65 फीसद आरक्षण पर 32 साल पुराना फैसला पड़ा भारी, नीतीश सरकार को झटका
आरक्षण के मुद्दे पर नीतीश सरकार को बड़ा झटका लगा है. पटना हाईकोर्ट ने आरक्षण का दायरा 50 फीसद से बढ़ाकर 65 फीसद को रद्द कर दिया है
Bihar Government Reservation News: आरक्षण के मुद्दे पर नीतीश सरकार को बड़ा झटका लगा है. पटना हाईकोर्ट ने आरक्षण का दायरा 50 फीसद से बढ़ाकर 65 फीसद के आदेश को रद्द कर दिया है. पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की बेंच राज्य सराकर द्वारा शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी, ओबीसी,ईबीसी को 65 फीसद आरक्षण देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी.नीतीश सरकार के आदेश के खिलाफ गौरव कुमार समेत अन्य याचियों की अर्जी पर सुनवाई पर फैसला 11 मार्च को सुरक्षित रखा गया था.
बता दें कि पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने नीतीश सरकार के फैसले को अनुच्छेद 14 और 16 के खिलाफ बताया. इसके साथ ही 32 साल पुराने इंदिरा साहनी केस का हवाला दिया गया जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया कि आरक्षण की उच्चतम सीमा 50 से अधिक नहीं हो सकती.
बिहार में सरकारी नौकरी के आंकड़े
बिहार सरकार ने 2023 के अंत में विधानसभा में आर्थिर और शैक्षणिक आंकड़े रहे. सरकार की तरफ से यह भी बताया कि किस समाज की हिस्सेदारी शिक्षा और नौकरियों में कितनी है. बिहार में सामान्य वर्ग की आबादी 15 फीसद है. य़दि नौकरी की बात करें तो 6 लाख 41 हजार 281 लोगों के पास नौकरियां हैं. वहीं 63 फीसद आबादी वाले पिछड़ा वर्ग के पास कुल 6 लाख 21 हजार 481 नौकरियां हैं. तीसरे नंबर पर अनुसूचित जाति समाज है. इनकी आबादी में भागीदारी 19 फीसद और नौकरियां 2 लाख 91 हजार के करीब है. सबसे कम 1 फीसद अनुसूचित जनजाति के पास 30 हजार से अधिर नौकरी है.
देश में इस समय 49.5 फीसद आरक्षण की व्यवस्था है. इसमें 27 फीसद ओबीसी, 15 फीसद एससी और 7.5 फीसद आरक्षण की सुविधा एसटी समाज को मिलता है.इसके अलावा 10 फीसद आरक्षण की व्यवस्था सामान्य वर्ग के पिछड़े (EWS) लोगों को मिलता है. इस हिसाब से देखें तो आरक्षण की सीमा 50 फीसद के पार है.EWS का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा.कई सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ईडब्ल्यूएस को दिए जाने वाले 10 फीसद आरक्षण को सही करार देते हुए कहा कि इससे संविधान के मूल ढांचे को किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचता है. बता दें कि बिहार में पहले से ही आरक्षण की सीमा 50 फीसद थी.