साजिश के शिकार, अनैतिकता के दोषी या सत्ता लोभी, एक पार्टी और दो कानून की कहानी
दिल्ली एक्साइज केस में सीएम अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल में बंद हैं। वो वहीं से सरकार चला रहे हैं। ऐसे में लोगों के मन में उठे सवालों को हमने समझने की कोशिश की है।
Arvind Kejriwal News: आज बात आम आदमी की और आम आदमी द्वारा निर्मित आम आदमी के नेता की। वो खुद को आम आदमी आज भी कहते हैं। लेकिन कुर्सी से ना चिपकने की बात नहीं कहते। दामन के तनिक दागदार होने पर कुर्सी छोड़ने की बात भी करते थे। हालांकि अब खामोश हैं। वो कहते थे कि जनता की सेवा उनका सबसे बड़ा धर्म है और किसी भी कीमत पर जनता को दुखी नहीं होने देंगे।
ये बात अलग है कि उनके राज में दिल्ली के पटेल नगर में बिजली के खंभे में करंट उतरता है और यूपीएससी का एक छात्र काल के गाल में समा जाता है। इसके बीच दिल्ली को जल भराव मुक्त के दावे की पोल 27 जुलाई को खुली जब ओल्ड राजेंद्र नगर के राउ आईएसएस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में 12 फुट पानी भर गया। हादसे में आईएएस की तैयारी करने वाले तीन छात्रों की मौत हो गई। अब आप समझ रहे होंगे कि बात हम किस शख्स की कर रहे हैं। जी हां बात दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की कर रहे हैं, जिन्हें आईटीओ स्थित दफ्तर से सरकार चलानी चाहिए लेकिन वो दिल्ली की सरकार,आम आदमी पार्टी की सरकार दुनिया के सबसे बड़े जेल में से एक तिहाड़ जेल से चला रहे हैं।
जेल जाना कोई नई बात नहीं
दिल्ली की जिस नई शराब नीति मामले में मनीष सिसोदिया जेल में बंद हैं, उसी मामले में सीएम अरविंद केजरीवाल भी तिहाड़ जेल में बंद हैं। अब यहीं से यह कहानी अलग मोड़ लेती है। अरविंद केजरीवाल से जब पूछा गया कि क्या वे इस्तीफा देंगे। उन्होंने सधे अंदाज में बोला कि इस्तीफा किस बात के लिए। जेल से ही सरकार चलाएंगे। यहीं सवाल उठ खड़ा होता है कि क्या केजरीवाल के लिए नैतिकता का पैमाना अलग है क्योंकि नैतिकता की दुहाई देकर भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात कर उन्होंने सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया से इस्तीफा मांग लिया था। वैसे तो संवैधानिक तौर पर यह व्यवस्था नहीं है कि सरकार का मुखिया जेल जाने पर इस्तीफा देगा। लेकिन नैतिकता का तकाजा तो यही है कि ऐसा उदाहरण पेश किया जाए जो नजीर बने।
सीएम की सैलरी पर एक्सपर्ट कमेंट
आम आदमी के मन में दिल्ली के खास शख्सियत यानी अरविंद केजरीवाल के बारे में सवाल उठ रहा है क्या वो सैलरी ले सकते हैं। इस सवाल का जवाब हमने संविधान के एक्सपर्ट से समझने की कोशिश की। एस के शर्मा जो लोकसभा और दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव रहे हैं उनका कहना है कि संविधान लिखने के बाद नियम बनाने वालों ने शायद ऐसी कल्पना ही नहीं की थी कि कोई मुख्यमंत्री जेल जाएगा और वो इस्तीफा नहीं देगा। इसलिए उनकी सैलरी को लेकर कोई नियम नहीं है। ये खुद मुख्यमंत्री केजरीवाल के विवेक पर निर्भर करता है. वो इस्तीफा नहीं दे रहे हैं, ऐसे में कोई उनसे जबरदस्ती नहीं कर सकता कि वो सैलरी न लें या आधी लें.अब ये निर्णय राजनितिक स्तर पर तय हो सकता है कि क्या किया जाना चाहिए. अगर केजरीवाल को पद से हटाना है तो ये राष्ट्रपति के निर्णय पर हो सकता है.
दिल्ली की जनता सवाल पूछती है कि साहब आप कबसे आम आदमी से खास हो गए। आप ने तो व्यवस्था बदलने की बात कही थी। आप ने तो उम्मीद की रोशनी दिखाई थी। आप ने आदर्श के उच्चतम मानदंड स्थापित करने के वादे किए थे। आपने कहा था कि अगर कोई आरोप भी लगा तो गद्दी को लात मार देंगे। लेकिन आपके खिलाफ ईडी और सीबीआई के मामले चल रहे हैं इस समय आप तिहाड़ जेल में है। जब कोई पूछता है कि क्या इस्तीफा देंगे तो आप जवाब देते हैं ये विरोधियों की साजिश है। राजनीतिक साजिश। लेकिन जब आप ये जवाब देतें हैं तो लोग ठगे से महसूस करते हैं क्योंकि आप तो आम आदमी की जिंदगी, दिल्ली की सूरत और सीरत बदलने चले थे।