आप का दिल्ली में कांग्रेस से मेल नहीं, आखिर यह कैसा गठबंधन?
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'आप का दिल्ली में कांग्रेस से मेल नहीं', आखिर यह कैसा गठबंधन?

एकसाथ मिलकर बीजेपी का विरोध करेंगे लेकिन सीटों पर समझौता नहीं। आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा के लिए कांग्रेस संग गठबंधन से इनकार किया है।


AAP-Congress Alliance in Delhi News: साल 2023 के मध्य की बात है जब नरेंद्र मोदी सरकार ( NDA Government)के खिलाफ विपक्ष ने मोर्चेबंदी तेज कर दी थी। उस समय ऐसा लगा कि समूचा विपक्ष एक मंच के जरिए एनडीए के खिलाफ ताल ठोंकेगा। लेकिन बात पूरी तरह नहीं बनी। बिहार के सीएम नीतीश कुमार(Nitish Kumar) उस समय विपक्षी गठबंधन की वकालत कर रहे थे। लेकिन जब उनके चेहरे पर बात नहीं बनी तो अलग हो गए यानी टूट पड़ गई। हालांकि कांग्रेस और दूसरे दलों की तरफ से कोशिश जारी रही।

जब दो बड़े चेहरे हुए थे अलग
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी(Mamta Banerjee) को गठबंधन से ऐतराज नहीं था। लेकिन बंगाल में सीटों के साथ समझौते के लिए तैयार नहीं थी और अलग हो गईं। यानी कि दो बड़े चेहरे अलग हो गए। हालांकि सियासी जमीन और टकराव का मूल्यांकन कर दिल्ली में आम आदमी पार्टी इंडिया गठबंधन का हिस्सा बनी। लोकसभा में चार सीट पर केजरीवाल की पार्टी और तीन सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार किस्मत आजमाए। यह बात अलग है कि दोनों को किसी भी सीट पर जीत नहीं मिली। इन सबके बीच आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस संग गठबंधन की संभावना से इनकार कर दिया है।

विधानसभा में नहीं देंगे साथ
आप (Aam Aadmi Party) और कांग्रेस (Congress) विपक्षी दल हैं और इस साल की शुरुआत में दिल्ली में लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़े थे। दोनों ही पार्टियों को एक भी सीट नहीं मिली और भाजपा(BJP) ने सभी सात सीटें जीत लीं। अक्टूबर में हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले दोनों पार्टियां कई दौर की बातचीत के बावजूद सीट बंटवारे पर सहमति बनाने में विफल रहीं। दिल्ली में करारी हार के बाद केजरीवाल को लगा था कि हरियाणा में कांग्रेस कुछ सीटों को छोड़ देगी। लेकिन हरियाणा में आप के कमजोर होने का हवाला देते हुए कांग्रेस तन कर खड़ी रही। नतीजा यह हुआ कि विधानसभा के स्तर पर गठबंधन नहीं हो सका। अब ऐसी सूरत में इस तरह के कयास लगाए जाने लगे कि दिल्ली विधानसभा में सीट के मुद्दे पर केजरीवाल नहीं झुकेंगे। यदि उन्होंने ऐलान किया कि कांग्रेस के साथ नहीं जाना है तो उसके पीछे वजह भी है।

बीजेपी को मिला मौका
2014 दिल्ली विधानसभा चुनाव नतीजों को छोड़ दें तो कांग्रेस 2015, 2020 में एक भी सीट नहीं जीत सकी। अगर जीत या हार किसी पार्टी की शक्ति का पैमाना हो तो यह हकीकत सबके सामने हैं कि कांग्रेस कहीं नहीं ठहरती। ऐसे में बीजेपी की राह विधानसभा चुनाव में थोड़ी आसान हो सकती है। अब जबकि अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ जाने इनकार किया है तो बीजेपी को एक बड़ा मुद्दा मिल चुका है। बीजेपी के नेता पहले भी कहते रहे हैं कि कांग्रेस और आप दोनों का समझौता सिर्फ सत्ता हासिल करने के लिए है। अब तो उनके दावों को और बल मिल गया है। बीजेपी के नेता अब इसे आधार बनाकर बड़े पैमाने पर प्रचार कर सकते हैं कि चाहे आप हो या कांग्रेस इनका मकसद विचारधारा नहीं है, बल्कि किसी तरह सत्ता में बने रहने की जुगत है। इससे भी बड़ा सवाल यह है कि अगर विपक्ष की लड़ाई मोदी की विचारधारा से है तो क्या यह लड़ाई विपक्षी दल अपनी सुविधा के मुताबिक लड़ेंगे।


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