क्या वक्फ बिल नीतीश की पार्टी के मुस्लिम नेताओं की चिंता बढ़ा रहा है?
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क्या वक्फ बिल नीतीश की पार्टी के मुस्लिम नेताओं की चिंता बढ़ा रहा है?

केंद्र सरकार संसद में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल संसद में बुधवार को पेश करने वाली है। इस बिल को लेकर बिहार की राजनीति में हलचल मची हुई है।


अब ये तय हो गया है कि वक्फ संशोधन बिल बुधवार 2 अप्रैल को संसद में रखा जाएगा। इस पर चर्चा होगी लेकिन मतदान होगा या नहीं, ये अभी साफ नहीं है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि वक्फ बिल की तपिश चुनावी साल में बिहार की राजनीति को गरमाने वाली है।

गुलाम गौस का लालू से मिलना

खासकर सत्ताधारी जेडीयू को ये असहज कर सकता है। इसकी एक झांकी 31 मार्च को ईद के दिन दिखाई दी जब जेडीयू के एमएलसी गुलाम गौस ने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के घर पहुंचकर सबको चौंका दिया।

तब से चर्चाओं का बाजार गर्म है कि आखिर नीतीश की पार्टी के एमएलसी गौस लालू यादव से क्यों मिले? इस मुलाकात का क्या कोई चुनावी कनेक्शन है? कहीं ऐसा तो नहीं कि चुनावी साल में नीतीश की पार्टी के एमएलसी गौस पाला बदल देंगे?

जेडीयू को क्या चिंता सती रही है?

जानकार मान रहे हैं कि इस बार बीजेपी ने बिहार में जिस तरह हिंदू-मुस्लिम नैरेटिव को हवा दी हुई है, उससे जेडीयू के मुस्लिम नेता चिंतित हो सकते हैं। अब केंद्र सरकार वक्फ संशोधन बिल को संसद में पेश करने वाली है, जिससे जेडीयू के भीतर मुस्लिम नेता असहज हो सकते हैं।

वैसे भी चुनावी आंकड़े बता रहे हैं कि नीतीश कुमार से मुसलमानों का भरोसा चुनाव-दर-चुनाव कम होता गया है।

नीतीश से छिटकता मुस्लिम वोट

नीतीश कुमार ने साल 2014 का लोकसभा चुनाव लेफ्ट पार्टियों के साथ मिलकर लड़ा था तब उनकी पार्टी जेडीयू को 21 फीसदी मुस्लिम वोट मिले थे। इसके अगले ही साल यानी साल 2015 में जब बिहार में विधानसभा चुनाव हुआ तो जेडीयू महागठबंधन का हिस्सा थी।

उस चुनाव में नीतीश की पार्टी को करीब 18 फीसदी मुस्लिम वोट हासिल हुए। लेकिन इसके बाद के चुनाव जब वो बीजेपी के साथ मिलकर लड़ने लगे तो उनसे मुस्लिम वोट धीरे-धीरे छिटकने लगा।

आंकड़े बता रहे हैं कि 2019 में एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले नीतीश कुमार को बिहार में केवल 6 फीसदी ही मुस्लिम वोट मिले। 2020 का विधानसभा चुनाव उन्होंने फिर एनडीए के साथ लड़ा, उनका तब मुस्लिम वोट घटकर 5 प्रतिशत रह गया।

हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को जरूर 12 फीसदी मुस्लिम वोट मिले...लेकि कहां 2014 में 21 फीसदी मुस्लिम वोट लेने वाली नीतीश कुमार की पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव में 12 परसेंट ही मुस्लिम वोट ले सकी।

मुस्लिम फैक्टर कितना अहम?

बिहार चुनाव में मुस्लिम एक अहम फैक्टर हैं। बिहार में लगभग 18 फीसदी मुस्लिम आबादी है। 47 सीट पर मुस्लिम वोट हार-जीत में निर्णायक माने जाते हैं.

CSDS का आंकड़ा बता रहा है कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी, कांग्रेस वाले महागठबंधन को 77 फीसदी मुस्लिम वोट मिला, जबकि 11 मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर भी जेडीयू का एक भी कैंडिडेट नहीं जीता।

इस बीच अब 2025 चल रहा है। इस साल के उत्तरार्द्ध में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। फिर वही सवाल सामने है कि क्या नीतीश कुमार मुस्लिमों में भरोसा जगा पाएंगे, वो भी तब जबकि उसकी सहयोगी बीजेपी उग्र हिंदुत्व कार्ड खुलकर खेल रही है और वक्फ बोर्ड संशोधन बिल संसद में आ रहा है। शायद यही सवाल जेडीयू को भी परेशान कर रहा है।

इसीलिए जेडीयू के एमएलसी गुलाम गौस का लालू प्रसाद यादव को मिलने उनके घर जाना कोई सामान्य घटना नहीं है। वो भी तब जब विवार को अमित शाह बिहार के एनडीए नेताओं को जीत का मंत्र देकर दिल्ली लौटे और अगले ही दिन यानी सोमवार को जेडीयू एमएलसी, लालू यादव के घर पहुंच गए। जानकार मान रहेहैं कि इसमें कहीं न कहीं बिहार चुनाव का कोई न कोई कनेक्शन जुड़ा हो सकता है।

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