ओवैसी को चुभा मुजरा बयान, शब्द से दिक्कत या वजह कुछ और
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ओवैसी को चुभा 'मुजरा' बयान, शब्द से दिक्कत या वजह कुछ और

चुनावी मौसम में राजनीतिक दलों के नेता तंज के जरिए अपने विरोधियों पर निशाना साधते हैं. लेकिन कुछ शब्द ऐसे होते है जो विवादों के केंद्र में आ जाते हैं. मुजरा शब्द भी उनमें से एक है.


Asaduddin Owaisi News: मौसम चुनावी, पारा गरम हो तो सियासतदानों की जुबां भी कुछ अधिक तीखी हो जाती है.आम चुनाव 2024 के अंतिम चरण में 1 जून को मतदान होना है. इस चरण में कुल 57 सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत को मतदाता ईवीएम में लॉक करेंगे. अंतिम चरण का चुनाव खासतौर से हिंदी भाषी राज्यों से जुड़ा है. इस फेज में मतदाताओं के दिल में अधिक से अधिक जगह बनाने के लिए नेता अपने अपने तरीके से बातों को रख रहे हैं. पीएम नरेंद्र मोदी हाल ही में बिहार में चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे और अपने भाषण में मुजरा शब्द का प्रयोग किया. उनके इस शब्द पर कांग्रेस से लेकर आरजेडी के नेताओं ने आपत्ति जताई और कहा कि पीएम संयम खो रहे हैं, भाषाई मर्यादा को भूल चुके हैं. इन सबके बीच एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने भी अपने तरकश से तीर निकाल पीएम मोदी पर निशाना साध डाला.

मोदी जी अब कर रहे हैं भांगड़ा, डिस्को और भरतनाट्यम

असदुद्दीन ओवैसी ने पाटलिपुत्र में रैली के दौरान कहा था कि कहा कि मोदी को भांगड़ा, डिस्को और भरतनाट्यम कर रहे हैं. ओवैसी ने तंज कसते हुए सवाल भी किया. उन्होंने पूछा कि क्या पीएम को इस तरह की भाषा बोलनी चाहिए. मोदी क्या सोचते हैं कि हम नहीं बोल सकते.हमारे मुंह में जबान नहीं है. हम भी बहुत बोल सकते हैं. आरएसएस के इतिहास पर बयान हम भी जारी कर सकते हैं. ओवैसी कहते हैं कि पीएम मोदी 56 इंच सीना की बात करते हैं. लेकिन चीन पिछले तीन साल से दो हजार वर्ग किमी जमीन पर कब्जा कर बैठा हुआ है. मोदी जी चीन को उस कब्जे वाले इलाके से हटा नहीं पा रहे. यही तो सवाल है कि क्या वो चीन के साथ डिस्को डांस कर रहे हैं. धर्म संसद में मुसलमानों खासतौर से हमारी माताओं और बहनों पर टिप्पणी की जाती है. लेकिन मोदी जी भांगड़ा करते नजर आते हैं. जो लोग सीएए और बुलडोजर का नारा बुंलंद करते हैं उनके साथ मोदी जी भरतनाट्यम करते नजर आते हैं.

अब तो खुद कहते हैं भगवान

ओवैसी कहते हैं कि अब तो उन्हें आशंका होती है कि मोदी जी इंसान हैं या नहीं. वो खुद ही कहते हैं कि भगवान ने उन्हें खास मकसद के लिए भेजा है. पहले वो अच्छे दिन आने की वकालत करते थे. फिर 15 लाख की बात, फिर चौकीदार और अब वो खुद को भगवान कह रहे हैं. लेकिन सच तो यह है कि लोकतंत्र में अवाम ही सबसे बड़ी ताकत है. अवाम के लिए हर कोई सेवक है, लेकिन पीएम मोदी अब खुद को भारत से बड़ा बता रहे हैं. इस तरह की बात वो क्यों कर रहे हैं. बड़ी बड़ी बातें किया करते थे. हकीकत आज यह है कि गरीबों को और गरीब कर दिया. नौजवान, नौकरी के लिए भटक रहा है. लेकिन मोदी जी बड़ी बड़ी बात करने से फुर्सत ही कहां है.
क्या कहते हैं जानकार
सियासी बयानों पर गहराई से शोध करने वाले डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अनिल राय कहते हैं कि इसे आप दो नजरिए से देख सकते हैं. पहला तो यह कि कौन सा नेता किस इलाके में और किन लोगों को संबोधित कर रहा है. इस तरह के बयान के जरिए अपने कार्यकर्ताओं और कोर वोटर्स में जोश भरा जाता है. दूसरा यह है कि इसके जरिए अपने विरोधियों को संदेश देने की कोशिश भी. अगर आप पीएम मोदी के मुजरा शब्द को देखें तो सामान्य तौर पर इसे तवायफों के नाच गाने से समझा जाता है. लेकिन इसका एक अर्थ झुक कर अभिवादन भी करना होता है. जैसे हिंदी में एक मुहावरा है कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय. इसमें कनक शब्द के कई अर्थ हैं. जो जिस समाज से जुड़ा होता है उसके हिसाब से व्याख्या करता है. इसके साथ ही गोरखपुर के स्थानीय पत्रकार अजीत सिंह कहते हैं कि जब ओवैसी इस तरह के शब्दों पर प्रतिक्रिया देते हैं तो शायद वो अपने इतिहास को भूल जाते हैं. चुनाव के समय इस तरह से बयान या शब्द का इस्तेमाल सिर्फ और सिर्फ जोश भरने के लिए किया जाता है. पीएम मोदी ने जो कहा उसके पीछे सिर्फ और सिर्फ अपने कोर वोटर्स को सहेजन की कवायद थी और ओवैसी जो कह रहे हैं वो भी सिर्फ अपने वोटर्स को सहेजने की कोशिश है.
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