दिवाली की रोशनी के बाद धुआं और सियासत दोनों गहराए!
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दिवाली की रोशनी के बाद धुआं और सियासत दोनों गहराए!

दिल्ली में प्रदूषण पर बीजेपी-आप आमने-सामने, आरोप–साजिश, डेटा हेराफेरी और धर्म की राजनीति तक पहुँची बहस।


Air Pollution In Delhi : दिवाली बीत चुकी है लेकिन उसके बीतने के साथ ही प्रदूषण को लेकर राजनीती शुरू हो गयी. आलम ये रहा कि दिल्ली की सत्ता में काबिज भाजपा सरकार की तरफ से विपक्षी दल आम आदमी पार्टी पर दिल्ली में प्रदूषण को बढ़वाने का ज़िम्मेदार ठहराया गया. इतना ही नहीं यहाँ तक कहा गया कि आम आदमी पार्टी सनातन हिन्दू धर्म के पर्व दिवाली को लेकर जिस तरह से राजनीती करते हुए भाजपा पर आरोप लगा रही है, वो ठीक नहीं है. दरअसल दिवाली पर प्रदूषण को लेकर राजनीती की शुरुआत सोमवार शाम से ही शुरू हो गयी. जब आप के तमाम नेताओं ने दिल्ली के AQI लेवल को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करना शुरू किया. इसके जवाब में दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण को बढ़ाने के लिए आप ने साजिश रचते हुए पंजाब में किसानों से जबरन पराली जलवाई है. इस पूरे मुद्दे पर द फ़ेडरल देश ने पक्ष विपक्ष के अलावा पर्यावरण विद से भी बात की ताकि इस मुद्दे को समझा जा सके.



आप की तरफ से लगाए गए आरोप

आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने सोमवार रात को लगभग 12 बजे X पर पोस्ट करते हुए एक ग्रैब साझा किया जिसमें दिल्ली के नारायणा का AQI लेवल 1991 दर्शाया गया था. इस पर संजय सिंह ने लिखा 'हमारी दिल्ली'. इसके बाद सौरभ भरद्वाज ने मंगलवार को कई पोस्ट किये जिसमें से एक में ये आरोप लगाया कि भाजपा पटाखा लॉबी के साथ है. उन्होंने लिखा कि ''पहले यह संदेह था कि बीजेपी की दिल्ली सरकार का मल्टी-करोड़ “पटाखा लॉबी” के साथ कुछ समझौता था, लेकिन अब यह लगभग निश्चित है। दिल्ली सरकार के जिला मजिस्ट्रेट,उनकी टीमें और दिल्ली पुलिस ने सामान्य पटाखों की अवैध बिक्री को नहीं रोका, हालांकि सुप्रीम कोर्ट की अनुमति केवल “हरे पटाखों” के लिए थी। दिवाली की रात दिल्ली के प्रदूषण स्तरों PM2.5 और PM10 के CPCB डेटा उपलब्ध क्यों नहीं ? (20 अक्टूबर की शाम 7 बजे से 21 अक्टूबर की सुबह 6 बजे तक). दिवाली की रात अधिकांश DPCC वायु प्रदूषण निगरानी स्टेशनों पर डेटा क्यों गायब था?
क्या सरकार अब प्रदूषण डेटा में हेराफेरी कर रही है?


दिल्ली सरकार का पलटवार

इन सब आरोपों के जवाब में दिल्ली सरकार की तरफ से एक प्रेस कांफ्रेंस की गयी. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि ''मैं आपको दिखाना चाहता हूँ कि कैसे आम आदमी पार्टी जानबूझकर पंजाब में किसानों को चेहरा ढककर पराली जलाने पर मजबूर कर रही है... ताकि इस पराली का असर दिल्ली पर हो। AAP नेता अरविंद केजरीवाल ने दस साल मुख्यमंत्री रहते हुए पंजाब के किसानों को गालियाँ दीं। लेकिन अब सिर्फ़ सात महीनों में हमने एक ऐसी बीमारी पर काम करना शुरू किया है, जो पिछले 27 सालों से थी। अब इनके पेट में दर्द हो रहा है. इतना ही नहीं सिरसा ने अपनी कांफ्रेंस में आप पर हिन्दू त्यौहार का विरोधी भी बताया. उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा कि ''2023 में दिवाली वाले दिन AQI था 218, और अगली सुबह बढ़कर 301 पहुँचा, यानी 83 अंकों की बढ़ोतरी!
2024 में दिवाली वाले दिन AQI था 328, और अगले दिन 360 यानी 32 अंकों का अंतर, वो भी पटाखा बैन और तमाम पाबंदियों के बावजूद।
लेकिन 2025 में, जब पटाखों पर कोई बैन नहीं था, लोगों ने अपनी आस्था और परंपरा के साथ दिवाली मनाई, पटाखे भी जलाए, तब दिवाली वाले दिन 345 से अगले दिन 356 पहुँचा, यानी महज़ 11 अंकों की बढ़ोतरी!
अब बताइए, आंकड़े क्या कह रहे हैं?
पिछले दस सालों में जो सरकार कभी ऑड-ईवन, कभी पटाखा बैन, कभी तमाम पाबंदियाँ लगाकर भी हालात नहीं संभाल पाई, वो दिल्लीवासियों की आस्था पर सवाल उठाने या आरोप-प्रत्यारोप का खेल खेलने का कोई हक नहीं रखती।
क्योंकि इस साल दिल्ली ने पर्व और पर्यावरण, दोनों का संतुलन बनाते हुए दिवाली मनाई है।
सिरसा ने क्लाउड सीडिंग को लेकर भी कहा कि हमारी तैयारी पूरी है. हम सीडिंग के साथ तैयार हैं लेकिन क्लाउड अभी नहीं है. जैसे ही क्लाउड बनते हैं तो हम इस प्रक्रिया को भी अपनाएंगे. जब उनसे क्लाउड सीडिंग में रसायन के इस्तेमाल की बात की तो सिरसा ने कहा कि ये तकनीक IIT दिल्ली द्वारा इस्तेमाल की जाएगी. इसके बावजूद ऐसी बात की जा रही है.


