल जीर्णोद्धार बजट 15-20 करोड़ रुपये था, जो कथित तौर पर बढ़कर 53 करोड़ रुपये हो गया। भाजपा नेताओं का आरोप है कि जीर्णोद्धार में जरूरत से कहीं ज्यादा खर्च किया गया और इसमें वित्तीय और प्रक्रियात्मक मानदंडों का उल्लंघन किया गया।
इन आरोपों की जांच के तहत गृह मंत्रालय ( MHA ) ने भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा विशेष ऑडिट का आदेश दिया है। ऑडिट दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना की सिफारिश के बाद शुरू किया गया था, जिन्होंने जीर्णोद्धार प्रक्रिया में "वित्तीय अनियमितताओं" को चिह्नित किया था।
जांच से यह स्पष्ट करने का प्रयास किया जाएगा कि मुख्यमंत्री आवास के जीर्णोद्धार में सार्वजनिक धन का दुरुपयोग किया गया या नहीं। कैग ऑडिट यह निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा कि क्या कोई वित्तीय अनियमितता या प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ था।

आप की प्रतिक्रिया
वहीँ आप ने आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें राजनीति से प्रेरित बताया है। केजरीवाल की उत्तराधिकारी दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने जोर देकर कहा है कि आप को बंगले में कोई दिलचस्पी नहीं है और वह दिल्ली के लोगों की सेवा करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, भले ही उन्हें सड़कों से काम करना पड़े। अन्य आप नेताओं ने तर्क दिया है कि जीर्णोद्धार आवश्यक था क्योंकि इमारत जीर्ण-शीर्ण अवस्था में थी, और छत के कुछ हिस्से ढह गए थे।
पार्टी ने यह भी कहा है कि सरकार के अन्य नेताओं ने भी इसी तरह के खर्च किए हैं। उदाहरण के लिए, उनका दावा है कि प्रधानमंत्री आवास के नवीनीकरण पर 89 करोड़ रुपये खर्च हुए, जबकि नए प्रधानमंत्री आवास के निर्माण की अनुमानित लागत 467 करोड़ रुपये है।


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