
बिहार कैबिनेट में बदला शक्ति संतुलन, नीतीश की पकड़ कमजोर
नीतीश ने अपने करीबियों श्रवण कुमार, अशोक चौधरी, विजय चौधरी और लेशी सिंह को मंत्रिमंडल में बनाए रखा। फिर भी गृह विभाग और संभवतः स्पीकर पद BJP को देने की उनकी सहमति ने यह संदेश दे दिया कि भारी बहुमत के बावजूद नीतीश इस गठबंधन में कमजोर और दबाव में दिख रहे हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार के 10वीं बार शपथ लेने के 48 घंटे भी नहीं बीते थे कि एनडीए गठबंधन के भीतर बदले शक्ति समीकरण साफ दिखाई देने लगे। भले ही जेडीयू और बीजेपी दोनों ने हालिया चुनाव में मजबूत प्रदर्शन किया हो, लेकिन शुक्रवार शाम जब नीतीश ने अपने मंत्रियों को विभाग आवंटित किए, तब यह स्पष्ट हो गया कि सरकार में बीजेपी का दबदबा बढ़ा है और जेडीयू की शक्ति पहले जैसी नहीं रही।
नीतीश ने पहली बार छोड़ा गृह विभाग
करीब 19 वर्षों के मुख्यमंत्री कार्यकाल में नीतीश कुमार ने हमेशा गृह विभाग अपने पास रखा, लेकिन इस बार उन्होंने यह विभाग बीजेपी के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को सौंप दिया। जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने द फेडरल से कहा कि यह हमारे घटते कद का प्रतीक है और आने वाले समय में और कठिन फैसले होने की आशंका है।
घटती सौदेबाज़ी की ताकत
जेडीयू नेताओं का कहना है कि चुनाव में जेडीयू को 101 में से 85 सीटें मिलने के बावजूद बीजेपी के 89 सीटों के आंकड़े ने नीतीश की राजनीतिक सौदेबाज़ी की क्षमता कमजोर कर दी है। पूरे एनडीए को 202 सीटें मिली हैं, जबकि महागठबंधन 35 पर सिमट गया। ऐसे परिणामों ने नीतीश की वह ताकत छीन ली, जिसके दम पर वे वर्षों से किसी भी दल से अपनी शर्तों पर गठबंधन करते रहे थे।
स्पीकर और गृह विभाग को लेकर खींचतान
कैबिनेट गठन से पहले चर्चा थी कि दोनों दल स्पीकर और गृह विभाग पर अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। जेडीयू के सूत्रों का दावा था कि बीजेपी स्पीकर पद नहीं छोड़ेगी, लेकिन गृह विभाग पर समझौते की गुंजाइश है। हालांकि, विभागों के अंतिम आवंटन में बीजेपी ने गृह विभाग अपने पास रख लिया और स्पीकर पद पर भी दावा बरकरार है। संभावना है कि गया टाउन से नौ बार के विधायक प्रेम कुमार स्पीकर बन सकते हैं।
कैबिनेट गठन में भी दिखा BJP का दबदबा
तय फार्मूले के अनुसार कैबिनेट में बीजेपी के 16 और जेडीयू के 15 मंत्री होने थे। एलजेपी-आर से 3 और हम व आरएलएम से 1-1 मंत्री शामिल होने थे। लेकिन शपथ ग्रहण में ही 9 पद खाली छोड़ दिए गए, जिनमें अधिकांश जेडीयू कोटे के थे। बीजेपी ने 14 मंत्रियों को शपथ दिलाई, जबकि जेडीयू के सिर्फ 8 मंत्री शामिल हुए। इससे पार्टी की मजबूत स्थिति और विधायकों की निष्ठा दोनों ही स्पष्ट हुए।
दर्जनों अहम विभाग BJP के पास, JD-U का दायरा सीमित
गृह विभाग— सम्राट चौधरी
ग्रामीण विकास, शहरी विकास, खनन— उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा
उद्योग विभाग— दिलीप जायसवाल
कानून व स्वास्थ्य— मंगल पांडेय
सड़क निर्माण व आवास— नीतिन नवीन
कृषि विभाग— रामकृपाल यादव
IT और खेल— श्रेयसी सिंह
पर्यावरण और सहकारिता— प्रमोद चंद्रवंशी
जेडीयू के पास केवल सामान्य प्रशासन और सतर्कता (विजिलेंस) विभाग ही रहे, जिससे नीतीश को नौकरशाहों के तबादलों पर कुछ नियंत्रण मिलता है। इसके अलावा वित्त व वाणिज्य कर विभाग जेडीयू के वरिष्ठ मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव को दिया गया। लेकिन जेडीयू के नेताओं का कहना है कि यह “कड़वा घूंट” है, क्योंकि बिहार की वित्तीय स्थिति पहले से ही खराब है और सरकार पर भारी कर्ज व चुनावी वादों का बोझ है।
एक जेडीयू मंत्री ने द फेडरल को बताया कि बिहार की आर्थिक हालत खराब है। रोजगार योजनाओं और पेंशन बढ़ोतरी जैसी योजनाओं पर भारी खर्च होगा। कई योजनाओं में लाभार्थियों की संख्या कम करनी पड़ सकती है। तब बीजेपी हमारे ऊपर इसका दोष लगाएगी। उन्होंने कहा कि केंद्र ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा भी नहीं दिया, जिससे अतिरिक्त वित्तीय सहायता मिल सकती थी।
गृह विभाग जाने से डर
जेडीयू नेताओं के एक हिस्से को इस बात की चिंता है कि गृह विभाग बीजेपी के पास जाने से बिहार में 'बुलडोज़र न्याय' जैसे मॉडल लागू हो सकते हैं। सीमांचल क्षेत्र से चुनाव हारे जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि जब तक गृह विभाग नीतीश के पास था, बिहार के मुसलमान सुरक्षित महसूस करते थे। अब सम्राट चौधरी के जिम्मे विभाग है और नीतीश की स्वास्थ्य स्थिति भी चिंता का विषय है। हमें खासकर सीमांचल और यूपी सीमा से लगे जिलों पर नजर रखनी होगी।
‘समर्पण’ की छवि बनी
नीतीश ने अपने करीबियों श्रवण कुमार, अशोक चौधरी, विजय चौधरी और लेशी सिंह को मंत्रिमंडल में बनाए रखा। फिर भी गृह विभाग और संभवतः स्पीकर पद BJP को देने की उनकी सहमति ने यह संदेश दे दिया कि भारी बहुमत के बावजूद नीतीश इस गठबंधन में कमजोर और दबाव में दिख रहे हैं।

