पंजाब से ग्राउंड रिपोर्ट : बाढ़ की त्रासदी के बीच नया संकट,अब टूटते तटबंधों बचाने की जद्दोजहद
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पंजाब के रूपनगर जिले का प्रशासन किसानों को मिट्टी से भरे बोरे उपलब्ध करवा रहा है (फोटो - द फेडरल देश)

पंजाब से ग्राउंड रिपोर्ट : बाढ़ की त्रासदी के बीच नया संकट,अब टूटते तटबंधों बचाने की जद्दोजहद

पंजाब के गांवों में बाढ़ इस वजह से दाखिल हो पाई क्योंकि उनफती नदियों ने किनारे के तटबंध तोड़ दिए। उन टूटे हुए तटबंधों के रास्ते वो खेतों में घुस गईं और तबाही मचा दी। पंजाब के रूपनगर से 'द फेडरल देश' की ग्राउंड रिपोर्ट


बाढ़ग्रस्त पंजाब से गुजरते हुए 'द फेडरल देश' की टीम को एक तस्वीर लगभग हर जगह दिखी। मिट्टी से भरे हुए बोरे लदे हुए ट्रक जाते हुए हर जगह दिखे। पंजाब के रूपनगर ज़िले के रैलोंकलां में हमारी टीम पहुंची तो यहां भी देखा कि ट्रैक्टरों में मिट्टी भरी जा रही थी।

रैलोंकलां के गुरुद्वारा परिसर में मिट्टी के बोरे भरे हुए थे। यहां आकर पता चला कि ये मिट्टी के बोरे ही इस समय बाढ़ से निपटने के लिए सबसे बड़ा हथियार हैं। उफनती नदियों ने जो तटबंध तोड़े हैं, उन्हें और मजबूत करने के लिए ये मिट्टी से बरे बोरे ही लगाए जा रहे हैं।

यहां हमें कुछ किसान मिले। उनमें से एक कर्मवीर सिंह ने बताया, "हमने करीब २० हज़ार बोरे सिलकर और उनमें मिट्टी भरकर बाढ़ग्रस्त इलाकों में पहुंचा दिए हैं। हर जाति-धर्म, हर खित्ते (इलाके) का आदमी इस काम में लगा है।"

असल में पंजाब में सतलुज नदी के किनारे स्थित सुल्तानपुर लोधी, तरनतारन, फाजिल्का, अबोहर जैसे इलाकों में बड़ी तबाही मची है। इसीलिए आने वाले खतरे को लेकर किसान चौकन्ना है। आशंका ये जताई जा रही है कि अगर चमकौर साहिब से लेकर लुधियाना तक तटबंध टूटे तो बहुत नुकसान हो सकता है। इसीलिए बोरों में मिट्टी भरकर जगह-जगह पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है।



द फेडरल देश के इस सवाल पर कि क्या स्थानीय प्रशासन भी इसमें मदद कर रहा है, किसान कर्मवीर सिंह ने कहा, "प्रशासन को जिस लेवल पर मदद करनी चाहिए थी, वैसा नहीं कर रहे हैं। किसानों ने जब धरना दिया कि हमें स्टाफ दो तब जाकर रूपनगर जिले के प्रशासन ने हर गांव से कम से कम 10 मनरेगा मजदूरों को तटबंध बचाने के लिए मौके पर जाने को कहा है। अब प्रशासन बोरे भी दे रहा है। जाल भी उपलब्ध करवा रहा है।हम अलग अलग गांव के लोग इकट्ठा होकर ये मिट्टी के बोरे भरवा रहे हैं।"

इस आपदा से पंजाब को कितना नुकसान हुआ है, इसका पंजाब शुरुआती आकलन पंजाब सरकार ने करीब १४ हजार करोड़ रुपये लगाया है। द फेडरल देश ने किसान कर्मवीर सिंह से पूछा तो उन्होंने कहा,"प्रति एकड़ लगभग एक से डेढ़ लाख रुपये का नुकसान हुआ है। किसान ने फसल को बोने के लिए जो खर्चा किया, वो नुकसान अलग है। जो अगली फसल होगी, वो अलग। तो कुल मिलाकर दो से ढाई लाख रुपये प्रति एकड़ नुकसान हुआ है। अब जो खेतों को समतल करने के लिए जो खर्च लगेगा, उसकी तो गिनती ही नहीं है।

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