जब गिरफ्तारी हुई तब इस्तीफा नहीं, सीएम अरविंद केजरीवाल ने अब क्यों किया ऐलान
सियासत की अपनी गुणा गणित होती है। कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने बीजेपी को जमकर लताड़ा। लेकिन इसके साथ ही इस्तीफे का ऐलान कर दिया।
Arvind Kejriwal Resignation News: 177 दिन बाद 13 सितंबर को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की रिहाई हो चुकी थी। सुप्रीम कोर्ट ने राहत तो दी लेकिन कई शर्तें भी लगा दी। बीजेपी के नेता तीखा प्रहार भी कर रहे थे कि जो सीएम अपनी ड्यूटी नहीं कर सकता उसे पद पर रहने का अधिकार नहीं है, और उसे इस्तीफा दे देना चाहिए। इन सबके बीच रविवार को पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने बीजेपी को कुछ इस तरह घेरा। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनकी साज़िशें हमारे चट्टान जैसे हौसलों को नहीं तोड़ पाईं,हम फिर से आपके बीच में हैं। हम देश के लिए यूं ही लड़ते रहेंगे, बस आप सब लोगों का साथ चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। आज मैं जनता से पूछने आया हूँ कि आप केजरीवाल को ईमानदार मानते हो या गुनाहगारअब जब तक दिल्ली की जनता अपना फैसला नहीं सुना देती है तब तक मैं CM की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा। मैं आज से 2 दिन बाद मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दूंगा।
राष्ट्रपति शासन का खतरा
क्या अरविंद केजरीवाल को राष्ट्रपति शासन का खतरा सता रहा था। यहां बता दें कि बीजेपी के विधायकों ने राष्ट्रपति को खत लिखने के साथ मुलाकात की थी। विधायकों का कहना था कि दिल्ली में संवैधानिक व्यवस्था चरमरा गई है। लिहाजा यहां राष्ट्रपति को दखल देना चाहिए। राष्ट्रपति कार्यालय ने उस खत को गृह मंत्रालय को भेज दिया। सियासत के जानकार कहते हैं कि यह बात तो सच है कि सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत दी है। लेकिन ईडी और सीबीआई दोनों की गिरफ्तारी को जायज ठहराया। कहने का अर्थ यह है कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पूरी तरह पाक साफ नहीं है। ऐसी सूरत में बीजेपी दोबारा से और बार बार इस बात का दम भरती कि जो शख्स सीएम दफ्तर नहीं जा सकता, फाइलों पर दस्तखत नहीं कर सकता आखिर वो सरकार का मुखिया कैसे बना रह सकता है। लिहाजा संवैधानिक संकट है। बीजेपी के नेता पब्लिक में भी इस बात को कहते कि आखिर दिल्ली को एक ऐसा शख्स चला रहा है जिसे अदालत ने पूरी तरह निर्दोष नहीं माना है।