बिहार गजब है : एक भूल ने मुन्ना कुमार को बना दिया 138 लोगों का पिता
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बिहार गजब है : एक भूल ने 'मुन्ना कुमार' को बना दिया 138 लोगों का पिता

बिहार के मुज्ज़फरपुर से ये मामला सामने आया है, जहाँ उपचुनाव के चलते मतदाताओं की सूची को जब अपडेट किया गया तो उसमें गड़बड़ी सामने आई. प्रशासन इस गड़बड़ी को तकनिकी गलती बता रहा है


Bihar's Bizarre Incidents : बिहार की बात करें तो अक्सर अलग अलग वजहों से सुर्ख़ियों में रहता है. एक बार फिर से बिहार में ऐसा ही कुछ हुआ है, जिसने सबको हैरत में डाल दिया है. दरअसल एक भूल ने एक व्यक्ति को 138 लोगों का पिता बना दिया. चौंक गए न! जी, हाँ आपने सही पढ़ा है लेकिन हो सकता है कि समझने में गलती हो जाए. तो हम आपको विस्तार से इस पूरे मामले के बारे में बताते हैं.

ये मामला बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में तिरहुत स्नातक से जुड़ा है, जहाँ उपचुनाव के लिए जारी मतदाता सूची में चौंकाने वाली गड़बड़ी सामने आई है. औराई प्रखंड के बूथ संख्या 54 में 724 मतदाताओं की सूची में 138 वोटरों के पिता का नाम 'मुन्ना कुमार' दर्ज है. इस अनोखी गड़बड़ी ने मतदाताओं और प्रशासन, दोनों को हैरत में डाल दिया है. अब इस बात की

कैसे हुआ खुलासा?
यह मामला तब प्रकाश में आया जब मतदाता सूची की जांच की गई। जिन मतदाताओं के पिता के नाम का पहला अक्षर 'एम' था, उनका नाम फॉर्मेटिंग की तकनीकी गड़बड़ी के कारण 'मुन्ना कुमार' दर्ज हो गया। इस त्रुटि को यूनिकोड फॉन्ट में गलती बताया जा रहा है।

प्रशासन का बयान
तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त सरवणन एम ने इसे तकनीकी खामी बताते हुए कहा कि मतदान प्रक्रिया पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। "यह त्रुटि चुनाव के बाद ठीक कर दी जाएगी। मतदाताओं को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होगी," उन्होंने कहा।

फॉन्ट को ठहराया ज़िम्मेदार
जब मामले ने तूल पकड़ा तो बात ऊपर तक भी गयी और लोगों ने इसे लेकर चिंता जतायी कि मतदान में उन्हें शामिल होने भी दिया जायेगा या नहीं? जिसके बाद फिलहाल प्रसाशन की तरफ से ये कहा जा रहा है कि ये सब कंप्यूटर की तकनीकी भूल की वजह से हुआ है। जिन लोगों के पिता के नाम म से शुरू होते हैं, उन सभी के नाम अपने आप मुन्ना कुमार हो गया। ऐसा फॉन्ट की वजह से हुआ है. हालाँकि मामले की जांच की बात कही जा रही है।

मतदाताओं की चिंता और नाराजगी
मतदाता इस गड़बड़ी को लेकर चिंतित हैं। उन्हें डर है कि इस गलती के कारण उनका मतदान अधिकार छिन सकता है। वहीं, प्रशासन की सफाई के बावजूद यह घटना चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रही है।

क्या कहता है यह मामला?
तकनीकी गड़बड़ी का दावा चाहे जितना भी सही हो, लेकिन इस घटना ने चुनावी तैयारियों और मतदाता सूची की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना बिहार में प्रशासनिक कार्यों में सुधार की आवश्यकता को एक बार फिर उजागर करती है।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस त्रुटि को कितनी जल्दी सुधारता है और भविष्य में ऐसी गलतियों से बचने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।


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