BLO बोले—काम कर रहे हैं, फिर भी लगते हैं आरोप, वोटर लिस्ट को लेकर उलझनें जारी
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बिहार में बीएलओ के बीच द फेडरल देश

BLO बोले—काम कर रहे हैं, फिर भी लगते हैं आरोप, वोटर लिस्ट को लेकर उलझनें जारी

चुनाव आयोग ने बिहार में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंसेंटिव रिवीजन का जो ऐलान किया वो आखिरी पड़ाव में है. लेकिन इस बीच सबसे ज्यादा निशाने पर बीएलओ रहे हैं. द फेडरल देश ने ऐसे ही कुछ बीएलओ से बात की. उन्होंने बताया, वे अपना काम पूरी शिद्दत से कर रहे हैं और बेवजह उन्हें निशाना बनाया जा रहा है.


बिहार में नए सिरे से वोटर लिस्ट तैयार करने के लिए चुनाव आयोग के निर्देश पर जो स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी विशेष गहन पुनरीक्षण का कार्य चल रहा है वो अंतिम पड़ाव में है. द फेडरल देश की टीम पटना के राजीवनगर में एक बूथ पर पहुंची जहां हमें कई बीएलओ फॉर्म्स के साथ मिले. ये लोग सुबह से उन वोटर्स के घर विजिट कर पहुंचे थे जिन्होंने अभी तक Enumeration Form नहीं भरा है. साथ ही ये लोग यहां पर इसलिए भी बैठे हैं जिससे वोटर्स इनसे यहां आकर संपर्क कर सकें.

हमें इंदु उपाध्याय नाम की बीएलओ यहां पर मिली जिनसे हमने बात करना शुरू किया. इंदु उपाध्याय ने बताया कि सभी बीएलओ को बूथ के हिसाब से टारगेट दिया गया है. उन्होंने बताया कि इस गर्मी में सभी वोटरों के घर पर जाते जाते हालत खराब हो जा रही है. जिनके घर ताला लगा होता है उन्हें हम स्कूल में बुलाते हैं जिससे वे यहां आकर फॉर्म भर लें. इंदु उपाध्याय ने कहा, हम पर आरोप लगाया जाता है कि बीएलओ जा नहीं जा रहे. लेकिन जब हम बूथ पर बुलाते हैं लोग खुद ही नहीं आते है. उन्होंने कहा, हमारे ऊपर आरोप लगाना गलत है, हम जनता की ड्यूटी कर रहे हैं. इंदु उपाध्याय ने हमें वोटर लिस्ट में गड़बड़ी को भी दिखाया कि उदय राय नामक एक वोटर जिनकी मृत्यु हो चुकी है लेकिन इनके फोटो पर महिला का फोटो लगी है. जबकि महिला के फोटो पर पुरुष की फोटो लगी है.

सीमा कुमारी भी बीएलओ के तौर पर कार्य कर रही हैं. जब हमने पूछा कि वोटर लिस्ट की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन का कार्य कहां तक पहुंचा तो सीमा कुमारी ने हमें बताया, कठिनाई ये है कि लोग फॉर्म के साथ डॉक्यूमेंट नहीं दे रहे हैं जबकि डॉक्यूमेंट लगाना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा, जिनका नाम 2003 के वोटर लिस्ट में है उनसे कोई डॉक्यूमेंट नहीं ले रहे. जिनके पास कोई डॉक्यूमेंट नहीं है उनसे आधार ले लेते हैं क्योंकि वो वैकल्पिक है यहां तक कि वे लोग पैन कार्ड भी ले लेते हैं.

बिहार से बाहर रहने वाले वोटर्स स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन में कैसे हिस्सा लेंगे ये बड़ा सवाल है. इसे लेकर हमारी बात एक और बीएलओ रिंकी से हुई जो कि शिक्षिका हैं. रिंकी ने हमें बताया कि जो लोग बिहार से बाहर रहते हैं ऐसे मामलों में उनके रिश्तेदारों या पड़ोसियों के द्वारा उनतक मैसेज भिजवाया है. जो लोग बाहर हैं वे लोग अपना डॉक्यूमेंट हमें भेज रहे हैं. रिंकी ने हमें बताया कि स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन में आधार को भी मान्यता दिया गया होता अच्छा होता क्योंकि ये सबके पास है. रिंकी ने हमें बताया कि हर बीएलओ पर डिस्ट्रीब्यूशन और कलेक्शन के टारगेट को पूरा करने का दबाव है.

संजय कुमार सिंह नामक बीएलओ ने हमें बताया कि, जो वोटर हमें मिल रहे हैं वे हमें जो डॉक्यूमेंट दे रहे हैं उसे हम स्वीकार कर ले रहे हैं. आधार को मना किया गया है फिर भी उसे हम ले रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी आधार लेने का सुझाव दिया है लेकिन आयोग ने अभी तक ऐसा आदेश नहीं दिया है. उन्होंने कहा, हमारे पास किसी को छांटने का अधिकार नहीं है ये ऊपर में लोग देखेंगे जो लोग बाहर है उनसे भी डॉक्यूमेंट मंगवा कर अपलोड कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि कि हमें निर्देश है कोई भी वोटर वंचित ना रह जाए.

बिहार में इस साल नवंबर महीने में बिहार विधानसभा चुनाव होने वाला है. और चुनाव के महज तीन महीने पहले स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन का काम राज्य में किया जा रहा है. 25 जून से शुरू हुआ स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन 26 जुलाई को खत्म हो जाएगा. स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन शुरू करने से पहले चुनाव आयोग ने बताया था कि बिहार में 7,89,69,844 वोटर्स हैं और 25 जुलाई को अपने सोशल मीडिया पोस्ट में चुनाव आयोग ने बताया कि वो अब तक 99.8 फीसदी वोटर्स तक पहुंचने में कामयाब रहा है. आयोग ने बताया कि 7.23 करोड़ वोटर्स से Enumeration Form मिल चुका है और उसे अपलोड किया जा चुका है. आयोग के मुताबिक 22 लाख वोटर्स की मृत्यु हो चुकी है. 35 लाख वोटर्स स्थाई तौर पर माइग्रेट कर चुके हैं. 7 लाख एक से ज्यादा जगह रजिस्टर हैं. जबकि 1.2 लाख लोग को ट्रेस नहीं किया जा सका है.

यानी कुल 65.2 लाख वोटर्स का नाम स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन में हटने के कगार पर है. चुनाव आयोग की ओर से घोषित यही आँकड़ा विवाद का कारण बना हुआ है. संसद से लेकर बिहार विधानसभा में इसे लेकर जोरदार हंगामा देखने को मिला है. अब सबकी नजरें 28 जुलाई में इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिकी है.

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