कर्नाटक: एक तरफ सिद्धारमैया से मांग रही इस्तीफा, दूसरी तरफ खुद बागियों से घिरी बीजेपी
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कर्नाटक: एक तरफ सिद्धारमैया से मांग रही इस्तीफा, दूसरी तरफ खुद बागियों से घिरी बीजेपी

भाजपा भले ही भ्रष्टाचार के आरोपों पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के इस्तीफे की आक्रामक मांग कर रही है. लेकिन पार्टी खुद आंतरिक युद्ध में फंसी हुई है.


Karnataka Congress government: भाजपा भले ही भ्रष्टाचार के आरोपों पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के इस्तीफे की आक्रामक मांग कर रही है. लेकिन पार्टी खुद आंतरिक युद्ध में फंसी हुई है, जो उसके कांग्रेस विरोधी अभियान को विफल करने का खतरा पैदा कर रही है. इस सबके मूल में भाजपा नेता बसनगौड़ा पाटिल यतनाल हैं. उनका आरोप है कि उनकी पार्टी के एक महान नेता ने कर्नाटक में कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए 1,000 करोड़ रुपये की बड़ी रकम रखी है. हालांकि, यतनाल ने हाल ही में दावणगेरे में आरोप लगाते हुए इस “महान नेता” का नाम बताने से इनकार कर दिया. यतनाल की टिप्पणी ने भाजपा को ऐसे समय में शर्मिंदा किया है, जब वह कांग्रेस सरकार और उसके नेताओं पर गलत काम करने का आरोप लगा रही है.

आक्रामकता

यतनाल ने सार्वजनिक रूप से आरोप लगाया कि कुछ महत्वाकांक्षी नेता “जिनकी नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है” वे “भ्रष्टाचार के माध्यम से जमा किए गए धन से” कांग्रेस विधायकों को खरीदने की तैयारी कर रहे हैं. इसके बाद कर्नाटक कांग्रेस ने यतनाल के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराया, जो लंबे समय से दंगा भड़काने वाले व्यक्ति रहे हैं और उन्हें भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे, राज्य भाजपा अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र से नफरत करने वालों में से एक माना जाता है. अन्य सक्रिय भाजपा बागियों में रमेश जारकीहोली, प्रताप सिम्हा, कुमार बंगारप्पा और जीएम सिद्धेश्वर शामिल हैं.

विद्रोही

एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने नाम न बताने की शर्त पर द फेडरल को बताया कि निस्संदेह यह यतनाल ही हैं, जो भाजपा के काम में बाधा डाल रहे हैं, जो सिद्धारमैया को हटाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं. उनकी टिप्पणी हाल के घटनाक्रमों और राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी में बढ़ते असंतोष को लेकर भाजपा के भीतर हताशा को दर्शाती है. यह पहली बार नहीं है,जब यतनाल ने अपनी ही पार्टी को थप्पड़ मारा हो.

भाजपा में गुस्सा

पिछले साल उन्होंने कर्नाटक में येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर कोविड-19 महामारी के दौरान 40,000 करोड़ रुपये के घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया था. लेकिन उनके हालिया बयानों से भाजपा में गुस्सा भड़क गया है और कुछ लोगों ने मांग की है कि उन्हें पार्टी से बाहर निकाल दिया जाए. कुछ लोगों का मानना है कि यतनाल की टिप्पणी भाजपा की विश्वसनीयता और भ्रष्टाचार के आरोपों पर कांग्रेस सरकार को जवाबदेह ठहराने के उसके प्रयासों को कमजोर करती है.

यतनाल पर विश्वासघात का आरोप

यतनाल के मुखर आलोचक पूर्व मंत्री एमपी रेणुकाचार्य ने उन पर सिद्धारमैया के खिलाफ लड़ाई से ध्यान भटकाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सिद्धारमैया के पक्ष में खड़े होकर वह कांग्रेस के एजेंट की तरह काम कर रहे हैं. भाजपा में अन्य लोगों का मानना है कि यतनाल के बयानों से पार्टी कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति पैदा होकर अनजाने में कांग्रेस सरकार को मदद मिल सकती है. केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि यतनाल लगातार पार्टी की नीतियों के खिलाफ बोल रहे हैं. हमारे केंद्रीय नेताओं ने उनकी टिप्पणियों पर ध्यान दिया है.

