
गुजरात में शेरों की दहाड़ और तेज़, अब संख्या 891 पहुंची
गुजरात वन विभाग ने कहा कि शेरों की ताजा गणना के अनुसार, 196 नर, 330 मादा, 140 उप-वयस्क और 225 शावक अनुमानित हैं।
Asiatic Lions: गुजरात में पाए जाने वाले विश्व प्रसिद्ध एशियाई शेरों की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। इस वर्ष मई में कराए गए नवीनतम जनगणना के अनुसार, एशियाई शेरों की अनुमानित संख्या बढ़कर 891 हो गई है, जो कि पांच वर्ष पहले 2020 में हुई जनगणना में 674 थी। यह वृद्धि केवल संख्या में नहीं बल्कि उनके रहवास क्षेत्र में भी देखने को मिली है।
गिर से बाहर 11 जिलों तक फैले शेर
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने बुधवार को यह जानकारी दी कि अब एशियाई शेर सिर्फ गिर नेशनल पार्क तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे सौराष्ट्र के 11 जिलों में फैल चुके हैं, जिनमें गैर-वन क्षेत्र और तटीय इलाके भी शामिल हैं।
गुजरात वन विभाग के अनुसार, कुल 891 शेरों में 196 नर, 330 मादाएं, 140 सब-एडल्ट्स (अर्ध-वयस्क), और 225 शावक शामिल हैं। यह दर्शाता है कि न केवल संख्या बढ़ी है, बल्कि शेरों की प्रजनन क्षमता और सुरक्षा में भी सुधार हुआ है।
गिर के बाहर शेरों की बढ़ती मौजूदगी
प्रधान मुख्य वन संरक्षक जयपाल सिंह के अनुसार, 384 शेर गिर नेशनल पार्क और वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी में पाए गए, जबकि 507 शेर गिर के बाहर देखे गए। गिर के बाहर शेरों को पनिया, मितियाला, गिरनार, और बरदा जैसे अभयारण्यों में देखा गया। पोरबंदर से 15 किमी दूर बरदा अभयारण्य में अकेले 17 शेर दर्ज किए गए। भावनगर जिले में एक ही प्राइड में 17 शेर दर्ज होना सबसे अधिक रहा।
जनगणना की प्रक्रिया और तकनीक
यह 16वीं एशियाई शेर गणना 10 से 13 मई तक चार दिवसीय चरणों में की गई, जिसमें 11 जिलों के 58 तालुका और 35,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर किया गया। प्रारंभिक गणना 10-11 मई को हुई, जबकि अंतिम गणना 12-13 मई को की गई।
इस अभ्यास में 3,000 स्वयंसेवकों ने भाग लिया, जिनमें क्षेत्रीय, ज़ोनल, उप-ज़ोनल अधिकारी, गणनाकार, सहायक गणनाकार और निरीक्षक शामिल थे।इस बार जनगणना में अधिक सटीकता वाली 'डायरेक्ट बीट वेरीफिकेशन' विधि अपनाई गई, जिससे आंकड़ों में त्रुटि की संभावना लगभग शून्य रही।
हाई-टेक तकनीक का इस्तेमाल
शेरों की पहचान के लिए इस बार कैमरा ट्रैप्स, हाई-रेज़ोल्यूशन कैमरे, और रेडियो कॉलर जैसे तकनीकी उपकरणों का उपयोग किया गया। इसके अलावा शेरों के व्यवहार, लिंग, उम्र, शरीर पर चिन्ह और GPS लोकेशन जैसे विवरण भी दर्ज किए गए।
गुजरात में एशियाई शेरों की बढ़ती संख्या केवल वन्यजीव संरक्षण की सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह इस बात का संकेत भी है कि गिर के बाहर भी शेरों को सुरक्षित वातावरण मिल रहा है। शेरों की यह विस्तारित उपस्थिति भविष्य के लिए नई संरक्षण रणनीतियों की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है।