
बिहार कांग्रेस ने पटना बैठक में बिहार चुनाव का रोडमैप पेश किया, ‘वोट चोरी’ के दावे पर दिया जोर
मल्लिकार्जुन खड़गे ने NDA पर ‘वोट चोरी’, बेरोज़गारी और जातीय जनगणना को लेकर किया हमला; कहा आने वाले चुनाव मोदी सरकार के ‘पतन की शुरुआत’ होंगे
कांग्रेस ने बुधवार (24 सितम्बर) को दावा किया कि आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के “पतन की शुरुआत” साबित होंगे। इसी के साथ पार्टी ने इस चुनाव के लिए अपने अभियान का एजेंडा भी तय कर दिया।
पटना की बैठक
लालू प्रसाद यादव की राजद (RJD) के नेतृत्व वाले महागठबंधन का हिस्सा बनकर चुनाव लड़ रही कांग्रेस ने स्वतंत्रता के बाद पहली बार पटना स्थित अपने बिहार मुख्यालय सदाकत आश्रम में विस्तारित कार्यसमिति (CWC) की बैठक बुलाई है। यह बैठक बिहार को यह संदेश देने के लिए आयोजित की गई है कि कांग्रेस राज्य की सत्तारूढ़ एनडीए सरकार (मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में) के खिलाफ ज़ोरदार लड़ाई के लिए गंभीर है। पाँच साल पहले कांग्रेस अकेले 70 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और केवल 19 सीटें जीत सकी थी, जिससे महागठबंधन सरकार बनने से चूक गया था।
खड़गे का हमला
बैठक के उद्घाटन भाषण में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सत्तारूढ़ बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के खिलाफ पार्टी की रणनीति की रूपरेखा रखी। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की ‘बिहार वोटर अधिकार यात्रा’ ने जिस तरह चुनाव आयोग की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को “वोट चोरी” का मुख्य मुद्दा बनाया था, उसे और विस्तार देना होगा।
खड़गे ने कहा,“वोट चोरी का मतलब सिर्फ़ लोगों के वोट छीनना नहीं है। वोट चोरी का मतलब दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, अतिपिछड़ों, अल्पसंख्यकों, कमजोरों और गरीबों का राशन छीनना है; उनकी पेंशन, उनकी दवाइयाँ और उनके बच्चों की छात्रवृत्तियाँ व परीक्षाएँ छीनना है। यही साज़िश अब राष्ट्रीय स्तर पर रची जा रही है।”
बेरोज़गारी और जातीय जनगणना
खड़गे ने कहा कि बिहार में बेरोज़गारी की दर 15 प्रतिशत है। दिल्ली और पटना की “डबल इंजन सरकार” ने राज्य की अर्थव्यवस्था बिगाड़ दी और बिहार को कोई विशेष पैकेज नहीं दिया। लाखों बिहारी युवा या तो हर साल पलायन को मजबूर हैं या भर्ती घोटालों के खिलाफ आवाज़ उठाने पर पुलिस की लाठियाँ खा रहे हैं।
उन्होंने जातीय जनगणना पर भी जोर दिया और याद दिलाया कि महागठबंधन सरकार (नीतीश कुमार की अगुवाई में) के कार्यकाल में ही बिहार में जातीय सर्वेक्षण हुआ था।
खड़गे ने कहा,“बिहार की 80 प्रतिशत आबादी पिछड़े, अतिपिछड़े, दलित और आदिवासी वर्गों की है। लोग जातीय जनगणना और आरक्षण नीति में पारदर्शिता चाहते हैं। प्रधानमंत्री से मेरा सवाल है कि उन्होंने किस मजबूरी में बिहार में आरक्षण सीमा 65% करने के महागठबंधन सरकार के फ़ैसले को संवैधानिक सुरक्षा नहीं दी? तमिलनाडु ने 30 साल पहले आरक्षण 69% किया था और कांग्रेस सरकार ने उसे संवैधानिक सुरक्षा दी थी। लेकिन आपकी डबल इंजन सरकार बिहार में ऐसा क्यों नहीं कर सकी?”
योगी पर भी तंज
खड़गे ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के हालिया फ़ैसले का ज़िक्र किया, जिसमें जाति आधारित राजनीतिक व सामाजिक सभाओं पर पाबंदी लगाई गई है।
उन्होंने कहा,“उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री खुद को प्रधानमंत्री का उत्तराधिकारी मानते हैं। उन्होंने कभी आरक्षण के खिलाफ लेख लिखा था और अब जाति आधारित रैलियों पर पाबंदी लगा दी है। प्रधानमंत्री देश को बताएँ कि एक तरफ़ आप जातीय जनगणना की बात करते हैं और दूसरी तरफ़ आपकी सरकार में सड़कों पर जातीय अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों को जेल की धमकी दी जाती है।”
खड़गे ने बिहार की बिगड़ती कानून-व्यवस्था पर भी हमला बोला और कहा कि अपराध की बढ़ती घटनाएँ साबित करती हैं कि बिहार की सरकार और प्रशासन “लंबी छुट्टी पर चला गया है।” उन्होंने कहा कि बिहार की जनता “बीजेपी की सांप्रदायिक राजनीति नहीं चाहती, बल्कि विकास केंद्रित राजनीति चाहती है जो रोज़गार और सामाजिक न्याय की समस्याओं का स्थायी समाधान दे।”
नीतीश पर नरम रुख
दिलचस्प बात यह रही कि खड़गे ने अपने भाषण में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सीधा हमला करने से बचा। उन्होंने कहा कि बीजेपी अब नीतीश कुमार को “बोझ” मानती है और उन्हें “मानसिक रूप से रिटायर” कर चुकी है। खड़गे का यह रुख इसलिए भी अहम है क्योंकि नीतीश कुमार अपनी राजनीतिक लचीलेपन और गठबंधन बदलने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। वहीं, जेडीयू और बीजेपी के बीच सीट बंटवारे को लेकर बातचीत भी फिलहाल सुचारू रूप से आगे नहीं बढ़ रही है।