
दीयों पर खर्च रोकने की बात कर फंसे अखिलेश, क्रिसमस की रोशनी को बताया बेहतर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद दिवाली जैसे धार्मिक और भावनात्मक त्योहार को लेकर एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है, खासकर जब अयोध्या राम मंदिर के उद्घाटन की पृष्ठभूमि में तैयारियों जोरों पर हैं।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। इस बार उन्होंने दिवाली के खर्च पर सवाल उठाते हुए क्रिसमस के जश्न से सीख लेने की बात कह दी, जिससे सत्ताधारी भाजपा और हिंदू संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
शनिवार को उत्तर प्रदेश में एक जनसभा को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि हर बार दिवाली पर दीपक और मोमबत्तियों पर खर्च क्यों किया जाता है, जब पूरी दुनिया में क्रिसमस के दौरान पूरे महीने शहर रोशनी से जगमगाते हैं? हमें उनसे सीखना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस सरकार से और क्या उम्मीद करें? हम सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में और भी खूबसूरत रोशनी हो।
अखिलेश का यह बयान तब आया, जब राज्य सरकार राम की पैड़ी और अयोध्या के 56 घाटों पर 26 लाख से अधिक दीयों को जलाने की ऐतिहासिक योजना बना रही है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, 26,11,101 दीये जलाकर अयोध्या की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक छवि को उजागर किया जाएगा।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़
अखिलेश यादव के इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें उन्होंने कहा कि मैं कोई सलाह नहीं देना चाहता, लेकिन भगवान राम के नाम पर एक सुझाव दूंगा – दुनिया के हर शहर में क्रिसमस के दौरान महीनों तक रोशनी होती है, हमें उनसे सीखना चाहिए।
BJP का पलटवार
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने अखिलेश यादव पर तीखा हमला करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार ने राम भक्तों पर गोली चलाई थी और अयोध्या को अंधेरे में रखा था। अब जब अयोध्या रोशन हो रही है तो इन्हें तकलीफ हो रही है। उन्होंने आगे कहा कि यह वही लोग हैं, जो सैफई में गाने-बजाने के कार्यक्रम करते थे, लेकिन अब जब अयोध्या दीपोत्सव की तैयारी कर रही है तो इन्हें परेशानी हो रही है।
VHP का बयान
विश्व हिंदू परिषद (VHP) के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने भी अखिलेश यादव पर हमला बोला. उन्होंने एक्स (X) पोस्ट में लिखा कि दीयों की कतारें अखिलेश यादव का दिल जला रही हैं, इसलिए वे 100 करोड़ हिंदुओं को उपदेश दे रहे हैं कि दीयों और मोमबत्तियों पर पैसा बर्बाद न करें और ईसाइयों से सीखें। बंसल ने यह भी आरोप लगाया कि जो खुद को यादव कहते हैं, वह ईसाई परंपराओं की प्रशंसा कर रहे हैं और हिंदू त्योहारों को नीचा दिखा रहे हैं। क्या हमें अब यह सीखने की ज़रूरत है कि दिवाली मनाने से पहले ईसाई धर्म आया भी था? उन्होंने कहा कि अयोध्या की रौशनी और हिंदुओं की खुशी पर इतनी जलन समझ से परे है।
विवाद का राजनीतिक असर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद दिवाली जैसे धार्मिक और भावनात्मक त्योहार को लेकर एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है, खासकर जब अयोध्या राम मंदिर के उद्घाटन की पृष्ठभूमि में तैयारियों जोरों पर हैं। भाजपा इसे हिंदू अस्मिता से जोड़ रही है, वहीं समाजवादी पार्टी अब तक इस बयान को लेकर सफाई नहीं दे रही है।