बीजेपी का बंगाल प्लान, मोदी बनाम ममता की उपलब्धियों की टक्कर
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बंगाल भाजपा को एक अभियान शुरू करने के लिए कहा गया है, जिसमें केंद्र में मोदी सरकार के 11 साल और राज्य में ममता बनर्जी के 14 साल के प्रदर्शन की तुलना की जाएगी। | फाइल फोटो

बीजेपी का बंगाल प्लान, मोदी बनाम ममता की उपलब्धियों की टक्कर

इस रणनीति के पीछे मुख्य प्रेरणा शक्ति भाजपा का दृढ़ विश्वास है कि उसके पास चुनाव जीतने की संभावना है, लेकिन बंगाल में इसे आगे बढ़ाने के लिए उसके पास संगठनात्मक आधार का अभाव है


भारतीय जनता पार्टी (BJP) की पश्चिम बंगाल इकाई के सामने अब अपनी संगठनात्मक ताकत को बढ़ाने और आगामी विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस (TMC) को टक्कर देने की बड़ी चुनौती है। पार्टी की केंद्रीय नेतृत्व ने दो अहम ज़िम्मेदारियां राज्य इकाई को सौंपी हैं एक शक्तिशाली तुलना आधारित प्रचार अभियान चलाना और जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत बनाना।

दोहरी रणनीति की घोषणा

पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि इस रणनीति का पहला स्तंभ होगा एक "तुलनात्मक प्रचार अभियान", जिसमें मोदी सरकार के केंद्र में 11 वर्षों के कामकाज को ममता बनर्जी के बंगाल में 14 साल के शासन से तुलना कर प्रस्तुत किया जाएगा। इस अभियान का प्रमुख मुद्दा होगा। मोदी सरकार की आतंकवाद के खिलाफ "सफल" कार्रवाई (जैसे ऑपरेशन सिंदूर) और ममता सरकार की कथित "तुष्टिकरण नीति", जिसके चलते मुर्शिदाबाद जैसे इलाकों में सांप्रदायिक दंगे हुए।

दूसरा स्तंभ संगठन को बुथ स्तर तक मज़बूत बनाना है। केंद्रीय नेतृत्व का मानना है कि पार्टी के पास एक प्रभावी चुनावी नैरेटिव तो है, लेकिन उसे जमीनी स्तर तक पहुँचाने के लिए संगठन की शक्ति की भारी कमी है।

मोदी-शाह की राज्य यात्रा और संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हाल की अपनी राज्य यात्राओं में बार-बार ऑपरेशन सिंदूर और मुर्शिदाबाद दंगों का उल्लेख किया, जिससे इस प्रचार की आधारभूमि तैयार हुई। मोदी ने 29 मई को अलीपुरद्वार में एक जनसभा को संबोधित किया। शाह ने 1 जून को कोलकाता में “कार्यकर्ता सम्मेलन” किया और विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी व प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार से मुलाकात की।

शाह ने पार्टी के संगठनात्मक स्वास्थ्य पर राज्य इकाई की रिपोर्ट को खारिज करते हुए प्रत्येक जिले के बूथों पर जाकर वास्तविकता जांच करने के निर्देश दिए हैं। केंद्रीय पर्यवेक्षकों से 5 जुलाई तक रिपोर्ट मांगी गई है।

संगठनात्मक कमजोरियां और लक्ष्य

BJP की आंतरिक रिपोर्ट बताती है कि राज्य के लगभग 80,000 बूथों में से 40% में संगठन की मज़बूत उपस्थिति नहीं है।विशेष रूप से 14,000 मुस्लिम बहुल बूथों में तो पार्टी की कोई उल्लेखनीय उपस्थिति ही नहीं है।अब पार्टी को मुस्लिम बहुल क्षेत्रों के बाहर के बूथों को मज़बूत करने का निर्देश दिया गया है।

बूथ सशक्तिकरण समिति का गठन

5 जून को एक विशेष समिति गठित की गई, जिसका नेतृत्व प्रबल राहा को सौंपा गया है, जो 2017 में फॉरवर्ड ब्लॉक से BJP में आए थे। एक “राजनीतिक रूप से हल्के” व्यक्ति को यह ज़िम्मेदारी देकर पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं को साफ संदेश दिया है। अगर वे लाइन में नहीं आए, तो पार्टी आगे बढ़ जाएगी। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष को मोदी-शाह के किसी कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया, जिससे आंतरिक असंतोष और गहराता दिखता है।

राष्ट्रवाद और हिंदुत्व पर दांव

BJP का केंद्रीय नेतृत्व मानता है कि राष्ट्रवाद और हिंदुत्व का मिश्रण बंगाल में विजयी नैरेटिव बन सकता है—अगर इसे जनता तक सशक्त तरीक़े से पहुँचाया जाए।मोदी सरकार के 11 साल पूरे होने के अवसर पर 9 जून से एक राष्ट्रीय स्तर पर महीने भर का अभियान शुरू किया जाएगा। बंगाल में यह अभियान TMC के “कुशासन” को उजागर करते हुए एक स्थानीय रूप में चलाया जाएगा।

विधानसभा चुनाव 2026

हालाँकि राष्ट्रीय स्तर पर यह अभियान एक महीने तक चलेगा, लेकिन बंगाल में यह विधानसभा चुनाव 2026 तक जारी रहेगा।इसमें होर्डिंग्स, बैनर, सोशल मीडिया पोस्ट, डोर-टू-डोर अभियान, नुक्कड़ सभाएं और पर्चा वितरण शामिल होंगे। योजना तैयार है, लेकिन पार्टी के भीतर के पुराने और नए गुटों के बीच की खींचतान इसे कितना प्रभावी बनाती है, यह देखने वाली बात होगी।

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