
दिल्ली में अस्पताल घोटाला! AAP नेता सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन पर भ्रष्टाचार का केस
Delhi Health Scam: दिल्ली की हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में हुए इस कथित घोटाले की जांच अब तेज हो गई है. जनता के टैक्स के पैसे से बनने वाले अस्पतालों में कमीशनखोरी और देरी ने ना सिर्फ आम आदमी को नुकसान पहुंचाया, बल्कि व्यवस्था की सच्चाई भी उजागर कर दी.
Delhi Hospital Scam: जनता को बेहतर इलाज देने की उम्मीद से बनाई गईं दिल्ली सरकार की बहुचर्चित स्वास्थ्य परियोजनाएं अब भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में फंस गई हैं. आम आदमी पार्टी के दो बड़े चेहरे सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन पर हजारों करोड़ के घोटाले का आरोप लगा है. भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) ने इन पर अस्पताल निर्माण और मेडिकल उपकरण खरीद में धांधली के आरोप में केस दर्ज किया है. दोनों पर आरोप है कि उन्होंने स्वास्थ्य उपकरणों की खरीद और अस्पताल निर्माण परियोजनाओं में बड़े घोटाले किए हैं.
ACB से मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली सरकार की अस्पताल से जुड़ी परियोजनाओं में भारी भ्रष्टाचार और वित्तीय गड़बड़ियां पाई गईं हैं. इन परियोजनाओं की शुरुआत साल 2018-19 में की गई थी. 5,590 करोड़ रुपये की लागत से 24 अस्पताल परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी. लेकिन इनमें अनावश्यक देरी और लागत तीन गुना बढ़ने की बात सामने आई है.
क्या-क्या गड़बड़ियां हुईं?
1. 24 अस्पताल परियोजनाएं मंजूर, जिनमें 11 नई (ग्रीनफील्ड) और 13 पुरानी (ब्राउनफील्ड) थीं.
2. ICU अस्पतालों का निर्माण मात्र 6 महीने में होना था. लेकिन 3 साल बाद भी आधा काम भी नहीं हुआ.
3. लोकनायक अस्पताल की लागत 465 करोड़ से बढ़कर 1125 करोड़ हो गई – यानि 3 गुना ज्यादा खर्च.
4. 94 पॉलीक्लिनिक बनाने थे. लेकिन सिर्फ 52 बने और उस पर भी 220 करोड़ खर्च हो गए.
5. ई-हॉस्पिटल सिस्टम जैसे सस्ते समाधान को बार-बार नजरअंदाज किया गया.
शिकायत कब और किसने की?
22 अगस्त 2024 को विपक्ष के तत्कालीन नेता विजेंद्र गुप्ता ने शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने आरोप लगाया कि बजट में हेरफेर किया गया, ठेकेदारों से सांठगांठ हुई और सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ.
जांच में क्या निकला?
ACB को जांच में यह बातें सामने आईं कि जानबूझकर देरी की गई, फालतू ढांचों पर पैसे खर्च हुए, जरूरी योजनाओं को टाला गया और सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचा.
सतर्कता विभाग की सिफारिश
लोक निर्माण विभाग (PWD) ने कहा कि इस मामले की गहन सतर्कता जांच होनी चाहिए, ताकि भ्रष्टाचार की गहराई समझी जा सके, ज़िम्मेदार लोगों की पहचान हो सके और कानून के अनुसार कार्रवाई की जा सके.
जांच की अनुमति कैसे मिली?
इस केस को दर्ज करने के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (POC Act) की धारा 17A के तहत उच्च स्तर से अनुमति ली गई है. सतर्कता विभाग ने उपराज्यपाल (LG) के पास फाइल भेजी और फिर यह मामला गृह मंत्रालय को भेजा गया.