तो क्या शीशमहल छोड़ देंगे दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल?
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तो क्या 'शीशमहल' छोड़ देंगे दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल?

दो दिन बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल इस्तीफा देते हैं तो क्या वो आधिकारिक आवास छोड़ देंगे। इस आवास पर किए गए खर्च को लेकर बीजेपी निशाना साधती रही है।


CM Arvind Kejriwal Official Residence: नीली वैगनॉर कार, आधी बाजू का ढीला ढाला शर्ट, ढीली ढाली पैंट और पैर में स्लीपर, यह पहचान हुआ करती थी दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की जब वो व्यवस्था बदलने की बात करते थे। सड़कों पर उतर कर कॉमन मैन की तरह वो कॉमन मैन की बात करते थे। बात आज भी वो कॉमन मैन की करते हैं लेकिन तस्वीर थोड़ी बदली बदली नजर आती है। जिस नीली वैगनॉर कार में वो चला करते थे वो बीते जमाने की बात है, जिस घर में वो रहा करते थे या सादगी के साथ रहने की बात किया करते थे अब वो कहीं किस्से कहानी की तरह हो गए हैं। वैसे तो चर्चा से उनका चोली दामन का साथ है। लेकिन सरकारी आवास पर जब उन्होंने जनका के पैसे को खर्च किया (बीजेपी 45 करोड़ का आरोप लगाती है) तो वे निशाने पर आ गए थे।

कहां है दिल्ली सीएम का आधिकारिक आवास

सिविल लाइंस इलाके में फ्लैगस्टॉफ रोड वाला सरकारी बंगला अब महल में तब्दील हो चुका है। वैसे तो आम आदमी पार्टी की सरकार और कार्यकर्ता उस घर को दिल्ली के सीएम आधिकारिक आवास बताते हैं। हालांकि उस बंगले को बीजेपी के नेताओं ने शीश महल का नाम दिया। बीजेपी के नेता कहते हैं कि क्या आम आदमी की बात करने वाला शख्स आवास को रेनोवेट कराने के लिए करोड़ों खर्च करता है। क्या आम आदमी की बात करने वाला शख्स एक एक करोड़ का पर्दा लगाता है। लेकिन यहां सवाल कुछ और है। दो दिन बाद जब अरविंद केजरीवाल सीएम पद से इस्तीफा दे देंगे तो क्या वो अपना सरकारी आवास छोड़ देंगे।


तो क्या छोड़ देंगे बंगला

अब इस सवाल के पीछे की वजह समझिए। नियम के हिसाब से जब सीएम अपने पद को छोड़ते हैं तो उन्हें औपचारिक तौर पर उस बंगले में रहने का अधिकार नहीं होगा। इसका अर्थ यह हुआ कि दो दिन बाद जब केजरीवाल इस्तीफा देते हैं तो उन्हें बंगला छोड़ना होगा।इस दिलचस्प सवाल को समझने की कोशिश हमने संविधान विशेषज्ञ से समझने की कोशिश की। संविधान विशेषज्ञ एसके शर्मा का कहना है की दिल्ली सरकार को कुछ बंगले आवंटित किये गए हैं जो दिल्ली सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री को दिए जाते हैं। ऐसे में अगर मुख्यमंत्री इस्तीफा देते हैं तो उन पर भी वो नियम लागू होता है, जो दूसरे सरकारी अधिकारीयों के लिए हैं.दिल्ली सरकार का पीडब्लूडी विभाग उन्हें घर खाली करने को बोलेगा और एक महीने का नोटिस देगा। अगर घर खाली नहीं किया जाता है तो प्रतिदिन के हिसाब से उसका किराया वसूल किया जाता है.सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद भी केजरीवाल विधायक बने रहेंगे। लिहाजा नियमत: बंगला छोड़ने की बाध्यता नहीं है। लेकिन उनके सामने सवाल नैतिकता का होगा। अब केजरीवाल नैतिकता के उच्चतम मानदंड की बात करते रहे हैं इस वजह से उनके ऊपर नैतिक दबाव हो सकता है।

बीजेपी नेता साधते रहे हैं निशाना

इस विषय पर जहां तक विपक्ष की बात है तो निश्चित तौर पर विपक्ष के नेता दबाव बनाएंगे कि केजरीवाल जी को सीएम आवास छोड़ देना चाहिए। इस विषय पर बीजेपी के नेता पहले ही आरोप और निशाना साधते रहे हैं। बीजेपी के नेता कहा करते थे कि केजरीवाल दुनिया के पहले ऐसे आम आदमी के नेता होंगे जो करोड़ों रुपए के पर्दे टांगते हैं, बिल्डिंग को रेनोवेट कराने के लिए जनता की गाढ़ी कमाई का नुकसान किया। वो एक ऐसे नेता हैं जिनके लिए आदर्श मौसम की तरह बदलता रहता है।
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