अन्नामलाई का तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का ऐलान, उत्तराधिकारी का नाम नहीं किया घोषित
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अन्नामलाई का तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का ऐलान, उत्तराधिकारी का नाम नहीं किया घोषित

केंद्रीय मंत्री बनाए जाने की अफवाहों के बीच अन्नामलाई ने कहा, तमिलनाडु से बाहर नहीं जाऊंगा।


बीजेपी के तमिलनाडु राज्य प्रमुख के. अन्नामलाई ने शुक्रवार (4 अप्रैल) को यह घोषणा की कि वह राज्य अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस पद के लिए किसी प्रतिस्पर्धा में नहीं हैं और उन्होंने किसी उत्तराधिकारी का नाम भी प्रस्तावित नहीं किया है।

बता दें कि अन्नामलाई, जिन्होंने जुलाई 2021 से पार्टी का नेतृत्व किया, कोयंबटूर हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “मेरी राजनीतिक यात्रा बीजेपी के कार्यकर्ता के रूप में जारी रहेगी। मैं राजनीति में भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए आया था और यह मेरा मुख्य उद्देश्य बना रहेगा।”

अफवाहों का खंडन

दिल्ली में मंत्री बनने की संभावनाओं को लेकर चल रही अफवाहों पर अन्नामलाई ने स्पष्ट किया, “मैं कहीं नहीं जा रहा हूं, मैं तमिलनाडु में ही रहकर राज्य के लोगों के लिए संघर्ष करूंगा। अगर मैं दिल्ली गया तो एक रात में वापस आ जाऊंगा।

बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व से यह उम्मीद की जा रही है कि वह 8 से 10 अप्रैल के बीच तमिलनाडु के लिए नए राज्य अध्यक्ष की घोषणा करेगा। यह फैसला आगामी 2026 विधानसभा चुनावों के लिए एआईएडीएमके के साथ गठबंधन को पुनः मजबूत करने के उद्देश्य से किया जाएगा। अन्नामलाई का इस्तीफा, इस गठबंधन का विरोध करने के बाद आया है, जिसमें उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक डेटा-समर्थित विश्लेषण प्रस्तुत किया था, जो यह बताता था कि यह गठबंधन बीजेपी की दीर्घकालिक वृद्धि में रुकावट डाल सकता है।

अन्नामलाई का स्थान कौन लेगा?

अन्नामलाई के इस्तीफे के बाद पार्टी नेतृत्व अब एक नए चेहरे की तलाश में है। पार्टी, जातीय समीकरणों को संतुलित करने के उद्देश्य से गैर-गौंडर समुदाय से किसी नेता को अध्यक्ष बनाने का विचार कर रही है। क्योंकि अन्नामलाई और एआईएडीएमके प्रमुख पलानीस्वामी दोनों ही गौंडर समुदाय से हैं।

इस बदलाव के लिए कुछ प्रमुख संभावित उम्मीदवारों के नाम सामने आ रहे हैं:-

- नैनार नागेंद्रन, जो बीजेपी के विधायक और थियोवर समुदाय से आते हैं।

-करप्पू एम. मुरुगनंदम, जो एक मजबूत संगठनात्मक नेता माने जाते हैं।

नागेंद्रन, तिरुनलवेली से एक लोकप्रिय नेता हैं और बीजेपी की दक्षिणी तमिलनाडु में उपस्थिति को मजबूत करने के लिए एक रणनीतिक उम्मीदवार माने जा रहे हैं। मुरुगनंदम, जिन्होंने पहले भी इस भूमिका के लिए विचार किए गए थे, संगठनात्मक अनुभव के साथ हैं और उन्हें एक व्यापक आधार पर समर्थन मिल सकता है। अन्य संभावित नामों में केंद्रीय मंत्री एल. मुरुगन, जो अन्नामलाई के पूर्ववर्ती थे और वानाथी श्रीनिवासन, जो महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, भी शामिल हैं। हालांकि, उनका वर्तमान कार्यभार उन्हें इस पद के लिए देरी से उम्मीदवार बना सकता है।

राजनीतिक रणनीति

अन्नामलाई का कार्यकाल कई आक्रामक अभियानों से भरा रहा, जिनमें "डीएमके फाइल्स" के जरिए भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया गया। इसने बीजेपी के वोट शेयर को 2024 लोकसभा चुनावों में 11.24 प्रतिशत तक बढ़ाया। हालांकि, उनकी रणनीतियां, जैसे कि तामसक (तमिलनाडु राज्य मार्केटिंग कॉर्पोरेशन) पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के छापे और 40,000 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप, बीजेपी की दृश्यता बढ़ाने में मददगार साबित हुईं। लेकिन यह चुनावी सफलता में तब्दील नहीं हो पाई।

अन्नामलाई का विरोधात्मक दृष्टिकोण, खासकर डीएमके के खिलाफ उनकी लगातार आलोचनाओं ने उन्हें राज्य में प्रमुखता दिलाई। लेकिन इससे पार्टी को वह चुनावी लाभ नहीं मिला, जिसका वह अपेक्ष‍ा कर रही थी। उनका मार्च 17 को चेन्नई में विरोध प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार होना इस बात को और उजागर करता है कि उनका आक्रामक शैली कभी-कभी पार्टी के लिए फायदेमंद नहीं रही।

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अन्नामलाई का इस्तीफा एक रणनीतिक पुनः संतुलन हो सकता है, जो उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर कोई भूमिका प्रदान कर सकता है, जबकि पार्टी एआईएडीएमके के साथ अपने रिश्तों को फिर से मजबूत करने की कोशिश करेगी। उनके इस्तीफे को पदावनति के रूप में नहीं देखा जा रहा है, बल्कि यह बीजेपी की रणनीतिक मजबूती की दिशा में एक कदम हो सकता है।

जैसे-जैसे पार्टी अपने नए तमिलनाडु अध्यक्ष का चयन करने की प्रक्रिया में है, प्रमुख ध्यान जातीय समीकरणों और गठबंधन की राजनीति पर रहेगा, जिससे डीएमके के मजबूत प्रभाव को चुनौती दी जा सके। अन्नामलाई की आगामी भूमिका एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में उन्हें पार्टी के भीतर प्रमुख बनाए रखेगी। बीजेपी के लिए अब यह महत्वपूर्ण होगा कि वह किसे चुने ताकि न केवल राज्य में, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पार्टी की स्थिति मजबूत हो सके।

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