कुछ खुलकर बोले तो कुछ की वजह लिफाफे में कैद, यूपी बीजेपी में हार पर मंथन
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कुछ खुलकर बोले तो कुछ की वजह लिफाफे में कैद, यूपी बीजेपी में हार पर मंथन

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यूपी में मिली जीत या हार को आप कई वजहों से अहम मान सकते हैं.जहां इंडिया गठबंधन के हौसले बुलंद हैं वहीं बीजेपी हार पर मंथन कर रही है.


Uttar Pradesh BJP News: देश में तीसरी बार एनडीए की सरकार है, नरेंद्र मोदी तीसरी दफा पीएम भी बन चुके हैं. लेकिन यह जीत बीजेपी नेताओं के चेहरे पर वैसी खुशी नहीं बिखेर रही जो 2014 और 2019 में दिखी थी. 2014 और 2019 में सरकार एनडीए की ही बनी. लेकिन बीजेपी अपने बलबूते 272 के जादुई आंकडे से अधिक सीट पाने में कामयाब हुई. लेकिन इस दफा तस्वीर बदल गई. बीजेपी को सिर्फ 241 सीटों से संतोष करना पड़ा. अगर बीजेपी के इन नंबर्स को देखें तो यूपी की भूमिका अहम थी. 2014 और 2019 में बीजेपी की यूपी में शानदार प्रदर्शन था. लेकिन इस दफा पार्टी को सिर्फ 33 सीटों से संतोष करना पड़ा. अब यूपी में हार की वजह क्या रही उसे लेकर मंथन का दौर जारी है. क्षेत्रवार आंकड़े जुटाए जा रहे हैं.लेकिन हारे हुए प्रत्याशी या कम अंतर से जीते प्रत्याशी भी भीतरघात को मुख्य वजह बता रहे हैं.

संविधान- आरक्षण और जाति बनी हार की वजह
उन्नाव से साक्षी महाराज को जीत हासिल तो हुई है लेकिन वो अपनी जीत के कम अंतर के लिए गद्दारी के साथ आस्तीन में सांप की संज्ञा दे रहे हैं. वहीं फतेहपुर से शिकस्त पा चुकीं पूर्व केंद्रीय मंत्री निरंजन ज्योति कहती हैं कि उन्हें प्रचार के दौरान ही पता चल गया था कि कुछ ना कुछ तो गड़बड़ है. इसके साथ ही मुजफ्फरनगर से हारे पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान तो सीधे तौर पर सरधना के विधायक संगीत सोम पर ही निशाना साधते हैं. इन सबके बीच अवध क्षेत्र के हारे उम्मीदवारों ने हार की वजहों को सीलबंद लिफाफे में हाईकमान को सौंपा है. बता दें कि अयोध्या में ही फैजाबाद सीट है जहां से बीजेपी के उम्मीदवार लल्लू सिंह चुनाव हार गए थे. अवध के बारे में ही प्रियंका गांधी और राहुल गांधी कहते हैं कि यह वो इलाका है जो यूपी के लिए खास जगह रखता है. वो इशारों इशारों में अमेठी और रायबरेली की जीत का जिक्र कर रहे थे.
कुछ उम्मीदवारों ने सीलबंद लिफाफे में दिए जवाब
इस सिलसिले में अवध क्षेत्र के प्रत्याशियों ने अपनी हार की वजहों को बताया. ज्यादातर लोगों ने भीतरघात, संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने वाली बात खिलाफ गई. इस बैठक में सीतापुर, मोहनलालगंज, फैजाबाद, रायबरेली, लखीमपुर खीरी, श्रावस्ती और अंबेडकर नगर के प्रत्याशी पहुंचे थे. 2024 के चुनाव में बीजेपी 29 सीट हार गई जिसमें 26 मौजूदा सांसद हैं. ज्यादातार हारे उम्मीदवारों ने भीतरघात, गुटबाजी को जिम्मेदार बताया.इन लोगों से उन लोगों के नाम को बताने के लिए कहा गया. इसके साथ ही उम्मीदवारों ने कहा कि ज्यादातर गैर यादव जातियां भी पार्टी से छिटक गईं, जिनमें कुर्मी, पासी, मौर्य, शाक्य दूर रहे . उन्हें ऐसा लगा कि आने वाली बीजेपी सरकार आरक्षण को खत्म कर देगी. इसके साथ ही बूथ प्रबंधन लचर रहा. जिन लोगों पर वोटर्स को पोलिंग सेंटर तक ले जाने की जिम्मेदारी थी वो खुद ही घर से बाहर नहीं निकले.
आरक्षण- संविधान पर पीएम देते रह गए सफाई
इस विषय पर सियासी जानकार भी कहते हैं कि दरअसल इस दफा बीजेपी में ऊपर से नीचे तक अति आत्मविश्वास था कि सब कुछ सही है. कुछ गड़बड़ नहीं है. इसके साथ ही बीजेपी के नेता विपक्ष द्वारा सेट नैरेटिव में भी फंसते चले गए. अगर आप पहले चरण से लेकर सातवें चरण तक देखें तो पाएंगे कि पीएम मोदी को सभी सभाओं में कहना पड़ता था कि उनके जीते जी संविधान को कोई हाथ नहीं लगा सकता. लेकिन आरक्षण के मुद्दे पर वो मुस्लिम आरक्षण की भी बात किया करते थे. इसे विपक्ष ने दो तरह से प्रचारित किया पहला तो ये कि इंडिया ब्लॉक ही मुसलमानों का हितैषी है. दूसरा ये कि देखो पीएम मोदी किस तरह से ओबीसी जातियों के आरक्षण के प्रति दिखावा है. अगर प्रेम असली होता तो सरकारी नौकरियों में जनरल कोटे में अब ओबीसी के अभ्यर्थी जगह क्यों नहीं बना पाते हैं.
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