अमित शाह का मिशन तमिलनाडु: 2026 चुनाव की तैयारी शुरू, NDA को मिल सकता है नया रूप
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अमित शाह का मिशन तमिलनाडु: 2026 चुनाव की तैयारी शुरू, NDA को मिल सकता है नया रूप

आरएसएस विचारक गुरुमूर्ति शाह को एनडीए के लिए चुनावी रोडमैप दे सकते हैं, जो भाजपा की महत्वाकांक्षाओं और द्रविड़ गठबंधन निर्माण की वास्तविकताओं के बीच संतुलन बिठाएगा।


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज रात चेन्नई पहुंच रहे हैं। उनका यह दौरा कोई आम दौरा नहीं है। यह 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) की रणनीति का हिस्सा है। शाह का मकसद है–तमिलनाडु की राजनीति में भाजपा की मौजूदगी को मजबूत करना और सही समय पर सही गठबंधन बनाना। शाह ने इस साल की शुरुआत में दिल्ली में कहा था कि "हम तमिलनाडु में जरूर जीतेंगे।" अब वह उस वादे को सच करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।

भाजपा और आरएसएस की अहम बैठकें

शाह इस दौरे में तमिलनाडु भाजपा के नेताओं से लंबी बैठकें करेंगे। चर्चा इस बात पर होगी कि राज्य भाजपा का नया अध्यक्ष कौन बनेगा। क्योंकि के. अन्नामलाई के भविष्य को लेकर कई तरह की बातें हो रही हैं। इसके अलावा शाह आरएसएस के वरिष्ठ विचारक एस. गुरुमूर्ति से भी मुलाकात करेंगे। वे 'थुगलक' नाम की राजनीतिक पत्रिका के संपादक भी हैं। कहा जा रहा है कि गुरुमूर्ति, शाह को तमिलनाडु में मजबूत गठबंधन बनाने की सलाह देंगे।

अन्नामलाई का भविष्य

के. अन्नामलाई भाजपा के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष हैं। उन्होंने पार्टी को चर्चा में लाया। लेकिन एआईएडीएमके जैसे पुराने सहयोगियों से रिश्ते भी बिगाड़े। अब उन्होंने खुद कहा है कि वे "अध्यक्ष पद की दौड़ में नहीं हैं", जिससे कयास लग रहे हैं कि शाह उन्हें हटा सकते हैं या कोई नई भूमिका दे सकते हैं।

एआईएडीएमके और शाह की मुलाकात

शाह के दौरे का सबसे बड़ा सवाल है – क्या एआईएडीएमके फिर से भाजपा के साथ आएगी? सूत्रों के मुताबिक, एआईएडीएमके के नेता एडप्पादी के. पलानीस्वामी (ईपीएस) शुक्रवार को शाह से मुलाकात कर सकते हैं। अगर यह बैठक होती है तो यह दोनों पार्टियों के रिश्तों में नई शुरुआत हो सकती है। हालांकि, एआईएडीएमके में फूट भी है। पार्टी से निकाले गए नेता जैसे ओ. पन्नीरसेल्वम (ओपीएस) और टीटीवी दिनाकरण भी शाह से मिलने की कोशिश कर रहे हैं।

पीएमके का पैंतरा और शाह की मुश्किलें

एक और सहयोगी पार्टी पीएमके (पट्टाली मक्कल काची) ने भी राजनीतिक हलचल मचा दी है। पार्टी के संस्थापक एस. रामदास ने अध्यक्ष पद से अपने बेटे अंबुमणि को हटाकर खुद कमान संभाल ली है। उन्होंने साफ कहा है कि वे साल के अंत तक किसी गठबंधन पर फैसला नहीं लेंगे। इसका मतलब है कि पीएमके अब भाजपा और एआईएडीएमके दोनों से बेहतर सौदे के लिए बातचीत कर सकती है। पीएमके के पास वन्नियार समुदाय का बड़ा वोट बैंक है, जो किसी भी गठबंधन के लिए अहम हो सकता है।

भविष्य का नेता कौन?

भाजपा में नए राज्य अध्यक्ष के लिए कई नाम चल रहे हैं:-

- नयनार नागेन्द्रन: भाजपा विधायक और पूर्व एआईएडीएमके नेता हैं। वे थेवर समुदाय से आते हैं, जिससे भाजपा को दक्षिण तमिलनाडु में फायदा मिल सकता है।

- आनंदन अय्यासामी: एक युवा दलित नेता हैं, जिन्हें ज़ोहो कंपनी के पूर्व सीईओ श्रीधर वेंबू का समर्थन मिल रहा है।

कुछ नेता अभी भी मानते हैं कि अन्नामलाई को ही अध्यक्ष रहना चाहिए। लेकिन गठबंधन की राजनीति को संभालने के लिए एक अलग समन्वयक (coordinator) की जरूरत है।

भाजपा के सहयोगी

भाजपा ने कुछ छोटे मगर असरदार दलों का समर्थन पहले ही जुटा लिया है, जैसे:

- पुथिया तमिलगम (के. कृष्णासामी)

- तमिऴगा मक्कल मुननेत्र कड़गम (जॉन पंडियन)

- तमिल मानिला कांग्रेस (जी.के. वासन)

- इंडिया जननायक कड़गम (टी.आर. पचामुथु)

- पुथिया नीति कड़गम (ए.सी. शन्मुगम)

यह गठबंधन जातियों और समुदायों के संतुलन को ध्यान में रखकर बनाया गया है। लेकिन पीएमके और डीएमडीके जैसे बड़े वोट बैंक वाले दल अभी गठबंधन में नहीं हैं, जिससे शाह की रणनीति थोड़ी उलझी हुई है।

भाजपा की तमिलनाडु में चुनौती

साल 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को तमिलनाडु में 11% वोट तो मिले। लेकिन एक भी सीट नहीं मिली। वहीं, डीएमके गठबंधन ने सभी 39 सीटें जीत लीं। इससे साफ है कि भाजपा को जीतने के लिए अकेले नहीं, बल्कि एक मजबूत गठबंधन के साथ आना होगा। शाह का चेन्नई दौरा भाजपा की तमिलनाडु में जमीन मजबूत करने की कोशिश है। क्या वे एआईएडीएमके और दूसरे दलों को साथ लाकर एक मजबूत एनडीए बना पाएंगे? इसका जवाब शुक्रवार तक साफ हो जाएगा।

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