अहमदाबाद प्लेन क्रैश: DNA मिलान से होगी पहचान, परिजनों ने दिए सैंपल
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अहमदाबाद प्लेन क्रैश: DNA मिलान से होगी पहचान, परिजनों ने दिए सैंपल

अहमदाबाद प्लेन क्रैश में मृतकों के रक्त संबंधियों ने डीएनए मिलान के लिए सैंपल दिया है। डीएनए मिलान वो तरीका है जिससे किसी भी शव की शिनाख्त की जा सकती है, भले ही उसके सिर्फ़ अवशेष बचे हों।


अहमदाबाद प्लेन क्रैश ने देश को झकझोर दिया है। हादसे की तस्वीरें दिल दहलाने वाली हैं तो हादसे का शिकार हुए लोगों के परिजन अब अपनों के अवशेषों की पहचान की उम्मीद लगाए हैं। अपनों के शव के अवशेषों की पहचान के लिए परिजन अस्पताल में जाकर अपना डीएनए सैंपल दे रहे हैं। यही ऐसा तरीका है, जिसका फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी में मिलान के बाद उनके अपनों के अवशेषों को पहचान हो सकती है।

अहमदाबाद में विमान हादसे का शिकार हुए लोगों के लिए पूरा देश गमगीन है। हर यात्री की अलग कहानी है जिनके लिए ये उड़ान आख़िरी यात्रा साबित हुई। विमान हादसा इतना भयानक था कि शव पूरी तरह से जल गए हैं। जिन लोगों पर दुख का पहाड़ टूटा है वो परिजन अब उस ज़रूरी औपचारिकता को पूरी करने में जुटे हैं जिससे वो अपनों को पहचान कर सकें। अस्पताल में परिजन जा कर अपना डीएनए सैंपल दे रहे हैं जिससे उसका मिलान उन अवशेषों से किया जा सके और इस दुखद हादसे में जा चुके अपन परिजनों का अंतिम संस्कार कर सकें। परिजनों से डीएनए सैंपल इकट्ठा करने का काम हादसे के दिन 12 जून की रात से ही शुरू हो गया था। फिलहाल सैंपल्स को फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी ( FSL) में भेजा गया है।

डीएनए सैंपलिंग से शिनाख्त

डीएनए मिलान वो तरीका है जिससे किसी भी शव की पहचान हो सकती है जिसे दुर्घटना की वजह से पहचानना मुश्किल हो।कई बार ऐसे अपराधों में भी जिसमें शव की पहचान नहीं हो पाती डीएनए मिलान कराया जाता है।दरअसल DNA यानि Deoxyribonucleic Acid शरीर की हर कोशिका में मौजूद होता है।ये वंशानुगत होता है और पूरी ज़िंदगी नहीं बदलता।माता पिता, भाई बहन, बच्चे का डीएनए एक होता है।इसीलिए इन रक्त संबंधियों से ही डीएनए का मिलान कराया जाता है।

डीएनए के मिलान के लिए शरीर में कई चीज़ें होती हैं।अगर मृतक का शव बिगड़ गया है तो उसके बाल, हड्डी, दांत, स्किन, मांसपेशी, खून से डीएनए का सैंपल लिया जाता है।जबकि जीवित परिजनों के रक्त के नमूने सामान्यतः लिए जाते हैं। पेशाब, स्पर्म से भी डीएनए का सैंपल लिया जा सकता है। DNA सैंपल इकट्ठा करना सिर्फ़ इसका पहला चरण है।उसके बाद भी एक लंबी प्रक्रिया होती है जिसके बाद एक सैंपल का दूसरे सैंपल से मिलान कराया जाता है।ऑनकोपैथॉलॉजिस्ट ( Oncopathologist) डॉ अविरल गुप्ता (Dr. Aviral Gupta) कहते हैं कि साइंस ने बहुत तरक्की की है।इससे किसी भी तरह के सैंपल से डीएनए मिलान में 99.9 प्रतिशत की एक्यूरेसी है।सामान्य शब्दों में समझाते हुए डॉ अविरल गुप्ता कहते हैं ‘ मानव शरीर कोशिकाओं से बना है।हर सेल में नूक्लीअस होता है।और nucleus के केंद्र में होता है डीएनए।डीएनए माता पिता-बच्चों और भाई बहन का कॉमन होता है।इसी से इस बात की पहचान होती है कि आपके माता पिता भाई बहन कौन हैं।

