सितंबर में यह हाल तो नवंबर में क्या होगा, हवा की भी सेहत खराब
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सितंबर में दिल्ली में कई जगहों पर प्रदूषण का स्तर बढ़ा, फोटो प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल

सितंबर में यह हाल तो नवंबर में क्या होगा, हवा की भी सेहत खराब

दिल्ली की जनता से हर साल वादा किया जाता है कि नवंबर और दिसंबर में आप की सांस प्रदूषण में कैद नहीं होगी। लेकिन सितंबर के आंकड़े कुछ और ही कहते हैं।


Delhi Air Pollution: साफ हवा, साफ पानी हर एक शख्स का अधिकार है। सरकारों की जिम्मेदारी है वो इसे मुहैया कराएं। लेकिन दिल्ली और एनसीआर के इलाके में करीब 2 महीने तक हवा भी हांफने लगती है। कहने का मतलब यह कि प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। आमतौर पर इस तरह की परेशानी दीवाली के आसपास से शुरू होती है और पूरा नवंबर, दिसंबर करोड़ों की आबादी की सांस पर प्रदूषण का पहरा होता है। दिल्ली की सरकार उसके आस पड़ोस की सरकार वादे और दावे दोनों करते हैं लेकिन नतीजा सिफर। दिल्ली की सरकार ने 21 सूत्रीय कार्ययोजना का जिक्र किया है जिसमें ऑड ईवन के उपाय का भी ऐलान है। लेकिन सितंबर के महीने से ही हवा जहरीली होनी शुरू हो गई है। 6 साल में पहली बार सितंबर के महीने में ही लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है।

सितंबर में फूलने लगा दम
दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बुधवार को भी खराब रहा। वायु की गुणवत्ता सूचकांक यानी 235 दर्ज किया गया। पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में इजाफा हो रहा है। एक्यूआई 200 पार जा चुका है। राजधानी के 36 स्टेशन में से 22 स्टेशन में एक्यूआई 200 से 300 के बीच रहा। एक दिन पहले 18 स्टेशन में यह इतना ही ऊपर था। बुधवार को आनंद विहार में 313 दर्ज किया गया, जिसे गंभीर बताया जाता है। सोनिया विहार में 279, करती सिंह शूटिंग रेंज में 261, जहांगीरपुरी और अलीपुर में यह 258 रहा। बारिश ना होने की वजह से गर्मी और उमस के साथ-साथ दिल्ली का प्रदूषण स्तर लगातार बढ़ा है। इससे पहले बारिश के बीच दिल्ली की हवा कई दिनों तक साफ रही। हर साल की तरह अक्टूबर से हालात और खराब होने की आशंका जताई जा रही है।

स्वच्छ हवा पाने की कवायद
6 साल पहले दिल्ली में वायु की गुणवत्ता 219 के स्तर पर थी। लेकिन इस दफा यह 235 के स्तर पर है। इससे पहले 19 जून को एक्यआई का स्तर 306 था। 19 जून से पहले करीब 6 दिन पहले तक बारिश नहीं हुई। इस विषय पर पर्यावरण के जानकार कहते हैं कि प्रदूषण से निजात पाने के लिए बारिश ही उपाय है। अगर पिछले कई प्रयोगों को देखें जैसे ऑड ईवन तो उससे राहत कुछ समय के लिए मिलती है। जहां तक बात कृत्रिम बारिश की है तो उसे उपाय के तौर पर आजमा सकते हैं। लेकिन उसके नुकसान भी है। जानकार यह भी कहते हैं कि आप पराली जलाने पर सख्ती की बात करते हो लेकिन जमीनी स्तर पर वो नजर नहीं आता। दिल्ली और एनसीआर के इलाकों में निर्माण कार्यों पर लगाम लगा कर। या भारी वाहनों को दिल्ली से बाहर गुजार कर स्वच्छ हवा पाने की कवायद की जाती है। लेकिन उसका इस्तेमाल पहले से किया जा रहा है।

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