
आकाश आनंद को बिहार में ज़िम्मेदारी- क्या यूपी चुनाव की है तैयारी?
बीएसपी के चीफ नेशनल कोऑर्डिनेटर और मायावती के भतीजे आकाश आनंद बिहार चुनाव में बड़ी भूमिका निभाएंगे। आकाश आनंद कार्यकर्ताओं की बैठक, चुनाव के होमवर्क के साथ टिकट बंटवारे में भी सक्रिय रोल अदा करेंगे। क्या यूपी चुनाव से पहले मायावती आकाश आनंद को तैयार कर रही हैं?
बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने एक बार फिर अपने भतीजे आकाश आनंद पर दांव लगाया है। आकाश आनंद को बिहार चुनाव से पहले बड़ी जिम्मेदारी दी गयी है। पार्टी के चीफ नेशनल कॉर्डिनेटर के तौर पर आकाश आनंद न सिर्फ़ बिहार में कैम्प कर कार्यकर्ताओं से ‘कनेक्ट’ स्थापित करेंगे, बल्कि टिकट बँटवारे में भी अहम भूमिका निभाएँगे। इससे पहले दिल्ली विधानसभा चुनाव में आकाश आनंद को ज़िम्मेदारी मिली थी। तब उनपर टिकट बँटवारे में अपने ससुर के साथ मिलकर मनमानी करने का आरोप लगा था। बाद में मायावती ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था।ऐसे में दोबारा वापसी के बाद आकाश आनंद को मिली यह ज़िम्मेदारी पार्टी में उनके कद और उनकी स्थिति को तय करेगी, साथ ही यूपी विधानसभा चुनाव से पहले स्वतंत्र रूप से काम करने के अनुभव को भी बढ़ाएगी।
अहम भूमिका
मायावती के भतीजे और बहुजन समाज पार्टी के चीफ नेशनल कॉर्डिनेटर आकाश आनंद को बिहार चुनाव में बड़ी ज़िम्मेदारी मिली है। आकाश आनंद 26 जून को पटना पहुँचेंगे। कहा जा रहा है कि बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे को पूरी आज़ादी के साथ बिहार चुनाव में काम करने के लिए कमान सौंपी है। मायावती ने आकाश आनंद को बिहार जाकर कैम्प करने और कैडर को मज़बूत करने का निर्देश दिया है। आकाश आनंद न सिर्फ़ पटना में कैम्प करेंगे, बल्कि कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे। इसके अलावा आकाश युवा वर्ग से संपर्क भी करेंगे। आकाश आनंद की ज़िम्मेदारी बिहार चुनाव से पहले प्रत्याशी तय करने के लिए ज़मीनी कार्यकर्ताओं से मिलना और होमवर्क करना है। आकाश आनंद संभावित प्रत्याशियों को लेकर बात करेंगे और पूरी रिपोर्ट तैयार करेंगे।
ज़िम्मेदारी के लिए तैयार कर रहीं मायावती ?
आकाश आनंद के दौरे पर राजनीतक विश्लेषकों की नज़र है। इस फ़ैसले को बीएसपी सुप्रीमो की एक रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। दरअसल मायावती ने इस बार बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की है। मायावती ने सभी 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का संकेत दिया है।
हालाँकि बिहार के समीकरणों और बीएसपी की स्थिति को देखते हुए वहाँ पार्टी के कुछ ख़ास हासिल करने की उम्मीद नहीं है। इसके बावजूद आकाश आनंद को पूरी आज़ादी के साथ ज़िम्मेदारी देना बीएसपी सुप्रीमो मायावती की रणनीति की ओर संकेत करता है। एक तरह से आकाश आनंद की यूपी चुनाव से पहले ‘ग्राउंड पर ट्रेनिंग’ बिहार चुनाव में होगी।
