
बिहार चुनाव 2025: इंडिया ब्लॉक का SWOT विश्लेषण, आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन बनाम नीतीश कुमार का एनडीए
बिहार विधानसभा चुनाव 6 और 11 नवंबर को निर्धारित हैं, ऐसे में यहां नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले NDA के खिलाफ लड़ रहे RJD-कांग्रेस INDIA ब्लॉक पर एक विस्तृत SWOT विश्लेषण प्रस्तुत है।
पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा पर कथित “वोट चोरी” के आरोप लगाते हुए आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन ने एक ज़ोरदार अभियान चलाया था। इसी गठबंधन के नेतृत्व में बना इंडिया ब्लॉक अब बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए से सीधी टक्कर लेगा।
सोमवार (6 अक्टूबर) को चुनाव आयोग द्वारा बिहार चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही अब निगाहें दोनों प्रमुख गठबंधनों पर टिक गई हैं। बिहार में विधानसभा चुनाव दो चरणों में होंगे, पहले चरण में 6 नवंबर को और दूसरे चरण में 11 नवंबर को मतदान होगा, जबकि मतगणना 14 नवंबर को होगी।
नीचे दिया गया है इंडिया ब्लॉक का SWOT विश्लेषण (Strengths, Weaknesses, Opportunities, Threats)
इंडिया ब्लॉक की ताकतें (Strengths)
आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन के नेतृत्व वाला इंडिया ब्लॉक भाजपा पर “वोट चोरी” के आरोपों को लेकर आक्रामक अभियान चला चुका है। यह गठबंधन राज्य की लगभग 30 प्रतिशत मुस्लिम-यादव वोट बैंक पर मजबूत पकड़ रखता है।
आरजेडी के लिए, पार्टी संस्थापक लालू प्रसाद यादव के सक्रिय राजनीति से पीछे हटने के बाद उनके बेटे तेजस्वी यादव को निर्विवाद नेता के रूप में प्रोजेक्ट किया गया है। पूर्व उपमुख्यमंत्री और वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने राज्य के युवाओं के बीच खासा जनाधार बनाया है।
इसके अलावा, कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी बिहार में काफी समय लगाया है, जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है और एनडीए के खिलाफ लड़ाई में ऊर्जा आई है।
कमज़ोरियां (Weaknesses)
इंडिया ब्लॉक की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी अभी भी लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव और उनके परिवार के करीबी सदस्यों के नियंत्रण में है। इनमें से कई लोग “लैंड फॉर जॉब्स” घोटाले जैसी जांचों में फंसे हैं, जिसकी जांच ईडी द्वारा की जा रही है।
हालांकि तेजस्वी यादव ने युवाओं को अपने पक्ष में लामबंद किया है, लेकिन परिवार के अंदरूनी विवाद—जैसे भाई तेज प्रताप यादव और यादव परिवार के अन्य सदस्यों के बयानों या व्यवहार—ने कई बार तेजस्वी का ध्यान पार्टी और गठबंधन से हटाकर घरेलू मोर्चे पर केंद्रित कर दिया है।
अवसर (Opportunities)
तेजस्वी यादव जैसे युवा चेहरे के नेतृत्व में इंडिया ब्लॉक ने अपनी छवि में पूरी तरह बदलाव किया है। उन्होंने बिहार में बढ़ती बेरोज़गारी और कानून-व्यवस्था के मुद्दे को ज़ोरदार तरीके से उठाया है, जो युवाओं के बीच उन्हें लोकप्रिय बनाता है।
भले ही एनडीए यह दावा करे कि जातीय सर्वेक्षण उसकी सरकार ने कराया, लेकिन असलियत यह है कि उस समय आरजेडी सत्ता में साझेदार थी और उसी अवधि में वंचित वर्गों के लिए आरक्षण को बढ़ाया गया था। यह कदम आरजेडी को “मंडल राजनीति” के प्रतीक के रूप में फायदा पहुंचा सकता है।
इसके अलावा, कांग्रेस और सीपीआई (एमएल) लिबरेशन जैसी समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ गठबंधन और नीतीश कुमार का अचानक एनडीए में लौटना मुस्लिम वोटों का पूरा झुकाव आरजेडी और उसके सहयोगियों की ओर कर सकता है।
खतरे (Threats)
इंडिया ब्लॉक लंबे समय से बिहार की सत्ता से बाहर है। इससे गठबंधन के भीतर महत्वाकांक्षी नेताओं को एकजुट रखना और तालमेल बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
यदि नेतृत्व समन्वय नहीं साध पाया, तो आंतरिक मतभेद और गुटबाज़ी चुनावी प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती है।
बिहार चुनाव 2025 में इंडिया ब्लॉक के पास मजबूत सामाजिक आधार और युवा नेतृत्व का फायदा है, लेकिन परिवारवाद, कानूनी मामलों और संगठनात्मक एकजुटता की चुनौतियाँ भी उसके सामने हैं। नवंबर में होने वाले चुनाव तय करेंगे कि यह गठबंधन इन चुनौतियों को पार कर पाता है या नहीं।