बाढ़ के बाद के हाल : पंजाब में पशुपालन पर पड़ी है सैलाब की बड़ी मार
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पंजाब सरकार का आकलन है कि बाढ़ में राज्य का 3.60 लाख पशुधन प्रभावित हुआ है

बाढ़ के बाद के हाल : पंजाब में पशुपालन पर पड़ी है सैलाब की बड़ी मार

ऐसा नहीं है कि अब फिलहाल पंजाब में बाढ़ के हालात नहीं हैं, तो सब ठीक है। लगातार बारिश का सिलसिला थमने और उफनती नदियों से पानी उतरने के बाद अब नई तरह की समस्यायें पैदा हो गई हैं और सबसे बड़ी चुनौती बन गए हैं मवेशी।


ऐसा भी नहीं है कि पंजाब में पानी उतरने लगा है तो अब फिक्र की कोई बात नहीं है या आपदा की मार झेलने वाले पंजाब का दौरा करके प्रधानमंत्री मोदी 1600 करोड़ रुपये का राहत पैकेज एलान कर चुके हैं, तो सारी समस्या दूर हो जाएगी।

मूसलाधार बारिशों का सिलसिला थमने और बाढ़ का पानी उतरने के साथ ही पंजाब के गांवों, कस्बों, नगरों, शहरों की परेशानी रोज-ब-रोज़ बढ़ने लगी है। अभी पंजाब के सामने चुनौतियों का पहाड़ खड़ा है। फिलहाल तो दो बड़ी चुनौतियां दिख रही हैं। एक है, सैलाब की वजह से रेगिस्तान बने खेत और दूसरी, बाढ़ में मरे हुए जानवर।

पंजाब में बाढ़ की वजह से खेतों में जमा कई फीट रेत को निकालने के लिए किसानों का संघर्ष चल रहा है। सरकार ने एक पॉलिसी का भी एलान कर दिया है लेकिन लहलहाते खेतों को दफ्न करके बाढ़ जो कई फीट रेत की चादर बिछा गई है, उससे पार पाना इतना आसान भी नहीं है।

लेकिन फिलहाल सबसे बड़ी और तात्कालिक चुनौती मुंह बाये खड़ी है और वो है भारी संख्या में मरे हुए जानवर। वो पशु, जिन्हें पशुधन कहा जाता रहा है। जो पंजाब की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एक अहम योगदान देते रहे हैं। वो बेजुबान अब पंजाब में इंसानी आबादी के लिए सबसे बड़ी समस्या बन गए हैं।

असल में वो सैलाब इतना भीषण था कि पंजाब का बड़ी संख्या में पशुधन बाढ़ के पानी में डूब गया। लोकल मीडिया रिपोर्ट्स बता रही हैं कि अब जब पानी घट रहा है तो जानवरों के शव सतह पर आ रहे हैं। ऐसी खबरें सबसे ज्यादा गुरदासपुर, अमृतसर, कपूरथला, तरनतारन, फिरोजपुर और फाजिल्का से सामने आ रही हैं।

तो सबसे बड़ा चैलेंज ये है कि बड़ी संख्या में मरे हुए जानवरों के शवों का निपटारा कैसे किया जाए? इन शवों को वैज्ञानिक तरीके से ठिकाने लगाना जरूरी है। अगर जानवरों के शव ऐसे ही सड़ते रहे तो पहले से ही बाढ़ से बेहाल पंजाब की जनता बीमारियों की चपेट में आ जाएगी

अमृतसर से लोकल मीडिया की रिपोर्ट बता रही है कि मरे हुए पशुओँ की वजह से अमृतसर में बीमारियां फैलनी शुरू हो गई हैं। इस समस्या से निपटना अकेले पंजाब सरकार के वश में नहीं है।

पंजाब में जो पशुपालक हैं, जो किसान हैं, उनकी नज़रें अब केंद्र सरकार की ओर हैं। वो कह रहे हैं कि इस बाढ़ में उनके मवेशियों का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई की जाए।

स्थानीय प्रशासन के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स बता रही हैं कि पिछले तीन हफ्ते में पंजाब का कुल 3 लाख 60 हजार पशुधन बाढ़ से प्रभावित हुआ है

जरा सोचिए, कितनी बड़ी तादाद है ! साढ़े तीन लाख मवेशी या तो बह गए हैं या मर गए हैं। यही नहीं सैकड़ों मवेशी, जिनमें मृत और जीवित दोनों शामिल हैं, वे रावी नदी में आए उफान में बहकर पाकिस्तान की ओर चले गए हैं।

पंजाब पर ये चौतरफा मार है। मवेशियों का नुकसान इसलिए भी बड़ी चिंता की बात है क्योंकि इसी साल पंजाब में हुई पशुगणना में चिंताजनक तस्वीर सामने आई थी। जो पशुगणना के शुरुआती डेटा सामने आए थे, उसके मुताबिक, पंजाब में मवेशियों की संख्या में 8.5% की गिरावट आई है। यानी 2019 की तुलना में पंजाब में पशुओं की कुल आबादी 5 लाख 78 हजार घटी है।

हालांकि इस पशुगणना में एक नया ट्रेंड ये देखने को मिला था कि पंजाब में मुर्गी पालन की ओर लोगों का झुकाव बढ़ा है। रिपोर्ट बता रही है कि पंजाब में पॉल्ट्री काउंट 2019 की तुलना में डबल हो गया है।

तो इस आपदा ने पंजाब की सिर्फ खेती को ही नुकसान नहीं पहुंचाया है, बल्कि यहां जो किसान डेयरी और पोल्ट्री के काम में लगे हुए थे, उनकी भी इस आपदा ने रीढ़ तोड़ दी है।

इसका सीधा-सीधा मतलब ये हुआ कि पंजाब की ग्रामीण अर्थव्यवस्था, जोकि पंजाब की पहचान रही है, उसको बहुत गहरी चोट लगी है हालांकि पंजाब सरकार का दावा है कि उसने बाढ़ के बीच से पांच लाख से ज्यादा पशुओं को बचाया भी है। लेकिन तात्कालिक चिंता बचाए गए जानवरों और मरे हुए जानवरों मवेशियों दोनों को लेकर है। जिंदा बचे जानवरों पर बीमारियों का खतरा है और मरे हुए जानवरों से बीमारियां फैलने का खतरा है।

स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाढ़ का पानी उतरने के बाद दूध देने वाले मवेशियों यानी मिल्क एनीमल्स बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, पशु चिकित्सकों ने चेतावनी दी है कि पंजाब में बाढ़ का पानी घटने के साथ ही खासकर दूध देने वाले पशुओं में संक्रामक रोगों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है।

उनका कहना है कि पानी और चारे में मौजूद पैथोजन्स मवेशियों तक पहुँच सकते हैं और इससे दूध की सप्लाई में भी harmful bacteria घुस सकते है जो इंसानों को नुकसान पहुंचाएँगे।

तो पंजाब में बाढ़ की वजह से जो जानवर मारे गए हैं, उनके शवों को वैज्ञानिक तरीके से दफनाना फिलहाल बहुत बड़ा लक्ष्य है क्योंकि अगर उन जानवरों के शवों में नमक और चूना डालकर या केमिकल से सड़ाने-गलाने का इंतजाम नहीं किया गया तो पंजाब की एक बड़ी इंसानी आबादी बीमारियों की चपेट मेें आ जाएगी।

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