राज्य भाजपा में मंथन

भाजपा सांसद कोटा श्रीनिवास पुजारी ने कहा कि यतनाल का प्रदेश अध्यक्ष विजयेंद्र के खिलाफ बोलना सही नहीं है, जिन्हें पार्टी हाईकमान ने नियुक्त किया है. एक अन्य भाजपा नेता ने भी नाम न बताने की शर्त पर कहा कि यतनाल के निष्कासन की मांग भाजपा के भीतर अपनी अखंडता और एकजुटता बनाए रखने के व्यापक संघर्ष को उजागर करती है. भाजपा नेता अशांत जल में चल रहे हैं.

हिंदू वोटों पर नजर

यतनाल अन्य कारणों से भी चर्चा में रहे हैं. हाल ही में उन्होंने कर्नाटक में हिंदू वोटों को एकजुट करने की योजना की रूपरेखा पेश की थी. ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि वह भाजपा से निष्कासित नेता केएस ईश्वरप्पा के साथ मिलकर लिंगायत और कुरुबा वोटों को एकजुट करने के लिए एक समूह बना सकते हैं. विजयेंद्र को असंतोष का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि भाजपा फिर संकट की स्थिति में है. यतनाल ने इस तथ्य को नकारा नहीं कि कट्टर हिंदुत्ववादी नेता ईश्वरप्पा हिंदू समुदाय की वफादारी को सुरक्षित करने की योजना से सहमत होंगे. सितंबर में भाजपा के एक अन्य बागी नेता रमेश जरकीहोली ने दावा किया था कि राज्य पार्टी प्रमुख विजयेंद्र भ्रष्टाचार में लिप्त हैं.

विजयेंद्र के खिलाफ आवाज

सामूहिक नेतृत्व की आवश्यकता पर जोर देते हुए जारकीहोली ने कहा कि हमने कभी भी विजयेंद्र के नेतृत्व को स्वीकार नहीं किया है और भविष्य में भी इसे स्वीकार नहीं करेंगे. वह हमारी पार्टी के भ्रष्ट नेता हैं. हम उनके खिलाफ हैं. इस बीच भाजपा के बागी नेताओं ने पिछले तीन महीनों में तीन बार बैठक कर विजयेंद्र और कर्नाटक विधानसभा में भाजपा का नेतृत्व कर रहे आर. अशोक को हटाने की मांग की है.

भाजपा में 'क्रांति'?

यतनाल ने रविवार को कहा कि दावणगेरे में एकत्र हुए 40 से अधिक विधायकों ने पार्टी आलाकमान से विजयेंद्र की कार्यशैली की शिकायत की है. हमें उम्मीद है कि पार्टी हाईकमान उचित निर्णय लेगा. मानो यह संकेत देने के लिए कि उन्हें पता है कि क्या होने वाला है. यतनाल ने जोर देकर कहा कि इस वर्ष के अंत तक कर्नाटक में एक राजनीतिक क्रांति होगी. विजयेंद्र नवंबर के अंत तक राज्य भाजपा अध्यक्ष के रूप में अपना पहला वर्ष पूरा कर लेंगे. एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि यतनाल राज्य पार्टी अध्यक्ष और विधानसभा में विपक्ष के नेता के पद पर बदलाव का संकेत दे सकते हैं.

मुश्किल में भाजपा

अशोक पर पहले से ही बंगलूर विकास प्राधिकरण (बीडीए) की जमीन अवैध रूप से प्राप्त करने और लोकायुक्त द्वारा मामला दर्ज किए जाने के बाद उसे वापस लौटाने का आरोप है. यह सब ऐसे समय में हो रहा है, जब राज्य में तीन विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होने वाले हैं. भाजपा ऐसे समय में खुद को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहती, जब उसे एकजुट होकर सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी का मुकाबला करना चाहिए.

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