
बिहार विधानसभा चुनाव : तनातनी और असंतोष इधर भी है उधर भी, दोनों गठबंधनों में क्या चल रहा है?
एनडीए बिहार में सीट शेयरिंग कर चुका है। बीजेपी ने तो अपनी पहली लिस्ट भी जारी कर दी लेकिन खुद नीतीश कुमार संतुष्ट नहीं हैं। वहीं महागठबंधन में तो अभी तक सीटों का ही बंटवारा नहीं हो पाया।
बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सीट शेयरिंग सबसे पहले कर दी। आज यानी मंगलवार को बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट भी जारी कर दी। यानी दोनों मोर्चों पर एनडीए ने बढ़त बना ली है। जबकि बिहार में चुनावी कैंपेन सबसे पहले शुरू कर देने वाले विपक्षी महागठबंधन के दल आपस में ही उलझे हुए हैं।
पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख निकली जा रही है और महागठबंधन का हाल ये है कि महागठबंधन की दो बड़ी पार्टियों आरजेडी और कांग्रेस के नेता सोशल मीडिया पर दोहों और शेरो-शायरी के जरिये गुत्थी को उलझाए हुए हैं। जैसे आरजेडी के सांसद मनोज झा ने रहीम दास का दोहा उद्धृत करते हुए लिखा-
'रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय
टूटे से फिर न मिले, मिले गाँठ परिजाय।'
चुनावी माहौल के बीच पोस्ट किए गए इस दोहे के अपने राजनीतिक निहितार्थ हैं। इसीलिए सोशल मीडिया पर मनोज झा को इस दोहे को री-पोस्ट करते हुए कांग्रेस के कवि हृदय सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने एक शेर के जरिये संकट से निकलने का रास्ता सुझाया। उन्होंने लिखा-
पानी ऑंख में भर कर लाया जा सकता है।
अब भी जलता शहर बचाया जा सकता है।
तो आरजेडी सांसद मनोज झा जहां गठबंधन में गांठ पड़ने को लेकर सचेत कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी शेर के जरिये कह रहे हैं कि अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा। हालात संभाले जा सकते हैं। इन दोनों नेताओं की इन सोशल मीडिया पोस्ट से ये साफ अंदाजा लग रहा है कि सीट शेयरिंग के मसले पर आरजेडी और कांग्रेस के बीच तनातनी किस नाजुक मोड़ पर पहुंच गई है।
द फेडरल देश में भी हमने वो रिपोर्ट की है कि कैसे पटना में सोमवार देर रात राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अंदर जोरदार ड्रामा देखने को मिला। पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने जिन नेताओं को विधानसभा चुनाव के टिकट दिए थे, कुछ घंटों बाद उनके बेटे और मुख्यमंत्री पद के चेहरा तेजस्वी यादव ने उन्हें टिकट लौटाने का निर्देश दे दिया। तेजस्वी का कहना था कि महागठबंधन के सहयोगी दलों के साथ सीट बंटवारे पर अब तक सहमति नहीं बनी है, ऐसे में टिकट बांटना अनुचित है।
असल में गठबंधन के अंदर झगड़ा इसलिए बढ़ गया है क्योंकि आरजेडी कांग्रेस को उतनी सीटें देने को तैयार नहीं है, जितनी वो डिमांड कर रही है। कांग्रेस 70 सीटें मांग रही है जबकि आरजेडी 58–60 सीट देने के पक्ष में है।
द फेडरल देश को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, आरजेडी ने कांग्रेस नेताओं से साफ़ कहा है कि उसकी 70 सीटों की माँग ज़मीनी हक़ीक़त से परे है। पार्टी ने याद दिलाया कि 2020 में कांग्रेस को 70 सीटें मिली थीं, पर वो उनमें से सिर्फ़ 19 ही जीत पाई थी और उसी कारण महागठबंधन सरकार बनने से रह गया था। जबकि कांग्रेस कह रही है कि अब माहौल बदला है। खासकर वोटर अधिकार यात्रा से कांग्रेस जोश में है।
महागठबंधन में तनातनी विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख मुकेश सहनी की डिमांड ने भी बढ़ाई हुई है। मुकेश सहनी को आरजेडी और कांग्रेस अधिकतम 18 सीटें देने पर राज़ी थीं, लेकिन सहनी 30 सीटों से नीचे आने को तैयार नहीं हुए।
उधर, एनडीए ने भले ही सीट शेयरिंग तय कर ली है और आज बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची भी जारी कर दी है जिसमें 71 उम्मीदवारों के नामों का एलान किया गया है. इस सूची के मुताबिक मौजूदा बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव का टिकट कट गया है. लेकिन बीजेपी की सहयोगी जेडीयू सीट शेयरिंग से खुश नहीं है।
बताया जा रहा है कि चिराग पासवान की पार्टी को महत्वपूर्ण सीटें देने से नीतीश कुमार नाराज हैं...नीतीश की पार्टी के एक सांसद अजय कुमार मंडल ने तो इस्तीफे की धमकी भी दे डाली है।
तो कुल मिलाकर बिहार में दोनों गठबंधनों में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है..लेकिन सबसे ज्यादा तनातनी विपक्षी महागठबंधन में दिख रही है..सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर सीट शेयरिंग को लेकर किसी फाइनल सॉल्यूशन तक नहीं पहुंचने में ही इतना वक्त लग रहा है तो आगे की लड़ाई मिलकर कैसे लड़ी जाएगी। क्योंकि बिहार का चुनाव बहुत बड़ा चुनाव है।