एक्सट्रैक्शन, एम्प्लीफाई और प्रोफाइलिंग

अहमदाबाद क्रैश में एक बात सामने आ रही है कि शव पूरी तरह से खराब हो गए हैं ( जल गए हैं)।ऐसे में बोन ( हड्डी) में मौजूद टिश्यू से सैंपल लिया जा सकता है।इसमें ऑस्टियोसाइट्स टिश्यू ( Osteocytes tissue) से सैंपल लिया जाता है।ये हाई हीट ( बहुत ज़्यादा गर्मी ) में भी स्टेबल रहता है।’

डॉ अविरल गुप्ता कहते हैं कि डीएनए सैंपल मिलान की एक प्रक्रिया है।सबसे पहले Extraction होता है। जिसमें प्राप्त सैंपल से डीएनए को अलग ( Extract )किया जाता है यानि डीएनए निकाला जाता है।एक बार अगर डीएनए अलग हो गया तो उसे डीएनए को ऐम्प्लीफ़ाई ( Amplify) किया जाता है। यानि उसकी एक प्रति से कई गुना उसको बढ़ाया जाता है। डीएनए को Amplify करने के बाद उसकी प्रोफाइलिंग ( Profiling) की जाती है।जिससे डीएनए को सॉफ्टवेर इंटरप्रेट कर सके।इसके भी कई तरीके होते हैं। DNA मिलान का अंतिम चरण मैच करना है।यानि दो डीएनए का एक साथ मिलान।’ डॉ अविरल गुप्ता कहते हैं कि इस तकनीक से पूरी तरह से पता चल जाता है कि आपके माता पिता, भाई बहन या बच्चे कौन हैं।

विशेषज्ञ डॉ मृदुल मेहरोत्रा (Dr. Mridul Mehrotra ) कहते हैं ‘लोगों के मन में ये संदेह हो सकता है कि प्लेन क्रैश जैसी इतनी गर्मी में जो मानव अवशेष बचे हैं वो ख़राब हो गए होंगे तो ऐसे में डीएनए कैसे निकाला जाएगा। जबकि मैं बताना चाहता हूँ कि RNA तापमान से ख़राब होता है जबकि DNA इतना फ्रैजाइल नहीं होता।वो बोन टिश्यू ( हड्डियों से )से निकाला का सकता है।हालाँकि जो परिजन हैं उनका ब्लड सैंपल ही लेना सबसे मुफीद है।

प्रक्रिया में लगता है लंबा समय

डॉ मृदुल मेहरोत्रा कहते हैं कि एक ख़ास बात ये है कि ‘अगर 1 नैनो ग्राम भी डीएनए मिल गया तो उसको ऐम्प्लीफ़ाई करके इतना बढ़ाया जा सकता है कि वो आँखों से दिखने लगेगा ।DNA एनालिसिस की कई तकनीकें हैं ओर अहमदाबाद क्रैश जैसी घटना में MT-DNA परीक्षण किया जा सकता है।लंबी प्रकिया होने के कारण इसमें समय ज़्यादा लगता है।’ इतनी लंबी प्रकिया और अलग अलग चरण होने की वजह से ही इसके लिए ज़्यादा समय लगता है।डॉ मृदुल मेहरोत्रा कहते हैं कि ‘ लोगों के परिजनों के मन में भावनात्मक लगाव होता है।इसलिए ऐसे अवशेषों का भी मिलान किया जाता है।’



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