
अमूल-नंदिनी सस्ते, आविन महंगा क्यों? उपभोक्ताओं ने उठाए सवाल
जीएसटी कटौती के बावजूद आविन ने घी-बटर की कीमतें नहीं घटाईं। उपभोक्ता, व्यापारी और विपक्ष सभी भड़क गए। अब मामला नोटिस और जांच तक पहुँच सकता है।
तमिलनाडु की राज्य संचालित डेयरी कोऑपरेटिव आविन (Aavin) विवादों में है। वजह यह है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में डेयरी उत्पादों पर जीएसटी दर को 12% से घटाकर 5% कर दिया था, जो 22 सितंबर 2025 से लागू हुआ। अमूल (Amul), मिल्मा (Milma) और नंदिनी (Nandini) जैसी बड़ी डेयरी कोऑपरेटिव्स ने तुरंत 20 से 40 रुपये प्रति किलो तक घी और बटर के दाम घटाकर ग्राहकों को राहत दी। लेकिन आविन ने अपने उत्पादों का एमआरपी (MRP) जस का तस बनाए रखा।
जीएसटी भवन से नोटिस की तैयारी
द फ़ेडरल को सूत्रों ने बताया कि चेन्नई स्थित जीएसटी भवन के अधिकारी आविन को नॉन-कॉम्प्लायंस को लेकर नोटिस भेजने वाले हैं। सवाल यह है कि जब जीएसटी कानून उपभोक्ताओं तक लाभ पहुँचाने को कहता है तो आविन ने क्यों कीमतों में कटौती नहीं की? संभावना है कि आविन को जीएसटी ट्रिब्यूनल के सामने पेश होना पड़ सकता है।
दूध विक्रेताओं की शिकायत
तमिलनाडु मिल्क डीलर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष एस. ए. पोनुसामी ने आविन पर आरोप लगाया कि उसने जीएसटी कटौती लागू नहीं की। उन्होंने बुधवार (24 सितंबर) को जीएसटी अधिकारियों से इसकी लिखित शिकायत की। उन्होंने कहा “ग्राहक पूछ रहे हैं कि अमूल और नंदिनी ने कीमतें घटाईं तो आविन ने क्यों नहीं? हमारे पास कोई जवाब नहीं है। यह फैसला उपभोक्ताओं और खुदरा विक्रेताओं दोनों के साथ धोखा है।”
आविन का बचाव
आविन अधिकारियों का कहना है कि उनके उत्पाद पहले से ही निजी और अन्य कोऑपरेटिव डेयरियों की तुलना में सस्ते हैं। आगे कीमत घटाने से उत्पादन लागत प्रभावित होगी। उनका कहना है कि चूंकि कीमतें जीएसटी सहित तय होती हैं, इसलिए किसी भी बदलाव के लिए राज्य सरकार का औपचारिक आदेश जरूरी है। हमने स्थायी कटौती नहीं, बल्कि त्योहारों पर डिस्काउंट ऑफर शुरू किया है।”
उदाहरण:
500 ग्राम बटर: ₹275 (दूसरों से ₹10–₹50 कम)
पनीर: 200 ग्राम ₹110 (पहले ₹120), 500 ग्राम ₹275 (पहले ₹300)
घी (1 लीटर कार्टन): ₹690 से घटाकर ₹650
घी (50 ml): ₹48 से ₹45
घी (15 kg टिन): ₹11,880 से घटाकर ₹10,725
UHT मिल्क 150 ml पैक: ₹10 (एमआरपी ₹12 होने के बावजूद)
आविन का कहना है कि दूध और उप-उत्पादों की कीमतें वे हमेशा बाजार से कम रखते हैं ताकि उपभोक्ताओं को फायदा मिले। साथ ही 90% बिक्री का पैसा सीधा किसानों को जाता है।
विपक्ष और उपभोक्ताओं का आक्रोश
उपभोक्ता अमूल की कीमतों की तुलना कर आविन के रवैये को अनुचित बता रहे हैं। विपक्षी पार्टियों भाजपा और पीएमके ने भी आविन पर हमला बोला।पीएमके नेता अंबुमणि रामदॉस ने आरोप लगाया कि आविन ने जनता का भरोसा तोड़ा है। जीएसटी कटौती का फायदा छुपा लिया। अमूल और नंदिनी ने तुरंत दाम घटाए लेकिन आविन ने एमआरपी वही रखा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि 1 किलो घी का पैक पहले ₹700 था। जीएसटी कटने के बाद इसकी कीमत लगभग ₹656 होनी चाहिए थी। लेकिन आविन ने बेस प्राइस बढ़ाकर एमआरपी जस का तस रखा।
त्योहारों के मौसम पर असर
आविन की दीवाली सेल हर साल खास रहती है। पिछले साल ही उसने ₹126 करोड़ की बिक्री की थी, जो उसके सालाना वैल्यू-एडेड उत्पाद राजस्व (₹600 करोड़) का पाँचवाँ हिस्सा है। घी, बटर और पनीर त्योहारों में ज्यादा बिकते हैं। ऐसे में अगर उपभोक्ताओं को लगे कि आविन महंगा है तो वे आसानी से प्रतिस्पर्धी ब्रांड्स की ओर रुख कर सकते हैं।
यह विवाद अब सिर्फ कीमतों का मुद्दा नहीं, बल्कि उपभोक्ता विश्वास, खुदरा व्यापारियों की नाराज़गी और सरकार की जनहित नीति पर भी सवाल खड़ा कर रहा है।