बिहार SIR: जिनका नाम वोटर लिस्ट से कटा है, वो आधार के जरिए कर सकते हैं दावा
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बिहार के कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ मतदाता पहले मसौदे में शामिल किए गए। (फाइल फोटो)

बिहार SIR: जिनका नाम वोटर लिस्ट से कटा है, वो आधार के जरिए कर सकते हैं दावा

रविवार को बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (CEO) ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के पहले चरण में मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों का ब्यौरा प्रकाशित किया।


सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद, जिसमें निर्वाचन आयोग (EC) से कहा गया था कि मसौदा मतदाता सूची से नाम छूट जाने वाले लोगों को आधार कार्ड के जरिए दावा करने की अनुमति दी जाए, बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने सोमवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी की।

उन्होंने आदेश में कहा, “…सभी ऐसे मतदाता जिनका नाम मसौदा सूची में शामिल नहीं है, वे अपने EPIC नंबर के जरिए इस सूची में अपने नाम से जुड़ी जानकारी और कारण जान सकते हैं। 01.08.2025 को प्रकाशित मसौदा सूची में जिन मतदाताओं का नाम शामिल नहीं है, उनकी सूची सभी प्रखंड कार्यालयों, पंचायत कार्यालयों, नगर निकायों और मतदान केंद्रों पर प्रदर्शित की गई है। इन सूचियों के जरिए ऐसे मतदाता अपने नाम और उससे जुड़ी वजहों की जानकारी ले सकते हैं। असंतुष्ट व्यक्ति अपने दावे को आधार कार्ड की प्रति संलग्न कर जमा कर सकते हैं।”

हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि क्या ऐसे मतदाताओं को अपना नाम पुनः सूची में दर्ज कराने के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा अनिवार्य किए गए 11 दस्तावेजों में से किसी एक को भी प्रस्तुत करना आवश्यक होगा।

रविवार को बिहार के CEO ने SIR के पहले चरण में मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों का ब्यौरा सार्वजनिक किया था।

यह कदम सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद उठाया गया जिसमें अदालत ने SIR के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था कि मसौदा सूची से हटाए गए नामों और हटाए जाने के कारणों का विवरण प्रकाशित किया जाए।

विपक्षी दलों और कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने SIR प्रक्रिया के दौरान संभावित गलत ढंग से नाम हटाए जाने पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि इस प्रक्रिया में कई लोगों को मृत घोषित कर दिया गया, जबकि वे जीवित हैं, और उनके नाम सूची से हटा दिए गए।

बिहार के 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ पहले मसौदे में शामिल हुए। 65 लाख नामों में से हटाए गए लोगों में 36 लाख को स्थायी रूप से अन्यत्र स्थानांतरित और 22 लाख को मृत बताया गया।

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