कोई भी सुपर इंटेलिजेंट नहीं, बांबे HC को क्यों करनी पड़ी तल्ख टिप्पणी
Bombay High Court ने कहा कि कोई महिला औसत बुद्धि की है तो इसका अर्थ ये नहीं कि वो प्रेग्नेंट नहीं हो सकती। अदालत ने इसके साथ सुपर इंटेलिजेंट जैसा कमेंट भी किया
Bombay High Court on MTP: दुनिया का कोई भी शख्स सुपर इंटेलिजेंट नहीं हो सकता,हम सब इंसान हैं, इस बात को सभी लोग जानते हैं कि हर एक शख्स अलग अलग स्तर की बुद्धि होती है, बांबे हाईकोर्ट ने एक ऐसे मामले में टिप्पणी की जिसका नाता एक महिला के मां बनने से है। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर किसी महिला में औसत से भी कम बुद्धि है तो इसका मतलब ये नहीं कि उसे मां बनने का अधिकार नहीं है। अगर हम ये कहें कि औसत बुद्धि वालों को मां-बाप बनने का अधिकार नहीं है तो यह कानून के खिलाफ होगा।
अब मामला क्या है। 21 हफ्ते की एक प्रेग्नेंट लेडी में बॉर्डर लाइन इंटलेक्ट डेफिसिट (Intellect Deficit) डायग्नोज की गई। सीधे शब्दों में वो मंदबुद्धि है, लिहाजा उसे मां बनने का अधिकार नहीं है। इस मामले में हाईकोर्ट ने एक मेडिकल टीम बनाई। मेडिकल टीम ने पाया कि महिला में इंटलेक्ट डेफिसट है लेकिन मानसिक तौर पर अस्वस्थ नहीं है, अदालत नमे कहा कि महिला का आईक्यू स्तर 75 है और उसके पेट में पल रहे बच्चे में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं है।
दरअसल महिला के पिता ने अर्जी लगाई थी कि उसकी गर्भवती बेटी मानसिक तौर पर स्वस्थ नहीं साथ ही अविवाहित है। लिहाजा गर्भपात की इजाजत दी जाए। लेकिन गर्भवती महिला ने गर्भपात की इजाजत देने से इनकार कर दिया था। इस याचिका पर बांबे हाइकोर्ट ने जेजे अस्पताल (JJ Hospital Medical Board) का मेडिकल बोर्ड बनाया। मेडिकल बोर्ड ने पाया कि बच्चे में किसी तरह का दोष नहीं है। बोर्ड ने यह भी कहा कि महिला की प्रेग्नेंसी को खतरा नहीं है, हालांकि गर्भपात (Medical Termination of Pregnancy) का भी सुझाव था। बांबे हाईकोर्ट ने अपने टिप्पणी में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Of India) के जस्टिस बी गवई के एक फैसले का हवाला दिया जिसमें कहा गया कि गर्भपात के लिए महिला की अनुमति जरूरी है। यही नहीं पेट में पल रहे बच्चे का भी मूल अधिकार है।
अदालत ने कहा कि नियम ये है कि अगर कोई महिला प्रेग्नेंसी के 20 हफ्ते के बाद मानसिक तौर पर अस्वस्थ पाई गई तो गर्भपात कराया जा सकता है। लेकिन यहां मामला बॉर्डर लाइन का है। अदालत ने कहा कि बेहतर होगा कि माता पिता उस युवक से संपर्क करें और पूछे कि क्या वो शादी कर सकता है। बांबे हाइकोर्ट (Bombay High Court) ने कहा कि युवक और युवती दोनों बालिग हैं, किसी ने अपराध नहीं किया है। युवती, गोद ली हुई सन्तान है लिहाजा उसके देखभाल की जिम्मेदारी मां-बाप की है।