
क्यों ‘बिग बॉस कन्नड़’ ने कर्नाटक कांग्रेस में पैदा कर दीं गहरी दरारें
जॉलिवुड स्टूडियो के वेस्टवॉटर विवाद ने कांग्रेस मंत्रियों खांद्रे, डी.के. शिवकुमार और रेड्डी के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई का रूप ले लिया; जेडी(एस) ने लगाया ‘राजनीतिक बदले’ का आरोप
रियलिटी शो ‘बिग बॉस’, जो भारत की कई भाषाओं में प्रसारित होता है, अपनी हर रोज़ की बहसों, झगड़ों और ड्रामों के लिए मशहूर है — चाहे वो खाना बनाने को लेकर हो, सफाई के झगड़ों को लेकर, या फिर किसी प्रेम-कलह पर।
लेकिन इस बार कर्नाटक में जो झगड़े हो रहे हैं, वे ‘बिग बॉस हाउस’ के अंदर नहीं बल्कि उसके बा हर ज़्यादा सुर्खियाँ बटोर रहे हैं।
कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (KSPCB) द्वारा बेंगलुरु के बाहरी इलाके बिददि में स्थित जॉलिवुड एम्यूज़मेंट पार्क को सील किए जाने — जहाँ ‘बिग बॉस कन्नड़ सीज़न 12’ की शूटिंग चल रही थी — ने पूरे राज्य में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है।
कांग्रेस मंत्रियों, नौकरशाहों और विपक्षी नेताओं के बीच साफ़ तौर पर दो खेमे बन गए हैं।
अस्थायी बंदी
फिल्म स्टार किच्चा सुदीप द्वारा होस्ट किया जा रहा ‘बिग बॉस कन्नड़’, जो 35 एकड़ के एडवेंचर पार्क में फिल्माया जा रहा था, को पर्यावरण उल्लंघन के चलते अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा।
हालाँकि, उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार (डीकेएस) के हस्तक्षेप के बाद दो दिन में सील हटा दी गई और शो की शूटिंग फिर से शुरू कर दी गई।
लेकिन जो मामला शुरू में सिर्फ़ जॉलिवुड स्टूडियो द्वारा वेस्टवॉटर ट्रीटमेंट प्लांट न लगाने को लेकर था, अब वह कांग्रेस के मंत्रियों के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई में बदल गया है — जिसने सत्तारूढ़ सरकार के भीतर की दरारों को उजागर कर दिया है।
खांद्रे–नरेन्द्रस्वामी विवाद
यह मामला वन और पर्यावरण मंत्री ईश्वर खांद्रे और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पी.एम. नरेन्द्रस्वामी के बीच टकराव का कारण बन गया है।
हालाँकि बोर्ड स्वायत्त संस्था है, लेकिन वह खांद्रे के विभाग के अंतर्गत आता है।
मंत्री इस बात से नाराज़ बताए जा रहे हैं कि नरेन्द्रस्वामी ने बिना उन्हें बताए स्टूडियो सील कर दिया। उन्होंने निजी तौर पर इस एकतरफा कार्रवाई को “अनुचित” बताया और बोर्ड पर नियमों की अनदेखी का आरोप लगाया।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि खुद पूर्व मंत्री रह चुके नरेन्द्रस्वामी शायद अपनी स्वतंत्रता जताने के लिए विभागीय अनुमति के बिना कार्रवाई कर बैठे।
अनधिकृत निर्माण और सफाई उल्लंघन
अपने बचाव में नरेन्द्रस्वामी ने कहा , “स्टूडियो ने बिना अनुमति कई निर्माण कार्य किए थे और अपशिष्ट जल निस्तारण की पर्याप्त व्यवस्था नहीं की थी। बार-बार नोटिस देने के बाद भी कार्रवाई नहीं की गई। हमने कानून के अनुसार काम किया, इसमें कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है।”
मुख्यमंत्री की दखलअंदाज़ी
जैसे-जैसे विवाद बढ़ा, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने दखल दी। सरकार की छवि को नुकसान से बचाने के लिए उन्होंने दोनों नेताओं को बुलाकर सलाह दी कि वे अंदरूनी मतभेद सुलझाएँ और मंत्रालय व बोर्ड के बीच समन्वय बनाए रखें।
