
ट्रांसफर के लिए 5 लाख! शिक्षा विभाग पर अखिलेश यादव का बड़ा हमला
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि शिक्षक ट्रांसफर के लिए 5 लाख मांगे जा रहे हैं। यह सरकार बहरी हो गई है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने शिक्षा विभाग को लेकर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि शिक्षा विभाग को योजनाबद्ध तरीके से बर्बाद किया जा रहा है। अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार में न तो शिक्षकों की बात सुनी जाती है और न ही शिक्षा व्यवस्था में सुधार की कोई इच्छाशक्ति दिखाई देती है।
'शिक्षकों से भावनात्मक जुड़ाव'
अखिलेश यादव ने कहा कि उनके पिता, स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव खुद शिक्षक रहे हैं और उन्होंने हमेशा शिक्षकों की भूमिका को समाज निर्माण में सबसे अहम माना। वो खुद एक शिक्षक के बेटे हैं। शिक्षकों से उनका पारिवारिक संबंध है। उनका दर्द मेरा अपना है। जब शिक्षकों की बात आती है, तो भाजपा सरकार बहरी हो जाती है।
ट्रांसफर में भ्रष्टाचार का बड़ा आरोप
अखिलेश ने एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा कि हाल ही में एक शिक्षक उनसे मिलने आया था और उसने बताया कि शिक्षकों के ट्रांसफर के लिए 5 लाख रुपये तक की रिश्वत मांगी जा रही है। उन्होंने कहा कि जब सिस्टम ही भ्रष्ट हो जाए और ट्रांसफर-पोस्टिंग एक उद्योग बन जाए तो न केवल शिक्षक परेशान होते हैं बल्कि पूरा शिक्षा तंत्र चरमरा जाता है।
बुनियादी व्यवस्था पर सवाल
अखिलेश यादव ने सरकार से सवाल किया कि आपके पास बुनियादी व्यवस्था क्या है। कोई शिक्षक जानबूझकर देर से स्कूल नहीं पहुंचना चाहता। लेकिन क्या आपने उसे पर्याप्त सुविधाएं दीं। स्कूल कम करने की जो नीति सरकार अपना रही है, उससे ग्रोथ रेट भी गिरेगा और सरकार की मंशा यही है कि नौकरियां न देनी पड़ें।
अखिलेश ने साफ कहा कि जिस सरकार में संवेदना ही न हो उसे सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है। भाजपा सरकार केवल घोषणाएं करती है, ज़मीनी हकीकत से उसका कोई लेना-देना नहीं है। अखिलेश यादव का यह बयान उत्तर प्रदेश की मौजूदा शिक्षा व्यवस्था और सरकारी रवैये पर सीधा हमला है। शिक्षा विभाग में गहराता भ्रष्टाचार, ट्रांसफर माफिया और सरकारी असंवेदनशीलता, सब कुछ मिलकर शिक्षकों और छात्रों दोनों को नुकसान पहुंचा रहा है। 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले इस तरह के तीखे बयान राजनीतिक तापमान को और बढ़ा सकते हैं।