राजनितिक परिस्थितियों के अनुसार बदलता गया आतिशी का सरनेम
x

राजनितिक परिस्थितियों के अनुसार बदलता गया आतिशी का सरनेम

आतिशी मार्लेना ने पहला चुनाव इसी नाम के साथ लड़ा लेकिन अपने दूसरे चुनाव में ये सिंह सरनेम लगाया गया और अब जब वो दिल्ली की मंत्री बन गयीं और मुख्यमंत्री भी चुन ली गयीं हैं तो वो सिर्फ आतिशी ही रह गयी हैं.


What's in the surname : दिल्ली की नवघोषित मुख्यमंत्री आतिशी की एक समाजसेवक से राजनीती में आने और फिर एक कार्यकर्त्ता से विधायक, मंत्री और अब मुख्यमंत्री बनने की कहानी जितनी दिलचस्प है, उतनी ही दिलचस्प उनके नाम की कहानी भी है. कैसे आतिशी मार्लेना से आतिशी सिंह बनी और आज के समय में सिर्फ आतिशी. समय के साथ साथ आतिशी ने अपने नाम के साथ लगने वाले सरनेम का इस्तेमाल भी समय और राजनीती को देखते हुए किया. देखते हैं आतिशी ने कब कब अपने सरनेम को कैसे बदला और क्यों बदला.


पहले चुनाव में आतिशी मार्लेना
आतिशी ने आम आदमी पार्टी से पहला चुनाव 2019 में लड़ा था, आतिशी ने दिल्ली से पार्टी की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था. उस समय तक आतिशी अपने नास के साथ मार्लेना लगाती थीं, जो बचपन में उन्हें उनके माँ-बाप ने दिया था. मारलेना दो बड़े कम्युनिस्ट नेताओं कार्ल मार्क्स और लेनिन के नाम को मिला कर बनाया गया था. आतिशी के माता पिता इन दोनों ही कम्युनिस्ट नेताओ से बेहद प्रभावित थे, इसलिए उन्होंने आतिशी के नाम के आगे ये लगाया. लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान उनके नाम के साथ लगे मार्लेना को लेकर विरोधी दलों में इस तरह से प्रचार किया कि जैसे आतिशी इसाई धर्म से हों. बरहाल इस चुनाव में आतिशी को जीत नहीं मिली.

मार्लेना से सिंह
आतिशी को पार्टी ने 2020 के विधानसभा चुनाव में कालकाजी से उम्मीदवार बनाया. इस बार उनके नाम के साथ मार्लेना नहीं बल्कि सिंह लगा था. पार्टी की तरफ से उनकी जाति भी बतायी गयी कि वो पंजाबी राजपूत हैं. आतिशी चुनाव जीत गयीं और विधायक बन गयीं. लेकिन चुनाव जीतने के बाद उनके पंजाबी राजपूत होने की बात धीमी होती चली गयी, चुनाव के समय जिस बात पर जोर दिया जा रहा था, उसे अब शांत होने दिया गया.

अब सिंह भी नहीं है आतिशी के साथ
आतिशी विधायक के तौर पर अपने काम में जुटी रही. लेकिन तभी दिल्ली सरकार का शराब घोटाला चर्चा में आया और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया गया. मनीष सिसोदिया की ज़िम्मेदारी आतिशी को सौंपते हुए, उन्हें दिल्ली सरकार में मंत्री बनाया गया. इसके अलावा उन्हें कई महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो भी दिए गए. जब केजरीवाल जेल गए तो आतिशी ने विरोध प्रदर्शन से लेकर प्रशासन को संभालने तक में महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी निभाई. यही वजह भी रही कि उन्हें केजरीवाल ने अपनी जगह मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया. अब आतिशी के नाम के साथ कुछ और नहीं जुड़ा है, वो सिर्फ आतिशी हैं. उनके 'X' हैंडल पर भी उन्होंने सिर्फ आतिशी ही लिखा हुआ है.

आतिशी के पति हैं आईआईटीअन करते हैं समाज सेवा

आतिशी शादीशुदा हैं और उनके पति का नाम प्रवीन सिंह है. प्रवीन ने दिल्ली आईआईटी से इंजीनियरिंग की है और उसके बाद आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए. प्रवीन ने कुछ वर्षों तक कॉर्पोरेट सेक्टर में काम किया हुआ है और वो यूएस में भी नौकरी कर चुके हैं, लेकिन प्रवीन का मन समजा सेवा विशेष तौर पर पिछड़े गाँव के सुधर में लगा रहता, इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ कर समाज सेवा करना शुरू कर दिया. प्रवीन सिंह लाइम लाइट से दूर रहते हैं और सार्वजनिक जीवन में वो मीडिया के सामने नहीं आते.




Read More
Next Story