
अमित शाह ने तमिलनाडु में NDA की जीत का भरोसा जताया, लेकिन पलानीस्वामी पर उनकी चुप्पी ने उठाए सवाल
एआईएडीएमके नेताओं ने अटकलों को खारिज किया, कहा – 2026 विधानसभा चुनावों के लिए एनडीए गठबंधन मज़बूत और एकजुट है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार (22 अगस्त) को विश्वास जताया कि एआईएडीएमके के नेतृत्व वाला एनडीए तमिलनाडु में सरकार बनाएगा। लेकिन, एआईएडीएमके महासचिव एडप्पाड़ी के. पलानीस्वामी (ईपीएस) पर उनकी चुप्पी ने राजनीतिक हलकों में चर्चा छेड़ दी। वरिष्ठ एआईएडीएमके नेताओं ने हालांकि इन अटकलों को नकार दिया और कहा कि तमिलनाडु में एनडीए का गठबंधन 2026 विधानसभा चुनावों से पहले पूरी तरह मज़बूत है।
बूथ समिति कार्यकर्ताओं को संबोधन
तिरुनेलवेली में पार्टी की बूथ समिति बैठक में शाह ने कहा, “2024 लोकसभा चुनावों में एनडीए को 18% वोट मिले और एआईएडीएमके को 21% वोट मिले। मिलाकर हमारे पास करीब 39% हैं। यह 2026 में और बढ़ेगा।”
ईपीएस का ज़िक्र न होना, उठे सवाल
हालाँकि शाह ने बार-बार भाजपा की बढ़त का ज़िक्र किया लेकिन ईपीएस का नाम न लेने पर सवाल उठे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि कैडर-आधारित बैठक में भी गठबंधन नेता का ज़िक्र अपेक्षित था।
वरिष्ठ एआईएडीएमके नेता और पूर्व मंत्री वैगई चेलवन ने 'द फ़ेडरल' से कहा,“अमित शाह को हर बैठक में गठबंधन की ताक़त पर बात करने की ज़रूरत नहीं। उन्होंने पहले ही साफ कर दिया है कि तमिलनाडु में एनडीए का नेतृत्व एआईएडीएमके करेगी। वह सिर्फ अपने कैडर से बात कर रहे थे, इसलिए भाजपा पर ज़्यादा फोकस किया।”
पूर्व मंत्री एस. सेम्मलाई ने भी यही दोहराया , “शाह ने बूथ कार्यकर्ताओं से बात की। उसी तरह हमारे नेता ईपीएस भी पूरे राज्य का दौरा कर रहे हैं और हर जगह शानदार स्वागत पा रहे हैं। हम एकजुट हैं और 2026 में जीतेंगे, इसमें कोई शक नहीं।”
बीजेपी-एआईएडीएमके की एकजुटता पर सवाल
हालांकि सभी इससे सहमत नहीं थे। लेखक और राजनीतिक विश्लेषक ए. जीवकुमार ने कहा, “भले ही एआईएडीएमके मज़बूत सहयोगी है, लेकिन मोदी और शाह जैसे भाजपा नेताओं को बार-बार तमिलनाडु आकर अपने कैडर को ऊर्जा देनी पड़ रही है। उनकी पिछली यात्राओं का बड़ा चुनावी फायदा नहीं हुआ। और जब भाजपा नेता ईपीएस को श्रेय नहीं देते, तो यह संदेश जाता है कि गठबंधन सिर्फ चुनावी मजबूरी है।”
उन्होंने चेतावनी दी कि एआईएडीएमके नेतृत्व की अनदेखी जमीनी स्तर के तालमेल को प्रभावित कर सकती है। उन्होंने कहा, “शाह ने डीएमके और कांग्रेस की आलोचना की, लेकिन ईपीएस का कोई ज़िक्र नहीं किया। भले ही यह कैडर-फोकस्ड कार्यक्रम था, लेकिन एक छोटी सी स्वीकृति एआईएडीएमके कार्यकर्ताओं को भरोसा देती।”
जीवकुमार के मुताबिक अभी एआईएडीएमके एकजुटता दिखाने की कोशिश कर रही है। “ईपीएस जिलों का आक्रामक दौरा कर रहे हैं, जबकि शाह और मोदी लगातार आ रहे हैं। दोनों दल अपने-अपने कैडर को ऊर्जा देने में लगे हैं। यह संतुलन एनडीए को मज़बूत करेगा या भीतर की दरारें खोलेगा, यह 2026 के चुनावी अभियान के साथ साफ होगा।”
डीएमके और कांग्रेस पर निशाना
इससे पहले शाह ने डीएमके और कांग्रेस पर हमला बोला। तमिल में न बोल पाने के लिए माफी मांगते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की सरकार पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए।
उन्होंने कहा, “डीएमके मंत्री सेंथिल बालाजी जेल में हैं। पोन्मुडी पर आरोप हैं। क्या ऐसे लोग सरकार चलाएं? यही वजह है कि हमने संसद में नया कानून लाया है।” (संविधान 130वां संशोधन विधेयक, 2025 का हवाला देते हुए)।
डीएमके युवा इकाई के नेता और उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन को निशाना बनाते हुए शाह ने कहा, “उदयनिधि कभी भी मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे।”
राहुल गांधी पर भी तंज कसते हुए बोले , “राहुल गांधी कभी प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे।”
तीन घंटे की इस बैठक में भाजपा के बूथ स्तर के कार्यकर्ता शामिल हुए, जो दक्षिण तमिलनाडु की पाँच लोकसभा सीटों – कन्याकुमारी, तेनकासी, तूतीकोरिन, विरुधुनगर और तिरुनेलवेली – से थे।