सातवें चरण से ठीक पहले अखिलेश यादव को पूर्वांचल में झटका, इस नेता ने की बगावत
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सातवें चरण से ठीक पहले अखिलेश यादव को पूर्वांचल में झटका, इस नेता ने की बगावत

यूपी की बलिया लोकसभा सीट पर 1 जून को होने वाले मतदान से पहले अखिलेश यादव को बड़ा झटका लगा है. समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता नारद राय ने पार्टी छोड़ने के संकेत दिए हैं.


सातवें और आखिरी चरण में यूपी की 13 सीटों पर एक जून को मतदान होना है. ये सभी सीटें गोरखपुर, वाराणसी और आजमगढ़ मंडल की है. 2024 के आम चुनाव को समझने से पहले 2019 के चुनावी नतीजे किसके पक्ष में थे पहले उसे जानना जरूरी है. पिछले आम चुनाव में बीजेपी के खाते में 11 सीट, बीएसपी के खाते में 2 सीट गई थी. इस दफा के चुनाव में बीजेपी के लिए घोसी और गाजीपुर और बलिया सीट पर जीत हासिल करना बड़ी चुनौती है. यहां हम बात करेंगे बलिया सीट की. 2019 में बलिया सीट पर बीजेपी का कब्जा था. हालांकि जीत का अंतर सिर्फ 13 हजार वोट का था. बीजेपी के उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह मस्त ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार सनातन पांडे को शिकस्त दी थी. इस दफा बीजेपी ने अपने उम्मीदवार को बदल दिया है जबकि समाजवादी पार्टी की तरफ से सनातन पांडे एक बार फिर चुनौती पेश कर रहे हैं. लेकिन इन सबके बीच बलिया के कद्दावर समाजवादी नेता नारद राय पार्टी को अलविदा कह चुके हैं. समाजवादी पार्टी से तलाक लेने के बाद अखिलेश यादव की सेहत पर कितना असर पड़ेगा उसे आगे समझेंगे. लेकिन उससे पहले नारद राय ने क्या कहा उसे जानिए.

नारद राय ने क्या कहा

नारद राय कहते हैं कि अखिलेश यादव उनका नाम भूल गए. वो उनका नाम नहीं लेते. वो उनका नाम भूल जा रहे हैं तो भला वो नाम क्यों लें.अंसारी परिवार का दरबारी बनकर नहीं रह सकता. इसके साथ ही एक्स पर एक उनका एक वीडियो है जिसके कैप्शन में लिखते हैं कि मैं लड़ता हूं तो ताल ठोक कर लड़ता हूं और विरोध भी वैसे ही करता हूं

इस वीडियो से ठीक पहले गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर अपने अगले कदम का संकेत दे दिया था.


अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि नारद राय, अखिलेश यादव से नाराज हो गए. इलाके के लोग कहते हैं कि इस बात की चर्चा थी कि समाजवादी पार्टी उन्हें बलिया से प्रत्याशी बनाए. लेकिन टिकट सनातन पांडे को मिल गया. टिकट ना मिलने से नारद राय मायूस तो हुए लेकिन पार्टी के साथ ही रहने का फैसला किया. हालांकि चुनावी कैंपेन में उन्हें जिस तरह से दरकिनार किया गया उससे वो आहत थे. लिहाजा अलग राह पर चलने का फैसला किया.एक्स के जरिए उन्होंने संकेत दिया है कि वो किधर जा रहे हैं हालांकि बीजेपी का औपचारिक हिस्सा नहीं बने हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि २९ मई को बलिया में अमित शाह की रैली होनी है और उस रैली में वो भगवा दल का दामन थामेंगे.

समाजवादी पार्टी को नुकसान क्यों

बलिया में अगर सवर्ण जातियों की बात करें तो करीब १५ फीसद ब्राह्मण, १३ फीसद ठाकुर और ८ फीसद भूमिहार मतदाता है. नारद राय, भूमिहार समाज से आते हैं. अगर वो समाजवादी पार्टी का हिस्सा बने रहते तो जाहिर सी बात है कि पार्टी के उम्मीदवार को फायदा होता. अब उनके अलग होने का अर्थ है कि इस समाज के अधिकतर मतों से हाथ धोना होगा. इसके अलावा वो अंसासातवें चरण से ठीक पहले अखिलेश यादव को पूर्वांचल में झटका, इस नेता ने छोड़ दी पार्टीरी परिवार का भी जिक्र करते हैं तो उसके पीछे वजह भी है. मोहम्मदाबाद तहसील वैसे जो गाजीपुर जनपद में है लेकिन संसदीय चुनाव में यह बलिया लोकसभा का हिस्सा है. मोहम्मदाबाद विधानसभा में भूमिहार आबादी अधिक है और अंसारी परिवार यानी मुख्तार का परिवार भी यहीं का रहने वाला है. लिहाजा नारद राय ने अंसारी का नाम लेकर भूमिहार मतदाताओं को गोलबंद करने की कोशिश की है.



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