क्या आधी आबादी की अनदेखी कर रहे हैं प्रशांत किशोर ?
प्रशांत किशोर ने कहा कि उनकी पार्टी जन सुराज सत्ता में आती है तो महज एक घंटे में ही बिहार में शराब बंदी को हटा देंगे.
Bihar Politics : बिहार में अगले साल चुनाव होने हैं. इसे लेकर हर पार्टी सक्रीय है. सबने अपने अपने मुद्दे भी तय किये हुए हैं, इस बीच बिहार की नवगठित पार्टी जन सुराज के अध्यक्ष प्रशांत किशोर ने बिहार की जनता के सामने एक अजीबो गरीब वादा किया है. प्रशांत किशोर ने कहा है कि बिहार में सरकार बनते ही 1 घंटे में शराब बंदी नियम को हटा देंगे. प्रशांत किशोर के इस वादे को बड़ी ही हैरानी से देखा जा रहा है, क्योंकि येही वो मुद्दा है, जिससे बिहार की आधी आबादी ने नितीश कुमार को चुनावों में वोट देने के लिए प्रेरित किया है. प्रशांत किशोर जो खुद राजनितिक रणनीतिकार भी हैं, आधी आबादी को दर किनार कैसे कर सकते हैं.
क्या कहा प्रशांत किशोर ने
प्रशांत किशोर ने मीडिया के सामने कहा कि सत्ता में आने पर एक घंटे के अंदर शराबबंदी प्रतिबंध को समाप्त कर दिया जाएगा. इसके पीछे का तर्क ये दिया जा रहा है कि राज्य में 2016 से शराब बंदी है लेकिन शराब की खपत ख़त्म नहीं हुई है. राज्य में शराब का अवैध धंधा जोरों पर है. कई ऐसी घटनाएँ भी हो चुकी हैं, जिसमे जहरिली शराब पीने से लोगों की मौत हुई है. इसके अलावा जो बड़ा नुकसान है, वो है राजस्व का नुकसान, जिसकी वजह से राज्य की आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ रहा है. इन सब वजहों से प्रशांत किशोर शराब बंदी को हटाने की बात कर रहे हैं. सवाल ये है कि क्या प्रशांत किशोर जो गाँव गाँव घुमने का दावा करते हुए जनता के मन की बात को जानने का दावा कर रहे हैं, वो वाकई इस मुद्दे पर जनता की नब्ज को टटोल पाए हैं या फिर पढ़े लिखे वर्ग की सोच तक ही सीमित हैं.
क्या महिलाएं इस तर्क को समझेंगी
बिहार से ही ताल्लुक रखने वाले पत्रकार प्रेरित कुमार का कहना है कि प्रशांत किशोर ने जो तर्क दिया वो आंकड़ों के हिसाब से सही हो सकता है लेकिन जनता की बात करें तो शायद ये स्वीकार्य न हो, ख़ास तौर से महिलों को. असल में बिहार में ख़ास तौर से महिलाओं में शिक्षा का स्तर आज भी ज्यादा नहीं है. वहां की सामाजिक सरंचना में भी शराब को बुरा ही माना जाता है, ज्यादातर महिलाएं शराब बंदी से खुश हैं. बिहार में शराब अवैध रूप से बिक रही है, इस बात में दो राय नहीं है. जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत भी हुई है लेकिन पूरे राज्य में इसकी औसत देखेंगे तो कम है. अवैध शराब बहुत महंगी बिकती है, जो हर किसी के बस में नहीं है, ख़ास तौर से गरीब के. शराब पर जब बंदी नहीं थी तो गरीब वर्ग का पुरुष ( जो शराब पीता है ) वो सुबह या शाम जेब में पैसा हुआ तो शराब पी लेता था, जिसकी वजह से घर में कलेश आदि आम बात थी. आज अवैध शराब रोज खरीदने लायक पैसे उस गरीब की जेब में नहीं है. इसलिए महिलाएं इससे खुश हैं. जहाँ तक रही राजस्व की बात तो आम जनता को इस सबसे मतलब नहीं है.
नितीश की शराब बंदी आज भी महिलाओं की पहली पसंद
एक नामी हिंदी न्यूज़ चैनल के पत्रकार प्रेरित कुमार कहते हैं कि हो सकता है कि पुरुष वर्ग में से एक तबका ऐसा हो जो प्रशांत किशोर के इस वादे से प्रभावित हो जाए, लेकिन महिअलों के बीच आज भी नितीश कुमार की शराब बंदी पहली पसंद है. वो इस बात से खुश हैं कि या तो शराब बंदी की वजह से उनके घर में शराब को लेने वाले झगडे खत्म हो चुके हैं या फिर उनके पति या बेटे या भाई ने शराब पीनी बहुत कम कर दी है. जिसकी वजह से उन्हें संतोष है. कई ऐसे भी हैं, जो पैसा न होने की वजह से शराब छोड़ चुके हैं. इसलिए ये मुद्दा आगामी चुनाव में भी काम करेगा, ऐसा मेरा मानना है.
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