बिभव कुमार को जमानत लेकिन सीएम के दफ्तर और घर में नो एंट्री
सुप्रीम कोर्ट ने बिभव कुमार को जमानत देते हुए कहा कि वो 100 दिनों से भी द्यदा समय से जेल में है जबकि इस मामले में चार्जशीत दायर की जा चुकी है. बिभव कुमार गवाहों को प्रभावित न कर सकें इसके लिए बिभव को सीएम का पीए नियुक्त नहीं किया जाए.
Bibhav Kumar Bail: आम आदमी पार्टी को आज ( 2 सितम्बर ) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के कथित शराब घोटाले के आरोपी विजय नायर को जमानत दी और फिर दोपहर को राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ कथित मारपीट करने के आरोपी बिभव कुमार को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी. साथ ही ये भी हिदायत दी कि बिभव की दिल्ली के मुख्यमंत्री के निजी सचिव पद पर बहाली नहीं होंगी और ना ही CM ऑफिस से जुड़ा कोई राजनीतिक पद उन्हें दिया जाएगा. इतना ही नहीं बिभव कुमार को सीएम के आवास पर भी जाने की इजाजत नहीं है.
जानिये सुप्रीम कोर्ट में पुलिस की तरफ से क्या कहा गया और अदालत ने क्या कहा
बिभव कुमार की तरफ से दायर जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस की ओर से विरोध किया गया, जिस पर SC ने सवाल उठाया. जस्टिस उज्ज्वल भुइयां ने ASG एसवी राजू से कहा कि इस केस में आरोपी 100 दिन से ज़्यादा वक़्त से जेल में बंद है. चार्जशीट दाखिल हो चुकी है. जो चोट लगी है, वो मामूली है. आप ऐसे केस में किसी को यूं ही जेल में नहीं रख सकते है. ये ज़मानत का मामला है. आपको ज़मानत का विरोध नहीं करना चाहिए.
इस पर दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश ASG एसवी राजू ने कहा कि इस केस में कुछ अहम गवाहों के बयान होने है. ये गवाह बिभव कुमार से प्रभावित हो सकते है. एक बार उनके बयान हो जाए, तब मैं जमानत का विरोध नहीं करुंगा.
इस दलील पर जस्टिस भुइयां ने कहा कि ऐसे तो हम किसी को भी ज़मानत नहीं दे पाएंगे.
कोर्ट ने कहा कि चार्जशीट दायर हो चुकी हैं. जांच पूरी हो चुकी है. पहली नज़र में बिभव के खिलाफ केस बनता है या नहीं, कोर्ट इसकी तह में नहीं जाएगा. ये तय करना ट्रायल कोर्ट का काम है. कोर्ट ने कहा कि 51 गवाहों के बयान प्रॉसिक्यूशन की ओर से होने है. इस लिहाज से ट्रायल पूरा होने ने वक़्त लगेगा. आरोपी 100 दिन से ज़्यादा वक्त आरोपी जेल में रह चुका है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बिभव को ज़मानत दे दी.
जमानत के साथ साथ सुप्रीम कोर्ट ने बिभव पर लगाई ये शर्तें
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक सभी गवाहों के बयान नहीं हो जाते , तब तक बिभव कुमार मुख्यमंत्री के ऑफिस और घर में नहीं जाएंगे. AAP से जुड़ा कोई भी पदाधिकारी केस की मेरिट पर इस केस के खत्म होने तक कोई टीका टिप्पणी भी नही करेंगे. SC ने कहा कि ट्रायल कोर्ट कोशिश करेगा कि तीन महीने में सभी अहम गवाहो के बयान दर्ज हो जाए.
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