यह बात इसलिए भी अहम है क्योंकि इससे पहले आकाश आनंद को दिल्ली चुनाव में ज़िम्मेदारी मिली थी, जिसमें आकाश आनंद पर अपने ससुर अशोक सिद्धार्थ के साथ मिलकर मनमाने टिकट बाँटने के आरोप लगे थे। मायावती आकाश आनंद की कार्यशैली से नाराज हो गई थीं। बाद में उनको पार्टी से निष्कासित भी कर दिया था। फ़िलहाल बीएसपी राजनीति में हाशिए पर है और पार्टी को एक ‘पॉलिटिकल कमबैक’ की ज़रूरत है।2027 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव पार्टी के लिए बेहद अहम हैं। ऐसे में मायावती बिहार चुनाव में मौक़ा देकर आकाश आनंद को न यूपी विधानसभा चुनाव के लिए तैयार करना चाहती हैं बल्कि उनको अपने बाद सेकेंड लाइन नेता के तौर पर मज़बूत भी करना चाहती हैं। राजनीतक विश्लेषक दिलीप यशवर्धन कहते हैं ‘आकाश आनंद के लिए ये कम बैक की स्थिति है। मायावती का उन पर पहले से भरोसा है। लेकिन मायावती इस भरोसे को कार्यकर्ताओं और जनता की नज़र में भी स्थापित करना चाहती हैं। बिहार के समीकरणों को देखते हुए बीएसपी वहाँ कुछ ख़ास नहीं सकती। लेकिन आकाश आनंद को आगे के लिए तैयार करने में इस ज़िम्मेदारी की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।’
दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगे थे आरोप
दरअसल परिवारवाद के ख़िलाफ़ राजनीति की शुरुआत करने वाले कांशीराम ने अपने परिवार के किसी भी सदस्य को कभी राजनीति में आगे नहीं बढ़ाया, न ही अपने मूवमेंट और पार्टी में कोई जिम्मेदारी दी। मायावती भी लगातार यह कहती रहीं कि अपने परिवार के किसी सदस्य को राजनीति में नहीं लाएँगी। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले अपने भतीजे आकाश आनंद को न सिर्फ़ पार्टी में लायीं, बल्कि भरी सभा में आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया। नेशनल कॉर्डिनेटर आकाश आनंद को दिल्ली विधानसभा चुनाव में बड़ी ज़िम्मेदारी दी गयी। लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार और वोट प्रतिशत कम होने की समीक्षा में मायावती ने ये पाया कि आकाश आनंद ने अपने ससुर अशोक सिद्धार्थ के साथ मिल कर मनमाने तरीके से टिकट बाँटे और पार्टी को नुक़सान पहुंचाया। उसके बाद उन्हें और उनके ससुर दोनों को पार्टी से निष्कासित कर दिया। बाद में आकाश आनंद के माफ़ी मांगने कर उनको न सिर्फ़ पार्टी में वापस लिया, बल्कि उनको चीफ नेशनल कोऑर्डिनेटर का पद भी दिया। हाल ही में आज़ाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर के आकाश आनंद पर टिप्पणी के बाद ख़ुद मायावती ने आकाश आनंद का बचाव करते हुए कहा था कि वो बाबासाहेब अंबेडकर और कांशीराम के मूवमेंट को आगे बढ़ाने में तन्मयता से काम कर रहे हैं।
परिवारवाद से बचने की चुनौती
आकाश आनंद के लिए यह मौक़ा किसी परीक्षा से कम नहीं। आकाश आनंद को न सिर्फ़ कैडर कैम्प के ज़रिए ज़मीनी कार्यकर्ताओं को एकजुट करना और उनमें उत्साह भरना होगा, बल्कि ज़ोनल कॉर्डिनेटर और दूसरे स्थानीय नेताओं के साथ भी सामंजस्य बनाना होगा। टिकट बंटवारे का ब्लू प्रिंट तैयार करने में भी परिवारवाद जैसे आरोप न लग पाएँ, इसका ध्यान रखना होगा। पिछली बार आकाश आनंद को पार्टी निष्कासित करते समय मायावती ने उनकी राजनीति को ‘अपरिपक्व’ बताया था। इसके पीछे आकाश आनंद के सियासी विरोधियों पर दिए गए बयान भी थे, जिससे मायावती नाराज हो गयी थीं। बिहार की राजनीति में जिस तरह आरोप प्रत्यारोप के लिए बयान दिए जाते हैं आकाश आनंद को उससे भी बचना होगा। आकाश आनंद को पार्टी बीएसपी की परम्परागत राजनीति की शैली में ही राजनीति करनी होगी। 2020 में बिहार के विधानसभा चुनाव में बीएसपी को एक सीट पर जीत मिली थी। हालांकि बाद में उनके जीते हुए विधायक ने बाद में जेडीयू में शामिल हो गए थे।