फॉरेंसिक रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा, बर्बर हमले से गई अजीत कुमार की जान
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डॉ. कुमार ने चिंताजाहिर करते हुए कहते हैं कि अजीतत के शव को आगे की जांच के लिए संरक्षित नहीं किया गया, जिससे गहन जानकारी प्राप्त करना संभव नहीं हो सका।

फॉरेंसिक रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा, बर्बर हमले से गई अजीत कुमार की जान

फॉरेंसिक एक्सपर्ट डॉ. संपत कुमार पी बताते हैं कि 50 चोट और 45 घाव से आघात इतना गंभीर था कि दर्द, हाइपोवोलेमिक शॉक या बेहोशी से मौत हो सकती थी।


Ajith Kumar Custodial Death: मद्रास मेडिकल कॉलेज के फॉरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी विभाग के सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष और प्रोफेसर डॉ संपत कुमार पी (एमडी, फॉरेंसिक मेडिसिन) ने अजीत कुमार की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का गंभीर विश्लेषण किया है। द फेडरल में प्रकाशित इस रिपोर्ट के आधार पर डॉ कुमार ने इसे महज दिल का दौरा नहीं, बल्कि गंभीर शारीरिक हमले का परिणाम बताया है।

50 से अधिक गहरी चोटें

डॉ कुमार के मुताबिक, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में शरीर के ऊपरी हिस्से पर 12 अब्रेशन (खरोंच) और सिर से पैर तक फैली 44 गहरी चोटें (कंटूज़न) दर्ज की गई हैं। इन चोटों की लंबाई 9 से 23 सेंटीमीटर तक है और ये मांसपेशियों या हड्डियों तक गहराई तक पहुंचती हैं। कई जगह चोटें एक-दूसरे पर चढ़ी हुई हैं, जो अलग-अलग दिशाओं में वार किए जाने को दर्शाती हैं।

उन्होंने बताया कि इन चोटों को लाठी जैसे किसी भारी वस्तु से मारा गया प्रतीत होता है। 50 से अधिक गहरी चोटें, जिनमें से 45 मांसपेशी या हड्डी तक गहरी हैं, इतना गहरा आघात पहुंचाती हैं कि पीड़ा, हाइपोवोलेमिक शॉक या शारीरिक पतन से मृत्यु हो सकती है।”

रिपोर्ट में हृदय से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां भी दी गई हैं जैसे कि बाएं वेंट्रिकल की पीछे की दीवार पर पिटेकियल रक्तस्राव, हृदय के एपेक्स पर 3 x 1.5 सेमी का पीला क्षेत्र, कोरोनरी ओस्टिया में संकुचन, और महाधमनी (एओर्टा) की जड़ में एथेरोमैटस परिवर्तन है। हालांकि ये हॉर्ट अटैक त की ओर इशारा कर सकते हैं, लेकिन डॉ कुमार कहते हैं, चोटों की संख्या और गंभीरता इतनी अधिक है कि ये अपने आप में मृत्यु का प्राथमिक कारण हो सकती हैं। हृदय की स्थिति सहायक या महज संयोग हो सकती है।

अतिरिक्त तथ्य और अधूरी जांच

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि मृतक के पेट में 220 मिलीलीटर भूरे रंग का तरल पदार्थ और 100 ग्राम अधपचा चावल था, जबकि बड़ी आंत पूरी तरह खाली थी। डॉ कुमार ने यह चिंता भी जताई कि शरीर को आगे की जांच के लिए संरक्षित नहीं रखा गया, जिससे गहराई से विश्लेषण की संभावना सीमित हो गई। उन्होंने यह भी बताया कि लंबित एक्स-रे, रक्त और विसरा विश्लेषण से पसलियों में फ्रैक्चर या खोपड़ी की मध्य क्रैनियल फोसा के आधार में दरार जैसी अतिरिक्त चोटों का खुलासा हो सकता है।

‘बर्बर हमला प्रतीत होता है'

डॉ कुमार ने कहा कि चोटों का पैटर्न यह दर्शाता है कि एक ही जगह पर कई बार वार किए गए जो कि अत्यधिक हिंसक हमले का संकेत है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस मामले में निर्णायक रिपोर्ट अभी लंबित रासायनिक, एक्स-रे और हिस्टोपैथोलॉजिकल जांच के बाद ही सामने आएगी।

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