‘नट-बोल्ट पॉलिटिक्स’
मामला यहीं नहीं रुका — यह अब खुले राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप में बदल गया। जनता दल (सेक्युलर) ने आरोप लगाया कि डीके शिवकुमार ने ‘बिग बॉस कन्नड़’ के खिलाफ कार्रवाई राजनीतिक बदले की भावना से करवाई।
जेडी(एस) ने डीकेएस के एक पुराने बयान का ज़िक्र किया, “मैं जानता हूँ कि फिल्म इंडस्ट्री के ‘नट्स और बोल्ट्स’ कैसे कसने हैं।” उन्होंने यह बात तब कही थी जब फिल्मी हस्तियाँ एक सरकारी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुई थीं।
जेडी(एस) ने आरोप लगाया कि ‘नट-बोल्ट मंत्री’ अब किच्चा सुदीप के शो को निशाना बना रहे हैं। डीकेएस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा, “एच.डी. कुमारस्वामी और जेडी(एस) जो चाहे राजनीति करें, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपना काम किया है।”
उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, “निजी आयोजकों ने इस प्रोजेक्ट में बड़ा निवेश किया है, और इससे रोज़गार भी जुड़ा है। इसलिए मैंने अधिकारियों से कहा कि उन्हें गलती सुधारने और आगे बढ़ने का मौका दिया जाए।”
“पर्यावरणीय मानदंडों का पालन हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है, लेकिन स्टूडियो को नियमों के अनुरूप सुधार के लिए समय दिया जाएगा। मैं कन्नड़ मनोरंजन उद्योग का समर्थन करता रहूंगा, साथ ही पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी भी निभाऊंगा।”
पार्टी के भीतर मतभेद
डीकेएस का यह बयान, जो एक तरफ़ बोर्ड की कार्रवाई का समर्थन करता है और दूसरी तरफ़ आयोजकों के प्रति नरमी दिखाता है, कांग्रेस के भीतर से भी आलोचना झेल रहा है।
यह विवाद अब डीके शिवकुमार और बेंगलुरु दक्षिण जिला प्रभारी मंत्री रामलिंगा रेड्डी के बीच शक्ति संघर्ष में भी बदल गया है, क्योंकि जॉलिवुड स्टूडियो उनके प्रशासनिक क्षेत्र में आता है।
रेड्डी ने पहले तो चुप्पी साधी, लेकिन बाद में प्रत्यक्ष रूप से डीकेएस पर निशाना साधा।
उन्होंने बिना नाम लिए कहा, “नियमों के उल्लंघन के कारण अनुमति रद्द करने के बाद, उसे तब तक बहाल नहीं किया जाना चाहिए था जब तक कमियाँ दूर न हो जाएँ। यही कानून कहता है।”
रेड्डी का यह बयान डीकेएस के रुख से बिल्कुल उल्टा था, जो आयोजकों को सुधार का मौका देने के पक्ष में थे।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, भले ही डीकेएस उपमुख्यमंत्री हैं, लेकिन स्टूडियो का प्रशासनिक नियंत्रण रेड्डी के पास है — ऐसे में डीकेएस का हस्तक्षेप सीमा से बाहर माना गया।
आलोचकों का कहना है कि डीकेएस अक्सर अपनी राजनीतिक शक्ति दिखाने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर के मामलों में भी हस्तक्षेप करते हैं।
परदे के पीछे की राजनीति
जो मामला पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन से शुरू हुआ था, अब वह मंत्रियों, अफसरों और विपक्षी दलों के बीच सत्ता संघर्ष में बदल गया है — जिसमें ‘बिग बॉस कन्नड़’ तूफ़ान के केंद्र में है।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के सुलह प्रयासों के बावजूद, यह प्रकरण कांग्रेस सरकार के भीतर महत्वाकांक्षी नेताओं के बीच बढ़ती खींचतान को उजागर करता है और कर्नाटक की राजनीति में एक नया उपकथानक जोड़ देता है।
(यह लेख मूल रूप से “द फेडरल कर्नाटक” में प्रकाशित हुआ था।)