आप की प्रतिक्रिया

सिरसा की कांफ्रेंस में लगाया गए आरोपों के बाद आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश के संयोजक सौरभ भारद्वाज ने सिरसा द्वारा पंजाब के किसानों को बदनाम करने का आरोप लगते हुए इसे हिन्दू और सिख धर्म की तरफ मोड़ दिया. सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली की भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि ''भाजपा के मंत्री की प्रेस वार्ता में उनसे CPCB और DPCC द्वारा पोल्युशन के डाटा को छुपाने के बारे में पूछा तो जवाब गोल मोल था.


पंजाब सिख किसानों के बारे में कह सकता हूँ कि वो दिवाली को बदनाम करने के लिए कभी षड्यंत्र नहीं करेंगे, उनपर आरोप लगाना शर्मनाक हैं. सिक्ख़ गुरुओं ने तो हिंदुओं के लिए जान दी थी , उनपर आरोप लगाना पाप है. सरकार चलाना एक ज़िम्मेदारी का काम है ,हवा के प्रदूषण और यमुना के प्रदूषण पर झूठ बोलकर आप लोगों और बच्चों की जान के साथ खेल रहे हैं.
इसके अलावा उन्होंने सीपीसीबी का डाटा छुपाने का भी आरोप लगाया.


पर्यावरण के लिहाज से


ये तो रही राजनीती की बात लेकिन पर्यावरणविद इस पूरे विषय पर क्या राय रखते हैं. इसे लेकर हमने डॉ मनु सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि दिल्ली में जिस तरह से AQI लेवल पिछले 8 से 10 दिनों से ख़राब स्थिति में था और दिल्ली में GRAP 1 लागू हो चुका था, उसके बाद भी दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से ग्रीन पटाखों के लिए इजाजत मांगी. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने इजाजत दे दी, वो और भी ज्यादा चौकाने वाला रहा. ग्रीन पटाखों की बात करें तो ये पटाखे पुराने पटाखों की तुलना में सिर्फ 30 प्रतिशत प्रदूषण कम करते हैं. यानी प्रदूषण करते हैं. दूसरी बात ये कि जो समय अवधि दी गयी थी, उस अवधि के अतिरिक्त भी बड़ी मात्रा में पटाखे छुडाये गए. यानी कि दिल्ली पुलिस का जो काम था वो सही से नहीं हुआ. तय समय के अतिरिक्त पटाखे छुड़ाने वालों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी. प्रदूषण को लेकर बात करें तो AQI लेवल दिवाली वाले दिन खासतौर से रात को काफी खराब स्थिति में पहुंचा. जो पहुँचाना ही था. सिर्फ AQI ही प्रदूषण का पैमाना नहीं होता. इसके अतिरिक्त भी कई और चीजें हैं, जैसे धूल आदि, ये भी प्रदूषण को बढ़ाते हैं. दिल्ली में जाम भी काफी ज्यादा देखने को मिला था. दिवाली के चलते पिछले 10 दिनों से दिल्ली में जाम आम बात थी, जिसकी वजह से वाहनों से होने वाला उत्सर्जन काफी ज्यादा रहा और AQI लेवल काफी ज्यादा हो चुका था. पटाखों की वजह से AQI में एक दम से उछाल आ गया. रही बात पराली की तो सिर्फ पंजाब इसके लिए ज़िम्मेदार है, ये सही नहीं है. इस समय पश्चिम से हवाएं आ रही हैं, आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में पराली जलाई जा रही है, जिसकी वजह से यहाँ तक उसका प्रभाव देखने को मिल रहा है. डॉ मनु ने ये भी कहा कि वायु प्रदूषण की वजह से हर वर्ष उत्तर भारत में 10 लक्झ लोग अपनी जान गँवा देते हैं. इसके बावजूद भी दिवाली पर पटाखों को लेकर सरकार द्वारा मंजूरी लेना अपने में चिंताजनक बात है.
डॉ मनु ने क्लाउड सीडिंग को लेकर भी कहा कि ये कोई अच्चा विकल्प नहीं है. दुनिया भर में जहाँ भी क्लाउड सीडिंग की गयी है, 95 प्रतिशत जगहों पर सिल्वर आयोडायड का इस्तेमाल किया जाता है, जो रसायन है और उसके अपने नुक्सान है. इसके अलावा एक उदहारण दुबई का है, जिसने क्लाउड सीडिंग करवाई और फिर वहां जरूरत से ज्यादा बरिश हो गयी, जिसकी वजह से बाढ़ आ गयी. अगर ऐसा दिल्ली में होता है तो क्या करेंगे? इसलिए सरकार को मजबूती से कोई ठोस कदम उठाना होगा.


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