बिहार में खत्म हुआ प्रचार, दूसरे चरण में तय हो जाएगी नई सरकार की सूरत
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बिहार में खत्म हुआ प्रचार, दूसरे चरण में तय हो जाएगी नई सरकार की सूरत

दूसरे चरण में 3.7 करोड़ से ज्यादा मतदाता वोट डालने के पात्र हैं, जिनमें 1 करो़ड़ 95 लाख पुरुष मतदाता हैं और 1 करोड़ 74 लाख महिला मतदाता।


बिहार में दूसरे और आखिरी दौर के चुनाव के लिए प्रचार खत्म हो गया है। 11 नवंबर को वोटिंग होगी और नतीजे आएंगे 14 नवंबर को। अब यह दूसरा चरण बहुत निर्णायक हो गया है क्योंकि पहले चरण के चुनाव में ज्यादा वोटिंग से सब चौंके हुए हैं... बिहार चुनाव के पहले फेज में 121 विधानसभा क्षेत्रों में लगभग 65 फीसदी वोट पड़े हैं...अब दूसरे चरण में शेष 122 सीटों पर वोट डाले जाने हैं....और नजर इसी पर है कि क्या पहले चरण की ही तरह दूसरे फेज में भी ज्यादा मतदान होगा? और अगर ऐसा होगा तो उसके क्या मायने निकाले जाएंगे? क्योंकि बिहार की चुनावी राजनीति का इतिहास बताता है कि जब-जब भी 5 फीसदी से ज्यादा रिकॉर्ड वोट पड़े हैं, तब-तब बिहार की सत्ता में बदलाव हुआ है।

तो अब सारी नजरें दूसरे फेज में चंपारण से सीमांचल तक होने वाले चुनावों पर टिकी हुई हैं। दूसरे चरण में 3.7 करोड़ से ज्यादा मतदाता वोट डालने के पात्र हैं, जिनमें 1 करो़ड़ 95 लाख पुरुष मतदाता हैं और 1 करोड़ 74 लाख महिला मतदाता। पहले चरण में महिलाओं की वोटिंग पुरुषों के मुकाबले 8 परसेंट ज्यादा रही, लेकिन इसके मायने ये नहीं निकाले जा सकते कि महिलाओं ने ज्यादा वोट किया क्योंकि बिहार में पुरुषों और महिलाओं के आबादी के बीच भी अंतर है।

हां, लेकिन एनडीए और खासकर नीतीश कुमार जरूर महिला वोट के भरोसे होंगे क्योंकि उनके लिए महिला वोटरों में रुझान देखा जा रहा है..इसे ऐन चुनाव से पहले लागू की गई 10 हजार रुपये की योजना का असर भी कहा जा रहा है तो पिछले करीब दो दशक में नीतीश कुमार के द्वारा महिलाओं के लिए चलाई गई योजनाओं का इंपैक्ट भी कई जगह अभी बना हुआ है वरना एनडीए और खासकर बीजेपी तो जंगलराज का डर दिखाकर फिर से बिहार की सत्ता में आने की जुगत में लगी हुई है।
चुनावी रैलयों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तक बीजेपी की टॉप लीडरशिप बीस साल से भी पहले के लालू राज का हौव्वा दिखाते रहे कि जंगलराज ने बिहार को बर्बाद कर दिया, जबकि इन दो दशक में नीतीश कुमार के चेहरे की आड़ लेकर बीजेपी ज्यादातर वक्त सत्ता में रही। वैसे क़ानून-व्यवस्था के सवाल पर नीतीश कुमार भी सवालों के घेरे में रहे हैं क्योंकि उनकी सरकार के समय भी कई जघन्य वारदातें हुई हैं...लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत एनडीए के तमाम टॉप के लीडरों ने जिस तरह जंगलराज को हर सभा, हर रैली में उठाया है, उससे साफ लग रहा है कि वो बीस साल से ज्यादा पुरानी घटनाओं का जिक्र करके युवा वोटरों के मन में बैठ जाना चाहते हैं।

लेकिन सवाल ये भी है कि आखिर अतीत की ओर कब तक देखते रहेंगे? फ्यूचर का एजेंडा भी सेट करेंगे या नगहीं?वैसे इस चुनाव में महागठबंधन और खासकर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने इस चुनाव को रोजगार जैसे मूल सवालों पर फोकस किया है..जोकि युवाओं के एक बड़े तबके को लुभा रहा है। तेजस्वी की सभाओं में भीड़ भी अच्छी-खासी जुटी...जिससे इतना अनुमान तो लग रहा है कि एनडीए के लिए मुकाबला इतना आसान भी नहीं है। हालांकि ऐसा भी नहीं कह सकते कि सारे युवा तेजस्वी यादव के ही साथ हैं...कहा जा रहा है कि नई नवेली जनसुराग पार्टी के प्रशांत किशोर भी युवा वोटर्स में काफी कुछ डेंट मारने की स्थिति आ सकते हैं। तो कुल मिलाकर अब दूसरे फेज की 122 सीटें तय कर देंगी कि बिहार में नई सरकार किसकी बनने जा रही है।

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