दिल्ली मेट्रो की बड़ी कामयाबी: गोल्डन लाइन सुरंग में TBM ने निभाई अहम भूमिका
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दिल्ली मेट्रो की बड़ी कामयाबी: 'गोल्डन लाइन' सुरंग में TBM ने निभाई अहम भूमिका

TBM ने दिल्ली जैसे घनी आबादी वाले शहर में बिना सड़कों को खोदे चुपचाप और सुरक्षित तरीके से सुरंग बनाने का काम आसान बनाया है . फेज 1 के बाद अब फेज 4 में भी DMRC इस तकनीक की मदद ले रही है.





दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) ने आज एक और बड़ी तकनीकी उपलब्धि हासिल की है। तुगलकाबाद से एरोसिटी तक बनने वाली मेट्रो की 'गोल्डन लाइन' पर एक खास सुरंग को बनाने में टनल बोरिंग मशीन (TBM) ने सफलता से ब्रेकथ्रू कर लिया है।

यह ब्रेकथ्रू माँ-आनंदमयी मार्ग और तुगलकाबाद रेलवे कॉलोनी स्टेशन के बीच बनाई जा रही भूमिगत सुरंग में हुआ। मौके पर दिल्ली सरकार के मंत्री डॉ. पंकज कुमार सिंह और DMRC के एमडी डॉ. विकास कुमार समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

क्या है TBM और क्या किया इसने?

  • TBM एक बड़ी सुरंग खोदने वाली मशीन है जो बिना सतह को नुकसान पहुंचाए ज़मीन के नीचे रास्ता बनाती है।
  • इस मशीन ने करीब 0.8 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई जो 18 मीटर की गहराई पर है।
  • सुरंग को बनाने में 566 मजबूत रिंग्स (छल्ले) लगाए गए, जिससे इसका व्यास यानी अंदर की चौड़ाई 5.8 मीटर रखी गई।
  • खुदाई का काम एक खास तकनीक से हुआ जिसे EPBM (Earth Pressure Balancing Method) कहते हैं। ये तकनीक मिट्टी के दबाव को संतुलित रखती है ताकि जमीन न धँसे।

मेट्रो के दोनों रास्तों के लिए बन रही है सुरंग

इस कॉरिडोर में दोनों तरफ मेट्रो चलाने के लिए दो सुरंगें बनाई जा रही हैं। पहली का काम आज पूरा हुआ है, जबकि दूसरी सुरंग में जुलाई 2025 तक ब्रेकथ्रू होने की उम्मीद है।

सुरक्षा पर खास ध्यान

सुरंग खुदाई के दौरान आसपास की इमारतों की लगातार निगरानी की गई। हाई-टेक सेंसर लगाए गए थे ताकि ज़मीन हिलने या किसी खतरे का पहले ही पता चल सके। इस वजह से कहीं भी कोई नुकसान नहीं हुआ।

फेज-4 में मेट्रो का तेजी से हो रहा विस्तार

DMRC की फेज-4 परियोजना के तहत दिल्ली में कुल 40 किलोमीटर से ज्यादा भूमिगत मेट्रो लाइन बन रही है। इनमें से लगभग 19 किलोमीटर हिस्सा सिर्फ तुगलकाबाद से एरोसिटी कॉरिडोर में है।

TBM: शहरी विकास की असली हीरो

TBM ने दिल्ली जैसे भीड़भाड़ वाले शहर में बिना सड़कों को खोदे चुपचाप और सुरक्षित तरीके से सुरंग बनाने का काम आसान बना दिया है।
DMRC ने फेज-1 से ही इस तकनीक का इस्तेमाल किया है, और अब फेज-4 में भी TBM की मदद से विकास की रफ्तार तेज हो गई है।


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